कोलकाता. अमित शाह के रोड शो के दौरान विद्यासागर कॉलेज कैंपस में ईश्वरचंद विद्यासागर की मूर्ति तोड़े जाने की वारदात हुई. इस घटना को लेकर टीएमसी ने बीजेपी को जिम्मेदार ठहराया है. वहीं टीएमसी कह रही है कि इस घटना में बीजेपी शामिल है.
शाह को बीच में ही अपना रोड शो को समाप्त करना पड़ा.
क्या है पूरा मामला
मंगलवार शाम चार बजे अमित शाह का रोड शो शुरू हुआ. छह बजे तक सब ठीक-ठाक चला. रोड शोक के आगे-आगे जयश्रीराम के नारे लगाए जा रहे थे. रामायण के पात्रों के वेश में कई कार्यकर्ता मौजूद थे.
शाम के छह बजकर बीस मिनट पर शाह और उनके समर्थक कोलकाता यूनिवर्सिटी पहुंचे. तभी तृणमूल समर्थकों ने शाह को काले झंडे दिखाए. पुलिस ने दोनों पक्षों को समझाने का प्रयास किया.
करीब 10 मिनट बाद ईश्वरचंद विद्यासागर कॉलेज के सामने अचानक ही पत्थरबाजी शुरू हो गई. सड़क पर खड़ी बाइक और साइकिल में आग लगा दी गई. हिंसा की शुरूआत किसने की, दोनों ही पक्षों का अपना-अपना दावा है.
इसी हलचल के दौरान शाह पर डंडा फेंका गया. शाह ने कार्यकर्ताओं को शांत रहने को कहा.
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तभी ये खबर आई कि ईश्वचंद विद्यासागर की प्रतिमा तोड़ दी गई है. इसे लेकर भी दोनों पक्ष एक दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं. ममता बनर्जी घटनास्थल पर पहुंची थीं. इसके बाद एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोपों का दौर शुरू हो गया जो अब तक थमने का नाम नहीं ले रहा है.
सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल है. इसमें देखा जा सकता है कि कैसे विद्यासागर की मूर्ति को तोड़ा गया. इसे टीएमसी के नेता ने ट्वीट किया है. हालांकि, वीडियो की सच्चाई को लेकर अभी किसी ने कोई दावा नहीं किया है.
कौन थे ईश्वरचंद्र विद्यासागर
विद्यासागर का जन्म 26 सितंबर 1820 में बंगाल के मेदिनीपुर जिले के वीरसिंह नामक गांव में हुआ था. वह निर्धन परिवार से आते थे. पिता का नाम ठाकुरदास बन्धोपाध्याय और माता का नाम भगवती देवी था. अपनी मां बीमार थी, इसलिए उनके पिता चाहकर भी इलाज नहीं करवा पाए.
ईश्वरचंद्र विद्यासागर महान समाज सुधारक, लेखक, शिक्षाविद और संस्कृत के प्रकांड विद्वान थे. महिलाओं की शिक्षा और उनकी स्थिति में क्रांतिकारी बदलाव लाने का श्रेय उन्हें जाता है. उन्होंने बाल विवाह और बहुविवाह जैसी सामाजिक कुरीतियों का विरोध किया. विधवा विवाह के समर्थन में उन्होंने बड़ा आंदोलन खड़ा किया. अपने बेटे की शादी भी विधवा से की.
उनके अथक प्रयास के कारण ही 1856 में विधवा विवाह कानून पास हो सका, जिससे विधवाओं के विवाह को कानूनी दर्जा मिला. इससे पहले इसे सामाजिक दाग के नजरिए से देखा जाता था. उन्होंने मेट्रोपॉलिटन विद्यालय समेत कई लड़कियों के स्कूल खोले.
ईश्वरचंद्र विद्यासागर को आधुनिक बंगाली की जनक भी कहा जाता है. बंगाली वर्णमालाओं में उन्होंने कई संशोधन किया. इन्होंने बंगाली टाइपोग्राफी को बारह स्वर और चालीस व्यंजनों के साथ वर्णित वर्णों में सुधार किया. उन्होंने संस्कृत व्याकरण पर भी पुस्तक लिखी.
कैसे बने विद्यासागर
अलग-अलग विषयों पर उनकी पकड़ और उनके विशाल ज्ञान के कारण लोगों ने उनका नाम विद्यासागर रख दिया. साल 1848 में वैताल पंचविंशति नामक बंगला भाषा की प्रथम गद्य रचना का भी प्रकाशन किया था. 1891 में उनका निधन हो गया था.