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डॉक्टरों की ममता से माफी की मांग, आंदोलन वापस लेने के लिए रखी 6 शर्तें

बंगाल में डॉक्टरों की हड़ताल का देश भर के डॉक्टरों ने समर्थन किया है. मामला बढ़ता देख केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्ष वर्धन ने ममता से प्रतिष्ठा का मुद्दा न बनाने की अपील की है. इसके साथ ही डॉक्टरों ने भी हड़ताल खत्म करने के लिए 6 शर्त रखी हैं. जानें क्या है डॉक्टरों की मांग...

हड़ताल करते डॉक्टर.
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Published : Jun 14, 2019, 9:42 PM IST

कोलकाता: पश्चिम बंगाल में आंदोलनकारी चिकित्सकों ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से बेशर्त माफी मांगने की मांग की और चार दिनों से चल रहे अपने आंदोलन को वापस लेने के लिए राज्य सरकार के लिए छह शर्तें तय की. चिकित्सकों के इस आंदोलन ने समूचे राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं को बाधित कर दिया है.

जूनियर डॉक्टरों के संयुक्त मंच के प्रवक्ता डॉ अरिंदम दत्ता ने कहा, 'एसएसकेएम हॉस्पिटल में कल जिस तरह से मुख्यमंत्री ने हमें संबोधित किया था, उसके लिए हम उनसे यह मांग करते हैं कि वह बेशर्त माफी मांगें. उन्हें वह नहीं कहना चाहिए था, जो उन्होंने कहा था.'

ममता का बयान
ममता ने गुरुवार को एसएसकेएम हॉस्पिटल का दौरा किया था, जहां उन्होंने कहा कि बखेड़ा खड़ा करने के लिए बाहरी लोग मेडिकल कॉलेजों में घुसे थे और आंदोलन माकपा एवं भाजपा की साजिश है.

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पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी.

डॉक्टरों की शर्त
आंदोलनकारियों ने छह शर्तें गिनाते हुए कहा कि मुख्यमंत्री को अस्पताल जाकर घायल डॉक्टरों से मिलना चाहिए और उनके कार्यालय को उन पर (डॉक्टरों पर) हुए हमले की निंदा करते हुए एक बयान जारी करना चाहिए.

उन्होंने कहा, 'हम मुख्यमंत्री के फौरन हस्तक्षेप की भी मांग करते हैं.'

साथ ही सोमवार रात डॉक्टरों को सुरक्षा मुहैया करने में पुलिस की निष्क्रियता के खिलाफ न्यायिक जांच के दस्तावेजी साक्ष्य भी मुहैया किया जाए.
दत्ता ने कहा, 'हम हमलावरों के खिलाफ की गई कार्रवाई का ब्यौरा भी देने की मांग करते हैं.'

उन्होंने आंदोलन के मद्देनजर जूनियर डॉक्टरों और मेडिकल छात्रों के खिलाफ समूचे राज्य में दर्ज किए गए झूठे मामलों और आरोपों को बेशर्त वापस लेने तथा सभी मेडिकल कॉलेजों में सशस्त्र बल के कर्मियों को तैनात करने की भी मांग की.

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हड़ताल का समर्थन करते अन्य डॉक्टर.

पढ़ें-17 जून को पूरे देश में हड़ताल पर रहेंगे डॉक्टर, 140 ने दिया इस्तीफा

क्या है मामला
पश्चिम बंगाल में जूनियर डॉक्टर मंगलवार से ही हड़ताल पर हैं. कोलकाता में एनआरएस मेडिकल कॉलेज में एक मरीज की मौत से नाराज उसके परिजनों ने दो जूनियर डॉक्टरों पर हमला करके उन्हें गंभीर रूप से घायल कर दिया था.

हर्षवर्धन का डॉक्टरों से काम शुरू करने का अनुरोध
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने कहा, 'डॉक्टरों को दूसरे सामान्य या सांकेतिक तरीके से प्रदर्शन करना चाहिए. चिकित्सा पेशेवर होने के नाते अपने मरीजों की रक्षा करना उनका दायित्व है. हड़ताल प्रदर्शन का श्रेष्ठ तरीका नहीं है. मरीजों को त्वरित और आपात चिकित्सा सुविधा से वंचित नहीं करना चाहिए.'

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केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्ष वर्धन.

'प्रतिष्ठा का मुद्दा न बनायें ममता'
केंद्रीय मंत्री ने कहा, 'अगर इस तरह के गंभीर परिदृश्य में मुख्यमंत्री संवेदनशील तरीके से काम करती हैं तो देशभर में मरीजों को परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा. मैं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री से अनुरोध करता हूं कि वह इसे प्रतिष्ठा का मुद्दा न बनायें.'

ममता के अल्टीमेटम का गलत असर
हर्षवर्धन ने कहा कि चिकित्सकों को बुरी तरह से पीटे जाने के बावजूद डॉक्टरों ने मुख्यमंत्री से केवल यही कहा कि उन्हें पर्याप्त सुरक्षा मुहैया कराई जाए और हिंसा में शामिल दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए. लेकिन ऐसा करने की जगह उन्होंने डॉक्टरों को चेतावनी और अल्टीमेटम दे दिया, जिससे देशभर के चिकित्सकों में नाराजगी फैल गई और वे हड़ताल पर चले गए.

पढ़ें-ममता का फरमानः बंगाल में हो, तो बांग्ला बोलना ही होगा

डॉक्टरों की हर्षवर्धन से मुलाकात
एम्स, सफदरजंग अस्पताल, डॉ राममनोहर लोहिया अस्पताल के रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन, यूनाइटेड रेजिडेंट एंड डॉक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (यूआरडीए) तथा फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (एफओआरडीए) के एक प्रतिनिधिमंडल ने हर्षवर्धन से मुलाकात की और पश्चिम बंगाल में डॉक्टरों के खिलाफ हिंसा पर उन्हें एक ज्ञापन दिया.

कोलकाता: पश्चिम बंगाल में आंदोलनकारी चिकित्सकों ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से बेशर्त माफी मांगने की मांग की और चार दिनों से चल रहे अपने आंदोलन को वापस लेने के लिए राज्य सरकार के लिए छह शर्तें तय की. चिकित्सकों के इस आंदोलन ने समूचे राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं को बाधित कर दिया है.

जूनियर डॉक्टरों के संयुक्त मंच के प्रवक्ता डॉ अरिंदम दत्ता ने कहा, 'एसएसकेएम हॉस्पिटल में कल जिस तरह से मुख्यमंत्री ने हमें संबोधित किया था, उसके लिए हम उनसे यह मांग करते हैं कि वह बेशर्त माफी मांगें. उन्हें वह नहीं कहना चाहिए था, जो उन्होंने कहा था.'

ममता का बयान
ममता ने गुरुवार को एसएसकेएम हॉस्पिटल का दौरा किया था, जहां उन्होंने कहा कि बखेड़ा खड़ा करने के लिए बाहरी लोग मेडिकल कॉलेजों में घुसे थे और आंदोलन माकपा एवं भाजपा की साजिश है.

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पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी.

डॉक्टरों की शर्त
आंदोलनकारियों ने छह शर्तें गिनाते हुए कहा कि मुख्यमंत्री को अस्पताल जाकर घायल डॉक्टरों से मिलना चाहिए और उनके कार्यालय को उन पर (डॉक्टरों पर) हुए हमले की निंदा करते हुए एक बयान जारी करना चाहिए.

उन्होंने कहा, 'हम मुख्यमंत्री के फौरन हस्तक्षेप की भी मांग करते हैं.'

साथ ही सोमवार रात डॉक्टरों को सुरक्षा मुहैया करने में पुलिस की निष्क्रियता के खिलाफ न्यायिक जांच के दस्तावेजी साक्ष्य भी मुहैया किया जाए.
दत्ता ने कहा, 'हम हमलावरों के खिलाफ की गई कार्रवाई का ब्यौरा भी देने की मांग करते हैं.'

उन्होंने आंदोलन के मद्देनजर जूनियर डॉक्टरों और मेडिकल छात्रों के खिलाफ समूचे राज्य में दर्ज किए गए झूठे मामलों और आरोपों को बेशर्त वापस लेने तथा सभी मेडिकल कॉलेजों में सशस्त्र बल के कर्मियों को तैनात करने की भी मांग की.

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हड़ताल का समर्थन करते अन्य डॉक्टर.

पढ़ें-17 जून को पूरे देश में हड़ताल पर रहेंगे डॉक्टर, 140 ने दिया इस्तीफा

क्या है मामला
पश्चिम बंगाल में जूनियर डॉक्टर मंगलवार से ही हड़ताल पर हैं. कोलकाता में एनआरएस मेडिकल कॉलेज में एक मरीज की मौत से नाराज उसके परिजनों ने दो जूनियर डॉक्टरों पर हमला करके उन्हें गंभीर रूप से घायल कर दिया था.

हर्षवर्धन का डॉक्टरों से काम शुरू करने का अनुरोध
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने कहा, 'डॉक्टरों को दूसरे सामान्य या सांकेतिक तरीके से प्रदर्शन करना चाहिए. चिकित्सा पेशेवर होने के नाते अपने मरीजों की रक्षा करना उनका दायित्व है. हड़ताल प्रदर्शन का श्रेष्ठ तरीका नहीं है. मरीजों को त्वरित और आपात चिकित्सा सुविधा से वंचित नहीं करना चाहिए.'

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केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्ष वर्धन.

'प्रतिष्ठा का मुद्दा न बनायें ममता'
केंद्रीय मंत्री ने कहा, 'अगर इस तरह के गंभीर परिदृश्य में मुख्यमंत्री संवेदनशील तरीके से काम करती हैं तो देशभर में मरीजों को परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा. मैं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री से अनुरोध करता हूं कि वह इसे प्रतिष्ठा का मुद्दा न बनायें.'

ममता के अल्टीमेटम का गलत असर
हर्षवर्धन ने कहा कि चिकित्सकों को बुरी तरह से पीटे जाने के बावजूद डॉक्टरों ने मुख्यमंत्री से केवल यही कहा कि उन्हें पर्याप्त सुरक्षा मुहैया कराई जाए और हिंसा में शामिल दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए. लेकिन ऐसा करने की जगह उन्होंने डॉक्टरों को चेतावनी और अल्टीमेटम दे दिया, जिससे देशभर के चिकित्सकों में नाराजगी फैल गई और वे हड़ताल पर चले गए.

पढ़ें-ममता का फरमानः बंगाल में हो, तो बांग्ला बोलना ही होगा

डॉक्टरों की हर्षवर्धन से मुलाकात
एम्स, सफदरजंग अस्पताल, डॉ राममनोहर लोहिया अस्पताल के रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन, यूनाइटेड रेजिडेंट एंड डॉक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (यूआरडीए) तथा फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (एफओआरडीए) के एक प्रतिनिधिमंडल ने हर्षवर्धन से मुलाकात की और पश्चिम बंगाल में डॉक्टरों के खिलाफ हिंसा पर उन्हें एक ज्ञापन दिया.

Intro:New Delhi: Union Health Minister Dr Harsh Vardhan on Friday asked West Bengal Chief Minister Mamata Banerjee to personally intervene in resolving the current impasse and taking steps to provide a secure working environment to doctors in West Bengal.


Body:In a letter dashed to Mamata Banerjee, Dr Harsh Vardhan said that the entire country is being adversely affected due to developments in West Bengal "and therefore ensuring an amicable end to the agitation will be beneficial and is strongly warranted.

"The government of India is with you in this endeavour and is fully willing to provide any assistance you may need in this regard," said Harsh Vardhan in his letter.

Doctors at the NRS Medical College in West Bengal were seriously attacked by more than 200 people on Monday after a 75-year-old patient died. The patients relatives alleged medical negligence.


Conclusion:The Union Minister said, " it's a matter of concern that the agitation by doctors in West Bengal is not heading towards resolution, but seems to be getting aggravated. Better communication with doctors and a compassionate approach to take care of the genuine problems being faced by them in day to day functioning would definitely be helpful."

end.
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