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उत्तराखंड: इस जिले में 3 महीने में जन्मे 216 लड़के, नहीं पैदा हुई एक भी लड़की

उत्तराखंड के उत्तरकाशी में कुछ गांव ऐसे हैं, जहां पिछले तीन माह में 216 बच्चों ने जन्म लिया है लेकिन हैरत की बात ये है कि सभी जगह अस्पतालों में लड़कों ने ही जन्म लिया है. 216 बच्चों में एक भी बेटी का जन्म नहीं हुआ है. जानें क्या है पूरा मामला...

उत्तरकाशी के 133 गांव, जहां पैदा हो रहे सिर्फ 'लड़के', बेटी एक भी नहीं.
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Published : Jul 20, 2019, 10:09 PM IST

देहरादूनः पूरी दुनिया में जहां लिंगानुपात को लेकर चिंता जताई जा रही ऐसे में हैरान करने वाली एक तस्वीर उत्तराखंड के उस जिले से आयी है, जो खुद मां गंगा की जननी है. उत्तरकाशी में 133 गांव ऐसे हैं, जहां सिर्फ बेटे जन्म ले रहे हैं. खबर अगर जांच में सही पायी गयी तो साफ हो जायेगा की उत्तराखंड में बेटियों की बलि दी जा रही है.

देखें वीडियो.

ये बात हम यूं ही नहीं कह रहे हैं, बल्कि आंकड़े खुद सरकार के विभाग ने जारी किये हैं. शक है कि गांवों में कन्या भ्रूण हत्या का सिलसिला जारी है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान का असर नहीं हो रहा है. गौरतलब है कि जिले के 133 गांवों में पिछले 3 माह में 216 बच्चों ने जन्म लिया है, लेकिन हैरत की बात ये है कि सभी जगह अस्पतालों में लड़कों ने ही जन्म लिया है. 216 बच्चों में एक भी बेटी का जन्म नहीं हुआ है, इस पर हैरानी जताई जा रही है.

पढ़ें- पूर्व CM शीला दीक्षित का निधन: सोनिया, राहुल समेत कई नेताओं ने किया शोक व्यक्त

मामले की गंभीरता को देखते हुए स्वास्थ महकमा और प्रदेश के मुखिया सीएम ने जांच के आदेश दिए हैं. वहीं जांच से पहले महिला एवं बाल विकास मंत्री रेखा आर्य ने कहा है की इस पूरी घटना में कुछ तो दाल में काला है, जो जांच के बाद साफ हो जायेगा.

उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में जिलाधिकारी की मौजूदगी में स्वास्थ विभाग ने पिछले तीन माह में जन्म लेने वाले नवाजत के आंकड़े सार्वजिनक किये जो हैरान करने वाले हैं. सरकारी आंकड़ों के अनुसार पिछले तीन महीने में उत्तराकाशी जिले के 133 गांवों में 216 नवजात में एक भी बालिका ने जन्म नहीं लिया.

ये है उत्तरकाशी के विभिन्न ब्लॉकों में जिले में लिंगानुपात की स्थिति

  • डुंडा ब्लाक के 27 गांव में 51 बच्चों ने जन्म लिया जिनमें सभी लड़के हैं.
  • भटवारी ब्लॉक के 27 गांव में 49 बच्चों ने जन्म लिया और उनमें भी सभी लड़के हैं.
  • नौगांव ब्लॉक के 28 गांव में 45 बच्चों ने जन्म लिया जिनमें सभी लड़के हैं.
  • मोरी ब्लॉक के 20 गांव में 29 बच्चों ने जन्म लिया और ये भी सभी बच्चे लड़के पैदा हुए.
  • चिन्यालीसौड़ के 16 गांव में 23 बच्चे पैदा हुए और ये भी सभी लड़के पैदा हुए हैं.
  • पुरोला ब्लॉक के 14 गांव में 17 बच्चे पैदा हुए और ये भी सभी लड़के हैं.

आंकड़े चौंकाने वाले हैं, लिहाजा शासन-प्रशासन में हड़कप मचना लाजमी है. बात मुख्यमंत्री तक पहुंची तो वो भी हैरान हो गए. सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भी माना की ऐसा संभव नहीं है और इस मामले की गहनता से जांच जरूरी है. साथ ही मुख्यमंत्री ने यह भी आश्वसन दिया कि अगर इस में किसी भी तरह की लापरवाही या आपराधिक गतिविधी पायी जाती है तो सख्त कार्यवाही की जाएगी.

पढ़ें- कारगिल दिवस: 'यार मैं कारगिल युद्ध में जा रहा हूं, छोटे ये बात किसी को मत बताना'

जानकारों के मुताबिक उत्तरकाशी में जो तस्वीर सामने आई है वो सरकार के 'बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ' समेत तमाम अभियानों की कलई खोलती दिख रही है. साथ ही सरकार द्वारा 'कन्या भ्रूण हत्या निषेध' को लेकर चलाए जा रहे जागरूकता अभियान को भी मुंह चिढ़ा रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ' अभियान से लिंगानुपात में और सुधार आने की उम्मीद जताई जा रही थी, लेकिन उत्तरकाशी में बिगड़ते लिंगानुपात के जो चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं, उन्होंने ऐसे तमाम अभियानों को झुठला दिया है.

उत्तराखंड की महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री रेखा आर्य ने इस मामले को काफी गंभीर माना है और इसकी जांच कराने की बात कही है. रेखा आर्य ने कहा कि सभी आंगनवाड़ी केंद्रों में गर्भवती महिलाओं का परीक्षण कराया जाना जरूरी है. रेखा आर्य ने कहा कि मामले में कहीं ना कहीं कुछ गड़बड़ी जरूर है, ये प्रकृति के साथ खिलवाड़ है और जांच के बाद सारा मामला साफ हो जाएगा. अगर कोई दोषी है तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.

सरकारी आंकड़ों में इस भयावह स्थिति का खुलासा होने पर हरकत में आए जिला प्रशासन ने इसकी पड़ताल शुरू कर दी है. स्वास्थ्य विभाग सभी जिलों के हर गांव में होने वाले संस्थागत एवं घरेलू प्रसवों का ब्योरा तैयार करता है. बीते अप्रैल से जून के बीच उत्तरकाशी जिले के विभिन्न गांवों में हुए प्रसव की रिपोर्ट सामने आई तो जिम्मेदार अधिकारी भी हैरत में पड़ गए. शासन-प्रशासन को इस ओर जल्द से जल्द ध्यान देना चाहिए और इस कड़ी तक पहुंचना चाहिए, जिससे इस बात का पता चल सके कि असल बात क्या है. उत्तरकाशी के डीएम आशीष चौहान ने कहा कि इन सभी गांवों को रेड जोन में शामिल किया गया है. इसके अलावा आशा कार्यकर्ताओं की ओर से भेजी गई रिपोर्ट को नियमित रूप से मदर-चाइल्ड ट्रैकिंग सिस्टम पोर्टल पर अपलोड करने के निर्देश दिए हैं.

पढ़ें- मॉब लिंचिंग मामला: मोर चोरी के शक में एक शख्स को उतारा मौत के घाट, 10 गिरफ्तार

पिछले आंकड़ों पर नजर दौड़ाएं तो साल 2011 की जनगणना के आधार पर उत्तरकाशी जिले में महिला और पुरुष लिंगानुपात में कोई ज्यादा अंतर नहीं था. यहां एक लाख 68 हजार 597 पुरुषों के मुकाबले महिलाओं की जनसंख्या एक लाख 61 हजार 489 थी तो वहीं बीते सालों में राज्य में लिंगानुपात के आंकड़े कुछ इस तरह से हैं...


उत्तराखंड में बाल लिंगानुपात

जिला साल 2015-16 साल 2016-17 साल2017-18 साल 2018-19
अल्मोड़ा 900 947 930 974
बागेश्वर 894 925 930 982
चमोली 944 893 904 900
चंपावत 959 893 922 876
देहरादून 933 893 935 931
हरिद्वार 892 884 901 903
पौड़ी 876 917 918 906
टिहरी 918 898 900 951
नैनीताल 901 873 866 900
पिथौरागढ़ 1010 891 904 946
रुद्रप्रयाग 915 957 913 953
उधमसिंहनगर 893 957 942 960
उत्तरकाशी 903 971 926 903

देहरादूनः पूरी दुनिया में जहां लिंगानुपात को लेकर चिंता जताई जा रही ऐसे में हैरान करने वाली एक तस्वीर उत्तराखंड के उस जिले से आयी है, जो खुद मां गंगा की जननी है. उत्तरकाशी में 133 गांव ऐसे हैं, जहां सिर्फ बेटे जन्म ले रहे हैं. खबर अगर जांच में सही पायी गयी तो साफ हो जायेगा की उत्तराखंड में बेटियों की बलि दी जा रही है.

देखें वीडियो.

ये बात हम यूं ही नहीं कह रहे हैं, बल्कि आंकड़े खुद सरकार के विभाग ने जारी किये हैं. शक है कि गांवों में कन्या भ्रूण हत्या का सिलसिला जारी है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान का असर नहीं हो रहा है. गौरतलब है कि जिले के 133 गांवों में पिछले 3 माह में 216 बच्चों ने जन्म लिया है, लेकिन हैरत की बात ये है कि सभी जगह अस्पतालों में लड़कों ने ही जन्म लिया है. 216 बच्चों में एक भी बेटी का जन्म नहीं हुआ है, इस पर हैरानी जताई जा रही है.

पढ़ें- पूर्व CM शीला दीक्षित का निधन: सोनिया, राहुल समेत कई नेताओं ने किया शोक व्यक्त

मामले की गंभीरता को देखते हुए स्वास्थ महकमा और प्रदेश के मुखिया सीएम ने जांच के आदेश दिए हैं. वहीं जांच से पहले महिला एवं बाल विकास मंत्री रेखा आर्य ने कहा है की इस पूरी घटना में कुछ तो दाल में काला है, जो जांच के बाद साफ हो जायेगा.

उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में जिलाधिकारी की मौजूदगी में स्वास्थ विभाग ने पिछले तीन माह में जन्म लेने वाले नवाजत के आंकड़े सार्वजिनक किये जो हैरान करने वाले हैं. सरकारी आंकड़ों के अनुसार पिछले तीन महीने में उत्तराकाशी जिले के 133 गांवों में 216 नवजात में एक भी बालिका ने जन्म नहीं लिया.

ये है उत्तरकाशी के विभिन्न ब्लॉकों में जिले में लिंगानुपात की स्थिति

  • डुंडा ब्लाक के 27 गांव में 51 बच्चों ने जन्म लिया जिनमें सभी लड़के हैं.
  • भटवारी ब्लॉक के 27 गांव में 49 बच्चों ने जन्म लिया और उनमें भी सभी लड़के हैं.
  • नौगांव ब्लॉक के 28 गांव में 45 बच्चों ने जन्म लिया जिनमें सभी लड़के हैं.
  • मोरी ब्लॉक के 20 गांव में 29 बच्चों ने जन्म लिया और ये भी सभी बच्चे लड़के पैदा हुए.
  • चिन्यालीसौड़ के 16 गांव में 23 बच्चे पैदा हुए और ये भी सभी लड़के पैदा हुए हैं.
  • पुरोला ब्लॉक के 14 गांव में 17 बच्चे पैदा हुए और ये भी सभी लड़के हैं.

आंकड़े चौंकाने वाले हैं, लिहाजा शासन-प्रशासन में हड़कप मचना लाजमी है. बात मुख्यमंत्री तक पहुंची तो वो भी हैरान हो गए. सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भी माना की ऐसा संभव नहीं है और इस मामले की गहनता से जांच जरूरी है. साथ ही मुख्यमंत्री ने यह भी आश्वसन दिया कि अगर इस में किसी भी तरह की लापरवाही या आपराधिक गतिविधी पायी जाती है तो सख्त कार्यवाही की जाएगी.

पढ़ें- कारगिल दिवस: 'यार मैं कारगिल युद्ध में जा रहा हूं, छोटे ये बात किसी को मत बताना'

जानकारों के मुताबिक उत्तरकाशी में जो तस्वीर सामने आई है वो सरकार के 'बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ' समेत तमाम अभियानों की कलई खोलती दिख रही है. साथ ही सरकार द्वारा 'कन्या भ्रूण हत्या निषेध' को लेकर चलाए जा रहे जागरूकता अभियान को भी मुंह चिढ़ा रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ' अभियान से लिंगानुपात में और सुधार आने की उम्मीद जताई जा रही थी, लेकिन उत्तरकाशी में बिगड़ते लिंगानुपात के जो चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं, उन्होंने ऐसे तमाम अभियानों को झुठला दिया है.

उत्तराखंड की महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री रेखा आर्य ने इस मामले को काफी गंभीर माना है और इसकी जांच कराने की बात कही है. रेखा आर्य ने कहा कि सभी आंगनवाड़ी केंद्रों में गर्भवती महिलाओं का परीक्षण कराया जाना जरूरी है. रेखा आर्य ने कहा कि मामले में कहीं ना कहीं कुछ गड़बड़ी जरूर है, ये प्रकृति के साथ खिलवाड़ है और जांच के बाद सारा मामला साफ हो जाएगा. अगर कोई दोषी है तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.

सरकारी आंकड़ों में इस भयावह स्थिति का खुलासा होने पर हरकत में आए जिला प्रशासन ने इसकी पड़ताल शुरू कर दी है. स्वास्थ्य विभाग सभी जिलों के हर गांव में होने वाले संस्थागत एवं घरेलू प्रसवों का ब्योरा तैयार करता है. बीते अप्रैल से जून के बीच उत्तरकाशी जिले के विभिन्न गांवों में हुए प्रसव की रिपोर्ट सामने आई तो जिम्मेदार अधिकारी भी हैरत में पड़ गए. शासन-प्रशासन को इस ओर जल्द से जल्द ध्यान देना चाहिए और इस कड़ी तक पहुंचना चाहिए, जिससे इस बात का पता चल सके कि असल बात क्या है. उत्तरकाशी के डीएम आशीष चौहान ने कहा कि इन सभी गांवों को रेड जोन में शामिल किया गया है. इसके अलावा आशा कार्यकर्ताओं की ओर से भेजी गई रिपोर्ट को नियमित रूप से मदर-चाइल्ड ट्रैकिंग सिस्टम पोर्टल पर अपलोड करने के निर्देश दिए हैं.

पढ़ें- मॉब लिंचिंग मामला: मोर चोरी के शक में एक शख्स को उतारा मौत के घाट, 10 गिरफ्तार

पिछले आंकड़ों पर नजर दौड़ाएं तो साल 2011 की जनगणना के आधार पर उत्तरकाशी जिले में महिला और पुरुष लिंगानुपात में कोई ज्यादा अंतर नहीं था. यहां एक लाख 68 हजार 597 पुरुषों के मुकाबले महिलाओं की जनसंख्या एक लाख 61 हजार 489 थी तो वहीं बीते सालों में राज्य में लिंगानुपात के आंकड़े कुछ इस तरह से हैं...


उत्तराखंड में बाल लिंगानुपात

जिला साल 2015-16 साल 2016-17 साल2017-18 साल 2018-19
अल्मोड़ा 900 947 930 974
बागेश्वर 894 925 930 982
चमोली 944 893 904 900
चंपावत 959 893 922 876
देहरादून 933 893 935 931
हरिद्वार 892 884 901 903
पौड़ी 876 917 918 906
टिहरी 918 898 900 951
नैनीताल 901 873 866 900
पिथौरागढ़ 1010 891 904 946
रुद्रप्रयाग 915 957 913 953
उधमसिंहनगर 893 957 942 960
उत्तरकाशी 903 971 926 903
Intro:Summary- उत्तराखंड में है वो जिला जहां बच्चीयां नही ले रही है जन्म

Note- ये खबर स्पेशल है। फीड FTP से (uk_deh_02_Dangerous sex ratio in Uttarkarkashi_vis_byte_7205800)

एंकर- उत्तराखंड जैसी देव भूमि से चौकाने वाली खबर सामने आयी है। खबर अगर जाँच में सही पायी गयी तो साफ़ हो जायेगा की उत्तराखंड में बेटियों की बलि दी जा रही है। ये बात हम यु ही नहीं कह रहे है बल्कि इस बात के आंकड़े खुद सरकार के विभाग ने जारी किये है। जिसमे ये बात सामने आयी है की उत्तराखंड के उत्तरकाशी में पिछले तीन महीने में 133 गाँव में 218 बच्चे जन्म लेते है और सभी लड़के पैदा हुए है इन 218 बच्चो में कोई भी लड़की ना पैदा होने की वजह से अब पुरे उत्तराखंड में सरकारी महकमों में हड़कंप मच गया है मामले की गंभीरता को देखते हुए स्वास्थ महकमे और प्रदेश के मुखिया सीएम ने जाँच के आदेश दिए है वही जाँच से पहले महिला एवम बाल विकास मंत्री रेखा आर्य ने कह दिया है की इस पूरी घटना में कुछ तो दाल में काला है जो जाँच के बाद साफ़ हो जायेगा Body:वीओ- पूरी दुनिया में जहां लिंगानुपात को लेकर चिंता जताई जाती है तो एसे में हैरान करने वाली एक तस्वीर उत्तराखंड के उस जिले से आयी है जो कि खुद मां गंगा की जननी है। उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में जिलाधिकारी की मौजूदगी में स्वास्थ विभाग ने पिछले तीन माह में जन्म लेने वाले नवाजत के आंकड़े सार्वजिनक किये जो हैरान करने वाले थे। सरकारी आंकड़ो के अनुसार पिछले तीन महीने में उत्तराकाशी जिले के 133 गांंवों में 216 नवजात बच्चों में एक भी बालिका ने जन्म नही लिया।

ये है उत्तरकाशी के विभिन्न ब्लॉकों में जिले में लिंगानुपात की स्थीती----

डुंडा ब्लाक के 27 गांव में 51 बच्चों ने जन्म लिया जिनमें सभी लड़के हैं
भटवारी ब्लॉक के 27 गांव में 49 बच्चों ने जन्म लिया और उनमें भी सभी लड़के हैं
नौगांव ब्लॉक के 28 गांव में 45 बच्चों ने जन्म लिया जिनमें सभी लड़के हैं
मोरी ब्लॉक के 20 गांव में 29 बच्चों ने जन्म लिया और ये भी सभी बच्चे लड़के पैदा हुए
चिन्यालीसौड़ के 16 गांव में 23 बच्चे पैदा हुए और ये भी सभी लड़के पैदा हुए हैं
पुरोला ब्लॉक के 14 गांव में 17 बच्चे पैदा हुए और ये भी सभी लड़के हैं

आंकड़े चौकाने वाले हैं लिहाजा शासन-प्रशासन में हड़कप मचना लाजमी था.. बात मुख्यमंत्री तक पंहूची तो वो भी हैरान थे। सीएम त्रीवेंद्र रावत ने भी माना की एसा संभव नही है और इस मामले की गहनता से जांच जरुरी है साथ ही मुख्यमंत्री ने यह भी आश्वसन दिया कि अगर इस में किसी भी तरह की लापरवाही या आपराधिक गतिविधी पायी जाती है तो सख्त कार्यवाही की जाएगी।

बाईट- त्रिवेंद्र सिंह रावत, सीएम उत्तराखण्ड

वीओ- जानकारों के मुताबिक उत्तरकाशी में जो तस्वीर उभर रही है वो सरकार के ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ समेत तमाम अभियानों की कलई खोलती दिख रही है। साथ ही सरकार द्वारा ‘कन्या भ्रूण हत्या निषेध’ को लेकर चलाए जा रहे जागरुकता अभियान को भी मुंह चिढ़ा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ अभियान से लिंगानुपात में और सुधार आने की उम्मीद जताई जा रही थी, लेकिन उत्तरकाशी में बिगड़ते लिंगानुपात के जो चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं उन्होंने ऐसे तमाम अभियानों को झुठला दिया है। उत्तराखंड की महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री रेखा आर्य ने इस मामले को काफी गंभीर माना है और इसकी जांच कराने की बात कही है। रेखा आर्य ने कहा कि सभी आंगनवाड़ी केंद्रों में गर्भवती महिलाओं का परीक्षण कराया जाना जरूरी है। रेखा आर्य ने कहा कि मामले में कहीं ना कहीं कुछ गड़बड़ी जरूर है। ये प्रकृति के साथ खिलवाड़ है और जांच के बाद सारा मामला साफ हो जाएगा। अगर कोई दोषी है तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

बाईट- रेखा आर्य, राज्यमंत्री महिला एवं बाल विकास उत्तराखण्ड
बाईट- कल्पना ठाकुर, समाज सेविका


वीओ- सरकारी आंकड़ों में इस भयावह स्थिति का खुलासा होने पर हरकत में आए जिला प्रशासन ने इसकी पड़ताल शुरू कर दी है। स्वास्थ्य विभाग सभी जिलों के हर गांव में होने वाले संस्थागत एवं घरेलू प्रसवों का ब्यौरा तैयार करता है। बीते अप्रैल से जून के बीच उत्तरकाशी जिले के विभिन्न गांवों में हुए प्रसव की रिपोर्ट सामने आई तो जिम्मेदार अधिकारी भी हैरत में पड़ गए। शासन-प्रशासन को इस ओर जल्द से जल्द ध्यान देना चाहिए और इस कड़ी तक पहुंचना चाहिए। जिससे इस बात का पता चल सके कि असल बात क्या है। उत्तरकाशी के डीएम आशीष चौहान ने कहा कि इन सभी गांवों को रेड जोन में शामिल किया गया है। इसके अलावा आशा कार्यकर्ताओं की ओर से भेजी गई रिपोर्ट को नियमित रूप से मदर-चाइल्ड ट्रैकिंग सिस्टम पोर्टल पर अपलोड करने के निर्देश दिए।

बाईट- आशीष चौहान, डीएम उत्तरकाशी

अगर पिछले आंकड़ो पर नजर दौड़ांए तो साल 2011 की जनगणना के आधार पर उत्तरकाशी जिले में महिला और पुरुष लिंगानुपात में कोई ज्यादा अंतर नहीं था यहां एक लाख 68 हजार 597 पुरुषों के मुकाबले महिलाओं की जनसंख्या एक लाख 61 हजार 489 थी तो वहीं बीते सालों में राज्य में लिंगानुपात के आंकड़े कुछ इस तरह से है।-----



उत्तराखंड में बाल लिंगानुपात---------


जिला साल 2015-16 साल 2016-17 साल2017-18 साल 2018-19

अल्मोड़ा 900 947 930 974

बागेश्वर 894 925 930 982

चमोली 944 893 904 900

चंपावत 959 893 922 876

देहरादून 933 893 935 931

हरिद्वार 892 884 901 903

पौड़ी 876 917 918 906

टिहरी 918 898 900 951

नैनीताल 901 873 866 900

पिथौरागढ़ 1010 891 904 946

रुद्रप्रयाग 915 957 913 953

उधमसिंहनगर 893 957 942 960

उत्तरकाशी 903 971 926 903


Conclusion:फाईनल वीओ- स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक जिले के 133 गांवों में तीन माह के भीतर कुल 216 प्रसव हुए। लेकिन हैरत की बात ये है कि इनमें एक भी बिटिया ने जन्म नहीं लिया। सरकारी रिपोर्ट में ही बिगड़ते लिंगानुपात की यह स्थिति सामने आने से जिला प्रशासन में हड़कंप मच गया है। जांच के बाद अब सही स्थिति का पता चल सकेगा।
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