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भारत को मल्टी लेटरल पार्टनर के रूप में महत्व देता है अमेरिका : पोम्पिओ

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Published : Oct 27, 2020, 9:21 PM IST

भारत अमेरिका के बीच टू प्लस टू मंत्री स्तरीय वार्ता संपन्न हुई. दोनों देशों के रक्षा मंत्रियों व विदेश मंत्रियों ने साझा बयान जारी कर कहा कि हमारे बीच सैन्य सहयोग और भी मजबूती के साथ जारी रहेगा.

भारत अमेरिका बातचीत
भारत अमेरिका बातचीत

नई दिल्ली : अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने मंगलवार को कहा कि अमेरिका भारत को मल्टी लेटरल पार्टनर के रूप में महत्व देता है, चाहे वह क्वाड के माध्यम से हो, अफगान शांति वार्ता को सफल बनाने या संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत के आगामी कार्यकाल के दौरान एक साथ काम करने के लिए हो. हम UNSC में भारत की स्थायी सदस्यता का समर्थन करेंगे.

अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, अमेरिकी रक्षा सचिव मार्क एरिजोना और विदेश मंत्री जयशंकर के साथ एक संयुक्त बयान देते हुए कहा कि अमेरिकी और भारत न कि सिर्फ चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के खतरे, बल्कि सभी तरह के खतरों के खिलाफ सहयोग को मजबूत करने के लिए कदम उठा रहे हैं.

पोम्पिओ का बयान

पिछले साल हमने साइबर मुद्दों पर अपने सहयोग का विस्तार किया और हिंद महासागर में संयुक्त अभ्यास किया. हमारे नेता और नागरिक साफ तौर पर देख रहे हैं कि चीनी कम्युनिस्ट पार्टी लोकतंत्र, कानून के शासन और पारदर्शिता का दोस्त नहीं है.

उन्होंने कहा कि मुझे यह कहते हुए खुशी हो रही है कि भारत और अमेरिका न केवल चीन से निपटने के लिए, बल्कि सभी खतरों के खिलाफ सहयोग को मजबूत करने के लिए हर मुमकिन कदम उठा रहे हैं.

भारतीय सशस्त्र बल के जवानों के बलिदानों को याद करते हुए, पोम्पिओ ने कहा कि हमने भारतीय सशस्त्र बलों के बहादुर पुरुषों और महिलाओं को सम्मानित करने के लिए राष्ट्रीय युद्ध स्मारक का दौरा किया, जिन्होंने सबसे बड़े लोकतंत्र के लिए बलिदान किया था. इनमें वह जवान भी शामिल थे, जिन्होंने हाल में चीन के साथ गलवान घाटी में हुई झड़प में अपने प्राणों की आहूति दी.

एस जयशंकर का बयान

पोम्पिओ ने दोहराया कि जब भी भारत अपनी संप्रभुता, स्वतंत्रता के लिए खतरों का सामना करेगा, अमेरिका उसके साथ खड़ा होगा. अमेरिकी अधिकारियों ने भारत-प्रशांत क्षेत्र में बढ़ती चीनी आक्रामकता के सामने अपनी रणनीतिक और सुरक्षा संबंधों को मजबूत करने के लिए भारत का दौरा किया है.

बता दें कि, उनकी दो दिवसीय यात्रा ऐसे समय में हुई है, जब भारत-चीन के बीच सीमा पर गतिरोध चल रहा है. अपनी यात्रा के दौरान उन्होंने मंगलवार को विदेश मंत्री जयशंकर और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के साथ तीसरे दौर की भारत-यूएस 2 + 2 मंत्रिस्तरीय बैठक में भाग लिया.

विश्लेषकों का कहना है कि भारत-अमेरिका संबंध अधिक संस्थागत हो रहे हैं और 2 + 2 वार्ता दोनों देशों के बीच संबंधों के बड़े संस्थागतकरण होने का प्रतिबिंब हैं.

इस तरह के महत्वपूर्ण समय पर 2 + 2 भारत अमेरिकी बातचीत, रिश्ते को आगे ले जाने के लिए दो पक्षों की प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है और साथ ही एक सामान्य समझदारी भी तय करता है, जो कि अमेरिकी चुनाव से पहले निर्धारित की गई है.

इससे पता चलता है दोनों देश एक-दूसरे के साथ सहज हैं और भारत 'इलेक्टोरल साइकिल' से आगे निकल गया है. अब इस बात का कोई फर्क नहीं पड़ता कि सत्ता में बाइडेन आएं या अमेरिकी चुनाव में ट्रंप की जीत हो.

ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन में स्ट्रेटेजिक स्टडीज प्रोग्राम के निदेशक, अध्ययन और प्रमुख वी पंत ने ईटीवी भारत को बताया कि यह एक ऐसा मुद्दा है, जिस पर दो अलग-अलग राष्ट्रपति पद के उम्मीदवारों का एक ओर ही झुकाव है, इस मायने में यह भारत-अमेरिका संबंध के लिए आयाम है, जो अब अधिक संस्थागत हो गया है.

उन्होंने कहा कि बेसिक एक्सचेंज और कोऑपरेशन एग्रीमेंट आखिरी बुनियादी समझौता है, जिसपर हस्तक्षर हुए. यह यूएस के साथ भारत के मूलभूत रक्षा संबंधों के बड़े परिदृश्य को पूरा करता है. BECA भारत के लिए संवेदनशील भौगोलिक डेटा प्राप्त करने और अमेरिका के साथ साझा करने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है.

उन्होंने आगे कहा कि मौजूदा संघर्ष में, BECA सबसे महत्वपूर्ण है. इससे पता चलता है कि दोनों पक्षों के बीच अधिक विश्वास के साथ रिश्ते की सीमाएं बदल रही हैं और दोनों देशों के बीच रिश्ता कितना मजबूत हुआ है.

इस बैठक को लेकर विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि इंडो पैसिफिक क्षेत्र वार्ता का विशेष केंद्र बिंदु था. हमने इस क्षेत्र में सभी देशों के लिए स्थिरता और शांति और समृद्धि के महत्व को दोहराया और चर्चा ने हमारे पड़ोसी देशों के विकास को भी कवर किया.

जयशंकर ने एक ही प्रेस वार्ता के दौरान कहा कि हमने चर्चा के दौरान यह स्पष्ट किया कि सीमा पार आतंकवाद पूरी तरह से अस्वीकार्य है. क्षेत्रीय मुद्दों से अलग विदेश मंत्री ने कहा कि वार्ता में पड़ोसी देशों में विकास भी शामिल है.

पढ़ें - भारत-अमेरिका का '2+2 प्लान', चीन परेशान

जयशंकर ने कहा कि जब संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य का दर्जा हासिल करने पर भारत संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ काम करने के लिए उत्सुक होगा और दोनों राष्ट्रों के बीच द्विपक्षीय संबंधों में उल्लेखनीय वृद्धि और सहयोग होगा.

इसके अलावा दोनों देशों के बीच चार महत्वपूर्ण समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए, जिनमें BECA, टेक्निकल कोऑपरेशन ऑन अर्थ साइंसेस, अरेंजमेंट एक्सटेंडिड द एग्रीमेंट ऑन न्यूक्लीयर कोऑपरेशन इन आर्युवेद एंड कैंसर रिसर्च शामिल हैं.

रिपोर्टों के अनुसार इस क्षेत्र में चीन की बढ़ती आर्थिक और सैन्य शक्ति के खिलाफ पोम्पियो श्रीलंका और मालदीव की यात्रा भी करेंगे.

भारतीय महासागर के यह दोनों देश बड़े बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को पूरा करने के लिए चीनी ऋण के तले दबे हुए हैं.

उल्लेखनीय है कि, पोम्पिओ इंडोनेशिया में अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव से पहले अपनी यात्रा को संपन्न करेंगे. बता दें कि इंडोनेशिया भी दक्षिणी चीनी सागर में चीन के साथ गतिरोध का सामना कर रहा है.

पहले दो 2 + 2 मंत्रिस्तरीय संवाद सितंबर 2018 में नई दिल्ली और 2019 में वॉशिंगटन डीसी में आयोजित किए गए थे. भारत और अमेरिका मिलकर सहयोगी चीन के खिलाफ तेजी से आगे बढ़ने के प्रयास कर रहे हैं, जो पूरे एशिया में राजनीतिक और सैन्य अतिक्रमण कर रहा है.

नई दिल्ली : अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने मंगलवार को कहा कि अमेरिका भारत को मल्टी लेटरल पार्टनर के रूप में महत्व देता है, चाहे वह क्वाड के माध्यम से हो, अफगान शांति वार्ता को सफल बनाने या संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत के आगामी कार्यकाल के दौरान एक साथ काम करने के लिए हो. हम UNSC में भारत की स्थायी सदस्यता का समर्थन करेंगे.

अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, अमेरिकी रक्षा सचिव मार्क एरिजोना और विदेश मंत्री जयशंकर के साथ एक संयुक्त बयान देते हुए कहा कि अमेरिकी और भारत न कि सिर्फ चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के खतरे, बल्कि सभी तरह के खतरों के खिलाफ सहयोग को मजबूत करने के लिए कदम उठा रहे हैं.

पोम्पिओ का बयान

पिछले साल हमने साइबर मुद्दों पर अपने सहयोग का विस्तार किया और हिंद महासागर में संयुक्त अभ्यास किया. हमारे नेता और नागरिक साफ तौर पर देख रहे हैं कि चीनी कम्युनिस्ट पार्टी लोकतंत्र, कानून के शासन और पारदर्शिता का दोस्त नहीं है.

उन्होंने कहा कि मुझे यह कहते हुए खुशी हो रही है कि भारत और अमेरिका न केवल चीन से निपटने के लिए, बल्कि सभी खतरों के खिलाफ सहयोग को मजबूत करने के लिए हर मुमकिन कदम उठा रहे हैं.

भारतीय सशस्त्र बल के जवानों के बलिदानों को याद करते हुए, पोम्पिओ ने कहा कि हमने भारतीय सशस्त्र बलों के बहादुर पुरुषों और महिलाओं को सम्मानित करने के लिए राष्ट्रीय युद्ध स्मारक का दौरा किया, जिन्होंने सबसे बड़े लोकतंत्र के लिए बलिदान किया था. इनमें वह जवान भी शामिल थे, जिन्होंने हाल में चीन के साथ गलवान घाटी में हुई झड़प में अपने प्राणों की आहूति दी.

एस जयशंकर का बयान

पोम्पिओ ने दोहराया कि जब भी भारत अपनी संप्रभुता, स्वतंत्रता के लिए खतरों का सामना करेगा, अमेरिका उसके साथ खड़ा होगा. अमेरिकी अधिकारियों ने भारत-प्रशांत क्षेत्र में बढ़ती चीनी आक्रामकता के सामने अपनी रणनीतिक और सुरक्षा संबंधों को मजबूत करने के लिए भारत का दौरा किया है.

बता दें कि, उनकी दो दिवसीय यात्रा ऐसे समय में हुई है, जब भारत-चीन के बीच सीमा पर गतिरोध चल रहा है. अपनी यात्रा के दौरान उन्होंने मंगलवार को विदेश मंत्री जयशंकर और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के साथ तीसरे दौर की भारत-यूएस 2 + 2 मंत्रिस्तरीय बैठक में भाग लिया.

विश्लेषकों का कहना है कि भारत-अमेरिका संबंध अधिक संस्थागत हो रहे हैं और 2 + 2 वार्ता दोनों देशों के बीच संबंधों के बड़े संस्थागतकरण होने का प्रतिबिंब हैं.

इस तरह के महत्वपूर्ण समय पर 2 + 2 भारत अमेरिकी बातचीत, रिश्ते को आगे ले जाने के लिए दो पक्षों की प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है और साथ ही एक सामान्य समझदारी भी तय करता है, जो कि अमेरिकी चुनाव से पहले निर्धारित की गई है.

इससे पता चलता है दोनों देश एक-दूसरे के साथ सहज हैं और भारत 'इलेक्टोरल साइकिल' से आगे निकल गया है. अब इस बात का कोई फर्क नहीं पड़ता कि सत्ता में बाइडेन आएं या अमेरिकी चुनाव में ट्रंप की जीत हो.

ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन में स्ट्रेटेजिक स्टडीज प्रोग्राम के निदेशक, अध्ययन और प्रमुख वी पंत ने ईटीवी भारत को बताया कि यह एक ऐसा मुद्दा है, जिस पर दो अलग-अलग राष्ट्रपति पद के उम्मीदवारों का एक ओर ही झुकाव है, इस मायने में यह भारत-अमेरिका संबंध के लिए आयाम है, जो अब अधिक संस्थागत हो गया है.

उन्होंने कहा कि बेसिक एक्सचेंज और कोऑपरेशन एग्रीमेंट आखिरी बुनियादी समझौता है, जिसपर हस्तक्षर हुए. यह यूएस के साथ भारत के मूलभूत रक्षा संबंधों के बड़े परिदृश्य को पूरा करता है. BECA भारत के लिए संवेदनशील भौगोलिक डेटा प्राप्त करने और अमेरिका के साथ साझा करने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है.

उन्होंने आगे कहा कि मौजूदा संघर्ष में, BECA सबसे महत्वपूर्ण है. इससे पता चलता है कि दोनों पक्षों के बीच अधिक विश्वास के साथ रिश्ते की सीमाएं बदल रही हैं और दोनों देशों के बीच रिश्ता कितना मजबूत हुआ है.

इस बैठक को लेकर विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि इंडो पैसिफिक क्षेत्र वार्ता का विशेष केंद्र बिंदु था. हमने इस क्षेत्र में सभी देशों के लिए स्थिरता और शांति और समृद्धि के महत्व को दोहराया और चर्चा ने हमारे पड़ोसी देशों के विकास को भी कवर किया.

जयशंकर ने एक ही प्रेस वार्ता के दौरान कहा कि हमने चर्चा के दौरान यह स्पष्ट किया कि सीमा पार आतंकवाद पूरी तरह से अस्वीकार्य है. क्षेत्रीय मुद्दों से अलग विदेश मंत्री ने कहा कि वार्ता में पड़ोसी देशों में विकास भी शामिल है.

पढ़ें - भारत-अमेरिका का '2+2 प्लान', चीन परेशान

जयशंकर ने कहा कि जब संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य का दर्जा हासिल करने पर भारत संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ काम करने के लिए उत्सुक होगा और दोनों राष्ट्रों के बीच द्विपक्षीय संबंधों में उल्लेखनीय वृद्धि और सहयोग होगा.

इसके अलावा दोनों देशों के बीच चार महत्वपूर्ण समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए, जिनमें BECA, टेक्निकल कोऑपरेशन ऑन अर्थ साइंसेस, अरेंजमेंट एक्सटेंडिड द एग्रीमेंट ऑन न्यूक्लीयर कोऑपरेशन इन आर्युवेद एंड कैंसर रिसर्च शामिल हैं.

रिपोर्टों के अनुसार इस क्षेत्र में चीन की बढ़ती आर्थिक और सैन्य शक्ति के खिलाफ पोम्पियो श्रीलंका और मालदीव की यात्रा भी करेंगे.

भारतीय महासागर के यह दोनों देश बड़े बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को पूरा करने के लिए चीनी ऋण के तले दबे हुए हैं.

उल्लेखनीय है कि, पोम्पिओ इंडोनेशिया में अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव से पहले अपनी यात्रा को संपन्न करेंगे. बता दें कि इंडोनेशिया भी दक्षिणी चीनी सागर में चीन के साथ गतिरोध का सामना कर रहा है.

पहले दो 2 + 2 मंत्रिस्तरीय संवाद सितंबर 2018 में नई दिल्ली और 2019 में वॉशिंगटन डीसी में आयोजित किए गए थे. भारत और अमेरिका मिलकर सहयोगी चीन के खिलाफ तेजी से आगे बढ़ने के प्रयास कर रहे हैं, जो पूरे एशिया में राजनीतिक और सैन्य अतिक्रमण कर रहा है.

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