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भारत-चीन तनाव : आज होनी थी सैन्य स्तरीय वार्ता, चीन नहीं हुआ सहमत

भारतीय सेना के सूत्रों ने ईटीवी भारत को बताया है कि आज (गुरुवार) होने वाली कोर कमांडर स्तरीय बैठक का कार्यक्रम बनाने के बावजूद, पीएलए के साथ सहमति नहीं बन पाई. जिससे इन अटकलों को बल मिला है कि क्या चीन वास्तव में डी-एस्केलेशन करना चाहता है या यह सिर्फ समय बर्बाद कर रहा है? पढ़िए वरिष्ठ पत्रकार संजीब कुमार बरुआ की रिपोर्ट...

भारत-चीन सैन्य स्तर की वार्ता
भारत-चीन सैन्य स्तर की वार्ता
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Published : Jul 30, 2020, 5:49 PM IST

नई दिल्ली : पूर्वी लद्दाख में भारत-चीन सीमा पर दोनों देशों की सेनाएं वास्तविक नियंत्रण रेखा पर डटी हुई हैं. इस कारण 'डिसइंगेजमेंट और डि-एस्केलेशन प्रक्रिया' (DDP) को लेकर होने वाली अगले दौर की कॉर्प्स कमांडर स्तर की वार्ता पर अनिश्चितता के बादल छाए हुए हैं, जिससे अटकलें लगाई जा रही हैं कि क्या चीन वास्तव में सीमा विवाद के कारण बढ़ रहे तनाव को कम करना चाहता है या यह सिर्फ समय बर्बाद कर रहा है?

भारतीय सेना के सूत्रों ने ईटीवी भारत को बताया है कि आज (गुरुवार) होने वाली कोर कमांडर स्तरीय बैठक का कार्यक्रम बनाने के बावजूद, पीएलए के साथ सहमति नहीं बन पाई.

एक सूत्र ने कहा, उन्होंने (चीन) तारीख तय करने से इनकार कर दिया. पैंगोंग नदी दोनों सेनाओं के बीच गतिरोध बनी हुई है.

सूत्र ने बताया कि चीनी पीएलए पोंगोंग त्सो गतिरोध को पहले हल करने के लिए आग्रह कर रहा है, जबकि भारतीय सेना एजेंडा में सभी हिंसक बिंदुओं को शामिल करने के लिए उत्सुक है. बैठक के लिए बुनियादी आम एजेंडे पर सहमति के बिना तारीख तय नहीं की जा सकती है.

बता दें कि भारत चीन सेना के बीच हुए गतिरोध के बाद अब तक कोर कमांडर स्तर की छह जून, 22 जून, 30 जून और 14 जुलाई को चार बैठकें वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चुशुल-मोल्दो में हो चुकी हैं.

क्षेत्र में चीन को मिलने वाले लाभ के अलावा लद्दाख के पूर्वी हिस्से में पड़ने वाली कड़ाके की सर्दी का सामना करने के लिए चीन आवश्यक बुनियादी ढांचे, रसद और उपकरणों के मामले में भारत के मुकाबले कई गुना बेहतर तरीके से तैयार है.

ऐसे में कोरोना वायरस महामारी जूझ रहे भारत को अपने उपकरणों के रखरखाव के साथ-साथ बड़ी संख्या में सैनिकों को तैनात रखने की वित्तीय लागत भारतीय अर्थव्यवस्था पर भारी पड़ सकती है.

फिलहाल पूर्वी लद्दाख में चार प्रमुख फ्लैशप्वाइंट हैं- गलवान घाटी (पीपी 14), पैंगोंग झील (फिंगर 4), हॉट स्प्रिंग्स (पीपी 15) और गोगरा (पीपी 17).

पैंगोंग त्सो फेस-ऑफ वास्तव में महत्वपूर्ण है, फिलहाल फिंगर चार पर पीएलए मौजूद है, जहां से आसानी से गोगरा घाटी और हॉट स्प्रिंग पर हमला किया जा सकता है.

पांच मई को पैंगोंग नदी के उत्तरी किनारे पर फिंगर चार के पास दोनों सेनाओं के बीच पहली हिंसक घटना हुई थी, जिसके बाद दोनों सेनाओं के बीच लगातार तनाव बढ़ता गया.

पांच मई को फिंगर चार के पास एक भारतीय सेना के गश्ती दल को रोकने के अलावा, पीएलए ने फिंगर चार रिजलाइन पर अर्ध-स्थायी इमारत (semi-permanent pillbox) संरचनाओं में लगभग 50 सैनिकों को तैनात कर दिया था.

पढ़ें- डोभाल की चीनी विदेश मंत्री से सौहार्दपूर्ण बातचीत, भारत-चीन की सेनाएं एलएसी से पीछे हटीं

हालांकि डिस्केलशन के लिए हुई पहले दौर की बातचीत के बाद पीएलए फिंगर चार से हटकर फिंगर पांच पर पहुंच गई, लेकिन उसके बाद पीएलए ने पीछे हटने से इनकार कर दिया.

फिंगर एक से फिंगर आठ, पहाड़ों से दक्षिण की ओर पैंगोंग झील से उत्तर-दक्षिण दिशा में निकलते हैं. यहां भारत फिंगर आठ के पास एलएसी का दावा करता है, वहीं चीन फिंगर तीन तक क्षेत्र का दावा करता है. जबकि अतीत में पीएलए ने फिंगर 8 से फिंगर 4 तक गश्त की और भारतीय सेना ने फिंगर 4 से 8 तक गश्त की है.

इस समय, दोनों पक्ष क्षेत्र में कुल एक लाख से अधिक सैनिक तैनात कर चुके हैं. साथ ही क्षेत्र में विमान तोपो और अन्य सैन्य उपकरणों को भी तैनात किया गया है.

नई दिल्ली : पूर्वी लद्दाख में भारत-चीन सीमा पर दोनों देशों की सेनाएं वास्तविक नियंत्रण रेखा पर डटी हुई हैं. इस कारण 'डिसइंगेजमेंट और डि-एस्केलेशन प्रक्रिया' (DDP) को लेकर होने वाली अगले दौर की कॉर्प्स कमांडर स्तर की वार्ता पर अनिश्चितता के बादल छाए हुए हैं, जिससे अटकलें लगाई जा रही हैं कि क्या चीन वास्तव में सीमा विवाद के कारण बढ़ रहे तनाव को कम करना चाहता है या यह सिर्फ समय बर्बाद कर रहा है?

भारतीय सेना के सूत्रों ने ईटीवी भारत को बताया है कि आज (गुरुवार) होने वाली कोर कमांडर स्तरीय बैठक का कार्यक्रम बनाने के बावजूद, पीएलए के साथ सहमति नहीं बन पाई.

एक सूत्र ने कहा, उन्होंने (चीन) तारीख तय करने से इनकार कर दिया. पैंगोंग नदी दोनों सेनाओं के बीच गतिरोध बनी हुई है.

सूत्र ने बताया कि चीनी पीएलए पोंगोंग त्सो गतिरोध को पहले हल करने के लिए आग्रह कर रहा है, जबकि भारतीय सेना एजेंडा में सभी हिंसक बिंदुओं को शामिल करने के लिए उत्सुक है. बैठक के लिए बुनियादी आम एजेंडे पर सहमति के बिना तारीख तय नहीं की जा सकती है.

बता दें कि भारत चीन सेना के बीच हुए गतिरोध के बाद अब तक कोर कमांडर स्तर की छह जून, 22 जून, 30 जून और 14 जुलाई को चार बैठकें वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चुशुल-मोल्दो में हो चुकी हैं.

क्षेत्र में चीन को मिलने वाले लाभ के अलावा लद्दाख के पूर्वी हिस्से में पड़ने वाली कड़ाके की सर्दी का सामना करने के लिए चीन आवश्यक बुनियादी ढांचे, रसद और उपकरणों के मामले में भारत के मुकाबले कई गुना बेहतर तरीके से तैयार है.

ऐसे में कोरोना वायरस महामारी जूझ रहे भारत को अपने उपकरणों के रखरखाव के साथ-साथ बड़ी संख्या में सैनिकों को तैनात रखने की वित्तीय लागत भारतीय अर्थव्यवस्था पर भारी पड़ सकती है.

फिलहाल पूर्वी लद्दाख में चार प्रमुख फ्लैशप्वाइंट हैं- गलवान घाटी (पीपी 14), पैंगोंग झील (फिंगर 4), हॉट स्प्रिंग्स (पीपी 15) और गोगरा (पीपी 17).

पैंगोंग त्सो फेस-ऑफ वास्तव में महत्वपूर्ण है, फिलहाल फिंगर चार पर पीएलए मौजूद है, जहां से आसानी से गोगरा घाटी और हॉट स्प्रिंग पर हमला किया जा सकता है.

पांच मई को पैंगोंग नदी के उत्तरी किनारे पर फिंगर चार के पास दोनों सेनाओं के बीच पहली हिंसक घटना हुई थी, जिसके बाद दोनों सेनाओं के बीच लगातार तनाव बढ़ता गया.

पांच मई को फिंगर चार के पास एक भारतीय सेना के गश्ती दल को रोकने के अलावा, पीएलए ने फिंगर चार रिजलाइन पर अर्ध-स्थायी इमारत (semi-permanent pillbox) संरचनाओं में लगभग 50 सैनिकों को तैनात कर दिया था.

पढ़ें- डोभाल की चीनी विदेश मंत्री से सौहार्दपूर्ण बातचीत, भारत-चीन की सेनाएं एलएसी से पीछे हटीं

हालांकि डिस्केलशन के लिए हुई पहले दौर की बातचीत के बाद पीएलए फिंगर चार से हटकर फिंगर पांच पर पहुंच गई, लेकिन उसके बाद पीएलए ने पीछे हटने से इनकार कर दिया.

फिंगर एक से फिंगर आठ, पहाड़ों से दक्षिण की ओर पैंगोंग झील से उत्तर-दक्षिण दिशा में निकलते हैं. यहां भारत फिंगर आठ के पास एलएसी का दावा करता है, वहीं चीन फिंगर तीन तक क्षेत्र का दावा करता है. जबकि अतीत में पीएलए ने फिंगर 8 से फिंगर 4 तक गश्त की और भारतीय सेना ने फिंगर 4 से 8 तक गश्त की है.

इस समय, दोनों पक्ष क्षेत्र में कुल एक लाख से अधिक सैनिक तैनात कर चुके हैं. साथ ही क्षेत्र में विमान तोपो और अन्य सैन्य उपकरणों को भी तैनात किया गया है.

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