नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने बहुचर्चित तीन तलाक बिल भले ही लोकसभा में पास करा लिया हो लेकिन इस बिल को लेकर मुस्लिम उलेमाओं ने सरकार की मंशा पर सवाल उठाया है. उलेमाओं का कहना है कि मुस्लिमों से ज्यादा आज इसकी जरूरत हिंदू महिलाओं को है. लेकिन सरकार को सिर्फ मुस्लिम महिलाओं की फिक्र है.
गौरतलब है कि लोकसभा के मॉनसून सत्र में गुरुवार को तीन तलाक बिल फिर से पेश किया गया. इस पर दिनभर चर्चा हुई और यह बिल लोकसभा में पास हो गया. बहस पूरी होने के बाद हुई वोटिंग में तीन तलाक बिल के पक्ष में 303 और विपक्ष में सिर्फ 82 ही वोट पड़े.
मुस्लिम उलेमाओं की बैठक का हुआ आयोजन
हेल्थ यूनिटी ऑर्गेनाइजेशन के तत्वावधान में तीन तलाक बिल को लेकर मुस्लिम उलेमाओं की एक बैठक का आयोजन किया गया. इस बैठक की अध्यक्षता मौलाना मोहम्मद इफ्तखार हुसैन मदनी ने की. इस बैठक का संचालन ऑर्गनाइजेशन के चेयरमैन एस. करीम ने किया. बैठक में मौलाना इफ्तखार मदनी, मौलाना शमीम आदिल, नाजिम जावेद, मुफ्ती मौहम्मद अली, मौलाना मोहम्मद जमशीद, मौलाना मौ.एजाज नौमानी, मौ.जावेद और मौम्मद शम्स तबरेज ने अपने विचार रखे.
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बैठक में उलेमाओं ने रखी अपनी बात
मौलाना इफ्तखार ने कहा कि इस बिल को लाने के पीछे आखिर सरकार की मंशा क्या है, यह बात साफ नहीं होती नजर आ रही. तलाक के मामले अगर गौर किया जाए तो मुसलमानों से ज्यादा गैर मुस्लिम महिलाओं के साथ ज्यादा होते हैं, लेकिन सरकार को सिर्फ मुस्लिम महिलाओं की परेशानी ही दिखाई दे रही है.
बैठक में मौलाना शमीम आदिल ने कहा कि यह देश गंगा जमुनी तहजीब के लिए जाना जाता है और यहां हर धर्म के लोगों को अपने धर्म अनुसरण करने की आजादी है. इस तरह का कानून शरीयत में दखलंदाजी है, जोकि सरासर नाकाबिले बर्दाश्त है.