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तीन तलाक बिल: उलेमाओं ने जताई नाराजगी, कहा- इस तरह का कानून शरीयत में दखलंदाजी है

हेल्थ यूनिटी ऑर्गेनाइजेशन के तत्वावधान में तीन तलाक बिल को लेकर मुस्लिम उलेमाओं की एक बैठक का आयोजन किया गया. बैठक में तीन तलाक बिल के पास होने पर उलेमाओं ने नाराजगी जताई है. जानें क्या है पूरा मामला...

तीन तलाक बिल: उलेमाओं ने जताई नाराजगी
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Published : Jul 27, 2019, 8:58 AM IST

नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने बहुचर्चित तीन तलाक बिल भले ही लोकसभा में पास करा लिया हो लेकिन इस बिल को लेकर मुस्लिम उलेमाओं ने सरकार की मंशा पर सवाल उठाया है. उलेमाओं का कहना है कि मुस्लिमों से ज्यादा आज इसकी जरूरत हिंदू महिलाओं को है. लेकिन सरकार को सिर्फ मुस्लिम महिलाओं की फिक्र है.

गौरतलब है कि लोकसभा के मॉनसून सत्र में गुरुवार को तीन तलाक बिल फिर से पेश किया गया. इस पर दिनभर चर्चा हुई और यह बिल लोकसभा में पास हो गया. बहस पूरी होने के बाद हुई वोटिंग में तीन तलाक बिल के पक्ष में 303 और विपक्ष में सिर्फ 82 ही वोट पड़े.

मुस्लिम उलेमाओं की बैठक का हुआ आयोजन
हेल्थ यूनिटी ऑर्गेनाइजेशन के तत्वावधान में तीन तलाक बिल को लेकर मुस्लिम उलेमाओं की एक बैठक का आयोजन किया गया. इस बैठक की अध्यक्षता मौलाना मोहम्मद इफ्तखार हुसैन मदनी ने की. इस बैठक का संचालन ऑर्गनाइजेशन के चेयरमैन एस. करीम ने किया. बैठक में मौलाना इफ्तखार मदनी, मौलाना शमीम आदिल, नाजिम जावेद, मुफ्ती मौहम्मद अली, मौलाना मोहम्मद जमशीद, मौलाना मौ.एजाज नौमानी, मौ.जावेद और मौम्मद शम्स तबरेज ने अपने विचार रखे.

मुस्लिम उलेमा द्वारा दिया गया बयान

पढ़ें: तीन तलाक बिल पर भाजपा सहयोगी जेडीयू का विरोध

बैठक में उलेमाओं ने रखी अपनी बात
मौलाना इफ्तखार ने कहा कि इस बिल को लाने के पीछे आखिर सरकार की मंशा क्या है, यह बात साफ नहीं होती नजर आ रही. तलाक के मामले अगर गौर किया जाए तो मुसलमानों से ज्यादा गैर मुस्लिम महिलाओं के साथ ज्यादा होते हैं, लेकिन सरकार को सिर्फ मुस्लिम महिलाओं की परेशानी ही दिखाई दे रही है.

बैठक में मौलाना शमीम आदिल ने कहा कि यह देश गंगा जमुनी तहजीब के लिए जाना जाता है और यहां हर धर्म के लोगों को अपने धर्म अनुसरण करने की आजादी है. इस तरह का कानून शरीयत में दखलंदाजी है, जोकि सरासर नाकाबिले बर्दाश्त है.

नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने बहुचर्चित तीन तलाक बिल भले ही लोकसभा में पास करा लिया हो लेकिन इस बिल को लेकर मुस्लिम उलेमाओं ने सरकार की मंशा पर सवाल उठाया है. उलेमाओं का कहना है कि मुस्लिमों से ज्यादा आज इसकी जरूरत हिंदू महिलाओं को है. लेकिन सरकार को सिर्फ मुस्लिम महिलाओं की फिक्र है.

गौरतलब है कि लोकसभा के मॉनसून सत्र में गुरुवार को तीन तलाक बिल फिर से पेश किया गया. इस पर दिनभर चर्चा हुई और यह बिल लोकसभा में पास हो गया. बहस पूरी होने के बाद हुई वोटिंग में तीन तलाक बिल के पक्ष में 303 और विपक्ष में सिर्फ 82 ही वोट पड़े.

मुस्लिम उलेमाओं की बैठक का हुआ आयोजन
हेल्थ यूनिटी ऑर्गेनाइजेशन के तत्वावधान में तीन तलाक बिल को लेकर मुस्लिम उलेमाओं की एक बैठक का आयोजन किया गया. इस बैठक की अध्यक्षता मौलाना मोहम्मद इफ्तखार हुसैन मदनी ने की. इस बैठक का संचालन ऑर्गनाइजेशन के चेयरमैन एस. करीम ने किया. बैठक में मौलाना इफ्तखार मदनी, मौलाना शमीम आदिल, नाजिम जावेद, मुफ्ती मौहम्मद अली, मौलाना मोहम्मद जमशीद, मौलाना मौ.एजाज नौमानी, मौ.जावेद और मौम्मद शम्स तबरेज ने अपने विचार रखे.

मुस्लिम उलेमा द्वारा दिया गया बयान

पढ़ें: तीन तलाक बिल पर भाजपा सहयोगी जेडीयू का विरोध

बैठक में उलेमाओं ने रखी अपनी बात
मौलाना इफ्तखार ने कहा कि इस बिल को लाने के पीछे आखिर सरकार की मंशा क्या है, यह बात साफ नहीं होती नजर आ रही. तलाक के मामले अगर गौर किया जाए तो मुसलमानों से ज्यादा गैर मुस्लिम महिलाओं के साथ ज्यादा होते हैं, लेकिन सरकार को सिर्फ मुस्लिम महिलाओं की परेशानी ही दिखाई दे रही है.

बैठक में मौलाना शमीम आदिल ने कहा कि यह देश गंगा जमुनी तहजीब के लिए जाना जाता है और यहां हर धर्म के लोगों को अपने धर्म अनुसरण करने की आजादी है. इस तरह का कानून शरीयत में दखलंदाजी है, जोकि सरासर नाकाबिले बर्दाश्त है.

Intro:केंद्र की मोदी सरकार ने बहुचर्चित तीन तलाक बिल भले ही लोकसभा में पास करा लिया हो, लेकिन इस बिल को लेकर मुस्लिम उलेमाओं ने सरकार की मंशा को लेकर सवाल उठाया है, उलेमाओं का कहना है कि मुस्लिमों से ज्यादा आज इसकी जरूरत हिंदू महिलाओं को है,लेकिन सरकार को सिर्फ मुस्लिम महिलाओं की फिक्र है.उलेमाओं का कहना था कि यह देश गंगा जमुनी तहजीब के लिए जाना जाता है और यहां हर किसी को अपने धर्म के हिसाब से जीवन यापन करने का अधिकार है, सरकार इस बारे में फिर से सोचना चाहिए. उलेमाओं का साफ कहना था कि सरकार का यह बिल शरीयत में दखलंदाजी है.


Body:हेल्थ यूनिटी ऑर्गेनाइजेशन के तत्वावधान में तीन तलाक बिल को लेकर मुस्लिम उलेमाओं की एक बैठक का आयोजन किया गया, इस बैठक की अध्यक्षता खुद मौलाना मोहम्मद इफ्तखार हुसैन मदनी ने की तथा संचालन ऑर्गनाइजेशन के चेयरमैन एस. करीम ने किया. बैठक में मौलाना इफ्तखार मदनी, मौलाना शमीम आदिल,नाजिम जावेद, मुफ़्ती मौहम्मद अली , मौलाना मोहम्मद जमशीद, मौलाना मौ.एजाज नौमानी, मौ.जावेद और मौम्मद शम्स तबरेज ने अपने विचार रखे, साथ ही उलेमाओं ने मांग की सरकार को अपने इस फैसले पर फिर से विचार करते हुए शरीयत में दखलंदाजी करने से बचना चाहिए.

गौरतलब है कि लोकसभा के मानसून सत्र में गुरुवार को तीन तलाक बिल फिर से पेश किया गया जिसपर दिनभर चर्चा हुई और एक बार फिर से यह बिल लोकसभा में पास हो गया. बहस पूरी होने के बाद हुई वोटिंग में तीन तलाक बिल के पक्ष में 303 और विपक्ष में सिर्फ 82 ही वोट पड़े. कहने को यह तीन तलाक बिल पिछली लोकसभा में ही पास हो गया था, लेकिन राज्यसभा ने इस बिल को वापस कर दिया था.16 वीं लोकसभा का कार्यकाल खत्म होने के बाद मोदी सरकार कुछ बदलावों के साथ इस बिल को दुबारा लोकसभा में लेकर आई थी. लोकसभा में तीन तलाक बिल को पेश करने के लिए वोटिंग कराई गई, जिसके बाद बिल को पेश करने का प्रस्ताव पारित हो गया.
इस मौके पर मौलाना इफ्तखार ने कहा कि इस बिल को लाने के पीछे आखिर सरकार की मंशा क्या है यह बात साफ नहीं होती. तलाक के मामले अगर गौर किया जाए तो मुसलमानों से ज्यादा गैर मुस्लिम महिलाओं के साथ ज्यादा होते हैं, लेकिन सरकार को सिर्फ मुस्लिम महिलाओं की परेशानी ही दिखाई दे रही है, जोकि कानून बनाने लायक जितनी बड़ी है भी नहीं.
बैठक में मौलाना शमीम आदिल ने कहा कि यह देश गंगा जमुनी तजेव्ब के लिए जाना जाता है और यहां हर धर्म के लोगों को अपने धर्म अनुसरण करने की आजादी है, इस तरह का कानून शरीयत में दखलंदाजी है, जोकि सरासर नाकाबिले बर्दाश्त है.


Conclusion:

बाईट 1
मौलाना इफ्तखार हुसैन मदनी
शेखुल हदीस,मदरसा अब्दुल अरब, कश्मीरी गेट


बाईट 2
मौलाना शमीम आदिल
मुस्लिम उलेमा

बाईट 3
मौ.रिजवान मसूदी देहलवी
महासचिव,ऑल इंडिया कौमी काउंसिल



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