नई दिल्ली : केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया है कि तबलीगी जमात के विदेशी आरोपियों में, जिन्होंने अपनी ब्लैकलिस्टिंग और वीजा रद्दीकरण को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी, 23 लोगों को दोषी ठहराया गया है. उन पर 5000 रुपये का जुर्माना लगाया है और उन्हें स्वदेश लौटने की अनुमति प्रदान कर दी गई है.
याचिकाकर्ताओं ने उन पर लगाए गए कम गंभीरता वाले आरोपों को स्वीकार कर लिया क्योंकि वे ट्रायल पर नहीं आना चाहते थे. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि कुल याचिकाकर्ताओं में से नौ लोग केस लड़ना चाहते हैं और उनके केस विभिन्न कोर्टों में लंबित हैं.
न्यायमूर्ति एएम खानविल्कर की अगुआई वाली पीठ ने सॉलिसिटर जनरल से कहा कि मुकदमे को जल्दी खत्म करने के लिए क्या किया जा सकता है, इस पर विचार किया जाए. साथ ही याचिकाकर्ताओं को क्या दिक्कत हो रही है, उस पर भी नजर डालें. इन याचिकाकर्ताओं के वकील ने कहा कि इन्हें अपने पासपोर्ट वापस मिलने में परेशानी हो रही है.
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अदालत ने मामले को 31 जुलाई तक के लिए स्थगित कर दिया, जब तक कि एसजी इस मामले पर अपना जवाब नहीं देते.
शीर्ष अदालत उन विदेशी नागरिकों की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जो दिल्ली के निजामुद्दीन में तबलीगी जमात के कार्यक्रम में शामिल हुए थे. इन पर आरोप था कि इन्होंने कोरोना के चलते लागू लॉकडाउन के दिशानिर्देशों का उल्लंघन किया था. इस वजह से उन्हें ब्लैकलिस्ट कर दिया गया था और उनके वीजा रद्द कर दिए गए थे.