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26/11 हमला : तीन मछुआरों के परिजनों को 12 साल बाद मिला मुआवजा

गुजरात सरकार ने नवसारी जिले के तीन मछुआरों के परिजनों को पांच-पांच लाख रुपये का मुआवजा दिया है. माना जाता है कि 26/11 हमले से पहले पाकिस्तान से आए आतंकियों ने पांच मछुआरों की हत्या कर दी थी. घटना के 12 साल पांच में से तीन मछुआरों के परिजन को मुआवजा दिया गया.

26/11 हमला
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Published : Dec 1, 2020, 5:00 PM IST

नवसारी : देश की आर्थिक राजधानी मुंबई पर 26 नवंबर, 2008 को हमले से पहले पाकिस्तानी आतंकवादियों ने पांच मछुआरों की हत्या की थी और इन्हीं पांच में से तीन मछुआरों के परिजनों को घटना के 12 साल बाद गुजरात सरकार ने पांच-पांच लाख रुपये का मुआवजा दिया है. एक अधिकरी ने मंगलवार को यह जानकारी दी.

उन्होंने बताया कि दो मछुआरों के परिवार को पूर्व में विभिन्न प्राधिकारियों द्वारा मुआवजा दिया जा चुका है. इनमें 'कुबेर' नामक मछली पकड़ने वाले ट्रॉलर के कैप्टन अमरसिंह सोलंकी शामिल हैं.

अधिकारी ने बताया कि गुजरात के नवसारी जिले के जलालपुर तालुका के वंसी गांव के रहने वाले तीन अन्य मछुआरों नटू राठौड़, मुकेश राठौड़ और बलवंत टांडेल के परिवार आर्थिक सहायता का इंतजार कर रहे थे. उन्होंने बताया कि तीन मृतक मछुआरों के परिवारों के सदस्यों को पांच-पांच लाख रुपये की सहायता सावधि जमा के रूप में दी गई.

पढ़ें- 26/11 अटैक : हिमाचल के इसी लाल ने कमांडो फोर्स को किया था लीड

नवसारी जिले के आपदा प्रबंधन शाखा की मामलादार रोशनी पटेल ने बताया कि शुक्रवार को मछुआरों के परिवार को सावधि जमा राशि के दस्तावेज सौंपे गए. पटेल ने बताया कि सरकार के नियमों के तहत तीनों मछुआरों के परिवार को पांच-पांच लाख रुपये की सावधि जमा राशि के दस्तावेज दिए और इसकी मियाद पूरी होने की समयसीमा तीन साल है.

2017 में मृत घोषित किए गए थे मछुआरे
उल्लेखनीय है कि नवसारी की दीवानी अदालत ने फरवरी 2017 में तीनों मछुआरों को मृत घोषित किया था. इससे पहले मृतकों के परिजन ने मुआवजे के लिए अदालत का रुख किया था, क्योंकि राज्य सरकार द्वारा उन्हें मृत घोषित नहीं किए जाने की वजह से सहायता संभव नहीं थी.

नवसारी : देश की आर्थिक राजधानी मुंबई पर 26 नवंबर, 2008 को हमले से पहले पाकिस्तानी आतंकवादियों ने पांच मछुआरों की हत्या की थी और इन्हीं पांच में से तीन मछुआरों के परिजनों को घटना के 12 साल बाद गुजरात सरकार ने पांच-पांच लाख रुपये का मुआवजा दिया है. एक अधिकरी ने मंगलवार को यह जानकारी दी.

उन्होंने बताया कि दो मछुआरों के परिवार को पूर्व में विभिन्न प्राधिकारियों द्वारा मुआवजा दिया जा चुका है. इनमें 'कुबेर' नामक मछली पकड़ने वाले ट्रॉलर के कैप्टन अमरसिंह सोलंकी शामिल हैं.

अधिकारी ने बताया कि गुजरात के नवसारी जिले के जलालपुर तालुका के वंसी गांव के रहने वाले तीन अन्य मछुआरों नटू राठौड़, मुकेश राठौड़ और बलवंत टांडेल के परिवार आर्थिक सहायता का इंतजार कर रहे थे. उन्होंने बताया कि तीन मृतक मछुआरों के परिवारों के सदस्यों को पांच-पांच लाख रुपये की सहायता सावधि जमा के रूप में दी गई.

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नवसारी जिले के आपदा प्रबंधन शाखा की मामलादार रोशनी पटेल ने बताया कि शुक्रवार को मछुआरों के परिवार को सावधि जमा राशि के दस्तावेज सौंपे गए. पटेल ने बताया कि सरकार के नियमों के तहत तीनों मछुआरों के परिवार को पांच-पांच लाख रुपये की सावधि जमा राशि के दस्तावेज दिए और इसकी मियाद पूरी होने की समयसीमा तीन साल है.

2017 में मृत घोषित किए गए थे मछुआरे
उल्लेखनीय है कि नवसारी की दीवानी अदालत ने फरवरी 2017 में तीनों मछुआरों को मृत घोषित किया था. इससे पहले मृतकों के परिजन ने मुआवजे के लिए अदालत का रुख किया था, क्योंकि राज्य सरकार द्वारा उन्हें मृत घोषित नहीं किए जाने की वजह से सहायता संभव नहीं थी.

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