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विशेष : कोरोना ने बदल दी जिंदगी, चिल्लाने पर भी लगी पाबंदी

जापान में 30 से अधिक प्रमुख मनोरंजन पार्क ऑपरेटरों के संघ से बनी पूर्व और पश्चिम जापान थीम पार्क एसोसिएशनों द्वारा जारी किए गए दिशानिर्देश कुछ इस तरह से कहते है: "ग्राहक सेवा की एक नई शैली के रूप में, जब आप एक मुखौटा पहने हुए होते हैं, तो आप आगंतुकों के साथ संवाद करने के लिए मुस्कुराती हुई आंखों, हाथ के इशारों आदि को वार्तालाप करने के लिए उपयोग में लाना चाहिए.”

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Published : Jul 31, 2020, 11:26 AM IST

अपने मन के भीतर चिल्लाओ
अपने मन के भीतर चिल्लाओ

हैदराबादः आज जब दुनिया लॉकडाउन के उपायों को आसान बनाने और आर्थिक गतिविधियों को फिर से शुरू करने की कोशिश कर रही है, निश्चित रूप से चीजें नए सामान्य हालात में कभी भी सामान्य नहीं होंगे. एक तरफदुनिया के विभिन्न हिस्सों में प्रशासन को परिवहन, स्कूल, व्यवसाय और मनोरंजन सहित सुरक्षित गतिविधियों के लिए उपयुक्त वातावरण सुनिश्चित करना होगा. दूसरी ओरआम लोगों को भी अधिकारियों के निर्देशों का पालन करने और समझदारी दिखाने की आवश्यकता है.

जापान में थीम पार्क, जिन्हें कोविड -19 का मुकाबला करने के लिए फरवरी की शुरुआत में बंद कर दिया गया था, जुलाई में फिर से खोल दिए जाने पर एक विशिष्ट उदाहरण सामने आया.

जापान में प्रमुख थीम पार्क ऑपरेटरों के एक समूह ने मेहमानों और कर्मचारियों दोनों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए दिशानिर्देशों की एक सूची जारी की है. उनमें प्राकृतिक उपाय जैसे सामाजिक दूरी और बढ़ी हुई सैनिटाइजिंग, शरीर के नियमित तापमान की जांच और नाक और मुंह को ढंकने के लिए मास्क का उपयोग शामिल किए गए हैं. जापान में 30 से अधिक प्रमुख मनोरंजन पार्क ऑपरेटरों के संघ से बनी पूर्व और पश्चिम जापान थीम पार्क एसोसिएशनों द्वारा जारी किए गए दिशानिर्देश कुछ इस तरह से कहते है: "ग्राहक सेवा की एक नई शैली के रूप में, जब आप एक मुखौटा पहने हुए होते हैं, तो आप आगंतुकों के साथ संवाद करने के लिए मुस्कुराती हुई आंखों, हाथ के इशारों आदि को वार्तालाप करने के लिए उपयोग में लाना चाहिए.”

ग्राहक सेवा से भी समझौता किया जा सकता है क्योंकि बातचीत को यथासंभव कम रखा जाना चाहिए. इस प्रकार नया सामान्य' निश्चित रूप से इशारों को अघिक तरजीह देता है, और शब्दों के इस्तेमाल पर कम. यहां तक कि किसी भवन के अन्दर गाया जाने वाले गायन को संक्रमण को अधिक तेज़ी से फ़ैलाने वाली ’गतिविधि माना जा सकता है.

साथ ही, एक और अनुरोध है जिसे जापानी थीम पार्कों के आगंतुकों को अनुपालन करने के लिए संघर्ष करना पड़ सकता है. मास्क के उपयोग के साथ साथ – ‘कोई चिल्लाये नहीं’- यहां तक कि एक रोलर कोस्टर की सवारी करते समय भी नहीं. निश्चित रूप से ये फैसला कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए लिया गया है, क्योंकि चिल्लाते समय मुंह से निकलने वाली बूंदे 120 किमी / घंटा या उससे अधिक की गति से बाहर आने की क्षमता है रखती है, और इस प्रतिबन्ध से संक्रमण को बाधित करने में मदद मिलेगी.

सोचकर ही कितना अजीब सा लगता है कि रोलर कोस्टर की सवारी तो करें मगर चिल्लाएं नहीं, क्योंकि ये दोनों गहराई से जुड़े हुए हैं. असल में, यहां तक कि दुनिया के विभिन्न हिस्सों में कुछ प्रसिद्ध रोलर कोस्टर के नाम भी इस जुडाव पर आधारित हैं; जैसे ‘स्काई स्क्रीम’ एक इस्पात का बना रोलर कोस्टर है, जो हलोच, राइनलैंड-पैलेटिनेट, जर्मनी के हॉलिडे पार्क में स्थित है, और ‘स्क्रीम!’भी एक इस्पात का बना रोलर कोस्टर है, जो अमेरिका के कैलिफोर्निया के वेलेंसिया में सिक्स फ्लैग्स मैजिक माउंटेन में स्थित है.

निश्चित रूप से, सैकड़ों फीट से अचानक नीचे आते हुए न चिल्लाने की शर्त को पूरा करना आसान नहीं होगा. जापान में फ़ूजी-क्यू हाइलैंड थीम पार्क ने एक वीडियो भी पोस्ट किया है जिसमें पार्क के दो अधिकारियों को एक बार भी चिल्लाए बग़ैर पार्क के फुजियामा रोलर कोस्टर पर गंभीरतापूर्वक नीचे तेज़ी से आते हुए दिखाया गया है. वीडियो संदेश के साथ समाप्त होता है: "कृपया अपने मन के भीतर चिल्लाएं.” यहां तक कि इसके जवाब में रोलर कोस्टर की सवारी के दौरान "गंभीर चेहरे की चुनौती" को लेकर लोगों द्वारा सोशल मीडिया पर ट्रेंड किया जा रहा है.

निश्चित रूप से, अब तक मेरी जानकारी के अनुसार, दुनिया के अन्य थीम पार्कों ने इस तरह का नियम अभी तक नहीं लगाया है. उदाहरण के लिए, ऑरलैंडो के डिज्नी वर्ल्ड पार्क को भी जुलाई में फिर से खोल दिया गया है, लेकिन वहां कोई चिल्लाने को लेकर प्रतिबंध की घोषणा नहीं की गई है.

मौज-मस्ती और मनोरंजन के स्थानों में इस तरह के प्रतिबंधों को लागू करना कभी आसान नहीं होता है, यदि , चिल्लाने पर प्रतिबन्ध लगाने वाले कानून के उल्लंघन पर सख्त सजा या जुर्माना लगाया गया तो लोग ऐसी जगहों पर जाने से बचने लगेंगे. दिलचस्प बात यह है कि जापानी थीम पार्क में चिल्लाने से मना करने वाले निर्देश के उल्लंघन पर कोई सजा नहीं है, फिर भी लोग नियमों का पालन करने की कोशिश कर रहे हैं. वास्तव में, यह सब अनुशासन और संस्कृति से सम्बंधित है.

जापान में सामाजिक शिष्टाचार के प्रति जुनून हैं, खांसी-जुकाम के शिकार लोगों ने दूसरों को अपने द्वारा फैलाये संक्रमण के जीवाणुओं से बचाने के लिए नाक-मुंह ढंकने के लिए मास्क को अपने आधुनिक जीवन का अनिवार्य हिस्सा बना लिया है.

देश के लोग दशकों से फेस मास्क का इस्तेमाल कर रहे हैं - न केवल खुद की रक्षा करने के लिए, बल्कि दूसरों की सुरक्षा के लिए भी. सामाजिक शिष्टाचार के साथ इस तरह के जुनून को संक्रमण के इस समय के दौरान बढ़ाए जाने की संभावना है, और यह संभव है कि खतरनाक रोलर कोस्टर की सवारी के दौरान ना चिल्लाने वाले दिशानिर्देश का पालन भी जापानसियों द्वारा सफलतापूर्वक किया जायेगा.

यह प्रयास पूर्वी एशिया के कुछ हिस्सों सहित कुछ अन्य स्थानों पर भी थोड़ा सफल हो सकता है. हालांकि, इस तरह के परिदृश्य को दुनिया के अधिकांश स्थानों में, निश्चित रूप से लागू कर पाना मुश्किल है. प्रसिद्ध ऑस्ट्रियाई न्यूरोलॉजिस्ट और मनोचिकित्सक विक्टर एमिल फ्रैंकल का कहना है: “उत्तेजना और प्रतिक्रिया के बीच एक स्थान है.

उस स्थान में अपनी प्रतिक्रिया को चुनने की हमारी शक्ति मौजूद है. हमारी प्रतिक्रिया में हमारा विकास और हमारी स्वतंत्रता निहित है.” निश्चित रूप से, यह उस स्थान के लिए भी यह इम्तेहान का समय है. व्ही देश इस महामारी के दौरान अधिक सफल होगा, जिसके लोग उस स्थान का उपयोग कर स्वतंत्रता की ओर जाने में महारत हासिल कर चुके हैं.

हालांकि एक बात स्पष्ट है. 'नई सामान्य' दुनिया पहले से बहुत अलग होने जा रही है क्योंकि यह हमारे मन ही मन चिलाने का समय है.

-अतनु बिस्वास

(सांख्यिकी, भारतीय सांख्यिकी संस्थान, कोलकाता के प्रोफेसर)

हैदराबादः आज जब दुनिया लॉकडाउन के उपायों को आसान बनाने और आर्थिक गतिविधियों को फिर से शुरू करने की कोशिश कर रही है, निश्चित रूप से चीजें नए सामान्य हालात में कभी भी सामान्य नहीं होंगे. एक तरफदुनिया के विभिन्न हिस्सों में प्रशासन को परिवहन, स्कूल, व्यवसाय और मनोरंजन सहित सुरक्षित गतिविधियों के लिए उपयुक्त वातावरण सुनिश्चित करना होगा. दूसरी ओरआम लोगों को भी अधिकारियों के निर्देशों का पालन करने और समझदारी दिखाने की आवश्यकता है.

जापान में थीम पार्क, जिन्हें कोविड -19 का मुकाबला करने के लिए फरवरी की शुरुआत में बंद कर दिया गया था, जुलाई में फिर से खोल दिए जाने पर एक विशिष्ट उदाहरण सामने आया.

जापान में प्रमुख थीम पार्क ऑपरेटरों के एक समूह ने मेहमानों और कर्मचारियों दोनों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए दिशानिर्देशों की एक सूची जारी की है. उनमें प्राकृतिक उपाय जैसे सामाजिक दूरी और बढ़ी हुई सैनिटाइजिंग, शरीर के नियमित तापमान की जांच और नाक और मुंह को ढंकने के लिए मास्क का उपयोग शामिल किए गए हैं. जापान में 30 से अधिक प्रमुख मनोरंजन पार्क ऑपरेटरों के संघ से बनी पूर्व और पश्चिम जापान थीम पार्क एसोसिएशनों द्वारा जारी किए गए दिशानिर्देश कुछ इस तरह से कहते है: "ग्राहक सेवा की एक नई शैली के रूप में, जब आप एक मुखौटा पहने हुए होते हैं, तो आप आगंतुकों के साथ संवाद करने के लिए मुस्कुराती हुई आंखों, हाथ के इशारों आदि को वार्तालाप करने के लिए उपयोग में लाना चाहिए.”

ग्राहक सेवा से भी समझौता किया जा सकता है क्योंकि बातचीत को यथासंभव कम रखा जाना चाहिए. इस प्रकार नया सामान्य' निश्चित रूप से इशारों को अघिक तरजीह देता है, और शब्दों के इस्तेमाल पर कम. यहां तक कि किसी भवन के अन्दर गाया जाने वाले गायन को संक्रमण को अधिक तेज़ी से फ़ैलाने वाली ’गतिविधि माना जा सकता है.

साथ ही, एक और अनुरोध है जिसे जापानी थीम पार्कों के आगंतुकों को अनुपालन करने के लिए संघर्ष करना पड़ सकता है. मास्क के उपयोग के साथ साथ – ‘कोई चिल्लाये नहीं’- यहां तक कि एक रोलर कोस्टर की सवारी करते समय भी नहीं. निश्चित रूप से ये फैसला कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए लिया गया है, क्योंकि चिल्लाते समय मुंह से निकलने वाली बूंदे 120 किमी / घंटा या उससे अधिक की गति से बाहर आने की क्षमता है रखती है, और इस प्रतिबन्ध से संक्रमण को बाधित करने में मदद मिलेगी.

सोचकर ही कितना अजीब सा लगता है कि रोलर कोस्टर की सवारी तो करें मगर चिल्लाएं नहीं, क्योंकि ये दोनों गहराई से जुड़े हुए हैं. असल में, यहां तक कि दुनिया के विभिन्न हिस्सों में कुछ प्रसिद्ध रोलर कोस्टर के नाम भी इस जुडाव पर आधारित हैं; जैसे ‘स्काई स्क्रीम’ एक इस्पात का बना रोलर कोस्टर है, जो हलोच, राइनलैंड-पैलेटिनेट, जर्मनी के हॉलिडे पार्क में स्थित है, और ‘स्क्रीम!’भी एक इस्पात का बना रोलर कोस्टर है, जो अमेरिका के कैलिफोर्निया के वेलेंसिया में सिक्स फ्लैग्स मैजिक माउंटेन में स्थित है.

निश्चित रूप से, सैकड़ों फीट से अचानक नीचे आते हुए न चिल्लाने की शर्त को पूरा करना आसान नहीं होगा. जापान में फ़ूजी-क्यू हाइलैंड थीम पार्क ने एक वीडियो भी पोस्ट किया है जिसमें पार्क के दो अधिकारियों को एक बार भी चिल्लाए बग़ैर पार्क के फुजियामा रोलर कोस्टर पर गंभीरतापूर्वक नीचे तेज़ी से आते हुए दिखाया गया है. वीडियो संदेश के साथ समाप्त होता है: "कृपया अपने मन के भीतर चिल्लाएं.” यहां तक कि इसके जवाब में रोलर कोस्टर की सवारी के दौरान "गंभीर चेहरे की चुनौती" को लेकर लोगों द्वारा सोशल मीडिया पर ट्रेंड किया जा रहा है.

निश्चित रूप से, अब तक मेरी जानकारी के अनुसार, दुनिया के अन्य थीम पार्कों ने इस तरह का नियम अभी तक नहीं लगाया है. उदाहरण के लिए, ऑरलैंडो के डिज्नी वर्ल्ड पार्क को भी जुलाई में फिर से खोल दिया गया है, लेकिन वहां कोई चिल्लाने को लेकर प्रतिबंध की घोषणा नहीं की गई है.

मौज-मस्ती और मनोरंजन के स्थानों में इस तरह के प्रतिबंधों को लागू करना कभी आसान नहीं होता है, यदि , चिल्लाने पर प्रतिबन्ध लगाने वाले कानून के उल्लंघन पर सख्त सजा या जुर्माना लगाया गया तो लोग ऐसी जगहों पर जाने से बचने लगेंगे. दिलचस्प बात यह है कि जापानी थीम पार्क में चिल्लाने से मना करने वाले निर्देश के उल्लंघन पर कोई सजा नहीं है, फिर भी लोग नियमों का पालन करने की कोशिश कर रहे हैं. वास्तव में, यह सब अनुशासन और संस्कृति से सम्बंधित है.

जापान में सामाजिक शिष्टाचार के प्रति जुनून हैं, खांसी-जुकाम के शिकार लोगों ने दूसरों को अपने द्वारा फैलाये संक्रमण के जीवाणुओं से बचाने के लिए नाक-मुंह ढंकने के लिए मास्क को अपने आधुनिक जीवन का अनिवार्य हिस्सा बना लिया है.

देश के लोग दशकों से फेस मास्क का इस्तेमाल कर रहे हैं - न केवल खुद की रक्षा करने के लिए, बल्कि दूसरों की सुरक्षा के लिए भी. सामाजिक शिष्टाचार के साथ इस तरह के जुनून को संक्रमण के इस समय के दौरान बढ़ाए जाने की संभावना है, और यह संभव है कि खतरनाक रोलर कोस्टर की सवारी के दौरान ना चिल्लाने वाले दिशानिर्देश का पालन भी जापानसियों द्वारा सफलतापूर्वक किया जायेगा.

यह प्रयास पूर्वी एशिया के कुछ हिस्सों सहित कुछ अन्य स्थानों पर भी थोड़ा सफल हो सकता है. हालांकि, इस तरह के परिदृश्य को दुनिया के अधिकांश स्थानों में, निश्चित रूप से लागू कर पाना मुश्किल है. प्रसिद्ध ऑस्ट्रियाई न्यूरोलॉजिस्ट और मनोचिकित्सक विक्टर एमिल फ्रैंकल का कहना है: “उत्तेजना और प्रतिक्रिया के बीच एक स्थान है.

उस स्थान में अपनी प्रतिक्रिया को चुनने की हमारी शक्ति मौजूद है. हमारी प्रतिक्रिया में हमारा विकास और हमारी स्वतंत्रता निहित है.” निश्चित रूप से, यह उस स्थान के लिए भी यह इम्तेहान का समय है. व्ही देश इस महामारी के दौरान अधिक सफल होगा, जिसके लोग उस स्थान का उपयोग कर स्वतंत्रता की ओर जाने में महारत हासिल कर चुके हैं.

हालांकि एक बात स्पष्ट है. 'नई सामान्य' दुनिया पहले से बहुत अलग होने जा रही है क्योंकि यह हमारे मन ही मन चिलाने का समय है.

-अतनु बिस्वास

(सांख्यिकी, भारतीय सांख्यिकी संस्थान, कोलकाता के प्रोफेसर)

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