ETV Bharat / bharat

जज ने एससीबीए फैसले के खिलाफ याचिका की सुनवाई से खुद को किया अलग

एससीबीए ने दावा किया था कि सचिव अशोक अरोड़ा ने एसोसिएशन पर कब्जा करने की कोशिश की थी इसके बाद उन्हें पद से निलंबित कर दिया गया है. इस फैसले को चुनौती देने वाली एक याचिका पर सुनवाई से दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश ने खुद को अलग कर लिया है. जानें क्या है पूरा मामला...

recused himself from hearing the petition
करीबी तौर पर जुड़े थे जज
author img

By

Published : Dec 4, 2020, 2:34 PM IST

Updated : Dec 4, 2020, 6:53 PM IST

नई दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय के एक न्यायाधीश ने सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) द्वारा सचिव अशोक अरोड़ा को पद से निलंबित किये जाने के फैसले को चुनौती देने वाली एक याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग कर लिया. न्यायमूर्ति सी हरिशंकर ने कहा कि चूंकि वह याचिका के कुछ पक्षों के साथ करीबी तौर पर जुड़े हैं, इसलिए इस मामले पर उनके लिए सुनवाई करना उपयुक्त नहीं होगा.

11 दिसंबर को होगी दूसरे जज के सामने सुनवाई
उन्होंने कहा कि मामले को दूसरी पीठ के समक्ष रखा जाए. अब 11 दिसंबर को दूसरे न्यायाधीश के सामने मामले पर सुनवाई होगी. इससे पहले, न्यायमूर्ति मुक्ता गुप्ता याचिका पर सुनवाई कर रही थीं और उन्होंने इसे दूसरी पीठ के पास भेज दिया था. उस समय अरोड़ा ने न्यायाधीश से कहा था कि वह मामले में पहले ही प्रथम दृष्टया अपना विचार बना चुकी हैं.

नैसर्गिक न्याय के सिद्धांतों का किया गया पालन
अक्टूबर में न्यायमूर्ति गुप्ता ने एससीबीए के प्रस्ताव पर रोक लगाने के लिए अंतरिम राहत देने से मना कर दिया था. याचिका में अरोड़ा ने अपने निलंबन को इस आधार पर चुनौती दी है कि एससीबीए की कार्यकारिणी समिति से उन्हें हटाया जाना नैसर्गिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन है. एससीबीए ने पूर्व में अदालत से कहा था कि अरोड़ा को पद से हटाने के पहले नैसर्गिक न्याय के सिद्धांतों का पालन किया गया.

पढ़ें: दिल्ली में स्पा खोलने की मांग पर हाईकोर्ट में सुनवाई आज

अरोड़ा को तत्काल प्रभाव से किया गया था निलंबित
एससीबीए ने दावा किया था कि अरोड़ा ने एसोसिएशन पर कब्जा करने की कोशिश की, जिसके बाद उन्हें निलंबित किया गया. एससीबीए की कार्यकारिणी समिति ने आठ मई को एक प्रस्ताव पारित कर तत्काल प्रभाव से अरोड़ा को पद से निलंबित कर दिया था.

नई दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय के एक न्यायाधीश ने सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) द्वारा सचिव अशोक अरोड़ा को पद से निलंबित किये जाने के फैसले को चुनौती देने वाली एक याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग कर लिया. न्यायमूर्ति सी हरिशंकर ने कहा कि चूंकि वह याचिका के कुछ पक्षों के साथ करीबी तौर पर जुड़े हैं, इसलिए इस मामले पर उनके लिए सुनवाई करना उपयुक्त नहीं होगा.

11 दिसंबर को होगी दूसरे जज के सामने सुनवाई
उन्होंने कहा कि मामले को दूसरी पीठ के समक्ष रखा जाए. अब 11 दिसंबर को दूसरे न्यायाधीश के सामने मामले पर सुनवाई होगी. इससे पहले, न्यायमूर्ति मुक्ता गुप्ता याचिका पर सुनवाई कर रही थीं और उन्होंने इसे दूसरी पीठ के पास भेज दिया था. उस समय अरोड़ा ने न्यायाधीश से कहा था कि वह मामले में पहले ही प्रथम दृष्टया अपना विचार बना चुकी हैं.

नैसर्गिक न्याय के सिद्धांतों का किया गया पालन
अक्टूबर में न्यायमूर्ति गुप्ता ने एससीबीए के प्रस्ताव पर रोक लगाने के लिए अंतरिम राहत देने से मना कर दिया था. याचिका में अरोड़ा ने अपने निलंबन को इस आधार पर चुनौती दी है कि एससीबीए की कार्यकारिणी समिति से उन्हें हटाया जाना नैसर्गिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन है. एससीबीए ने पूर्व में अदालत से कहा था कि अरोड़ा को पद से हटाने के पहले नैसर्गिक न्याय के सिद्धांतों का पालन किया गया.

पढ़ें: दिल्ली में स्पा खोलने की मांग पर हाईकोर्ट में सुनवाई आज

अरोड़ा को तत्काल प्रभाव से किया गया था निलंबित
एससीबीए ने दावा किया था कि अरोड़ा ने एसोसिएशन पर कब्जा करने की कोशिश की, जिसके बाद उन्हें निलंबित किया गया. एससीबीए की कार्यकारिणी समिति ने आठ मई को एक प्रस्ताव पारित कर तत्काल प्रभाव से अरोड़ा को पद से निलंबित कर दिया था.

Last Updated : Dec 4, 2020, 6:53 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.