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कोरोना वायरस से फैली महामारी को रोकने के लिए सबकी जांच जरूरी

कोरोना वायरस से संक्रमितों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. दुनियाभर में 3.80 लाख से ज्यादा लोगों की संक्रमण के कारण मौत हुई है. कुल 62 लाख लोग इस वायरस से संक्रमित हैं और यह संख्या तेजी से बढ़ रही है. वायरस के प्रसार को रोकने के लिए व्यापक स्तर पर जांच करना जरूरी है.

testing time for everyone
सांकेतिक चित्र
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Published : Jun 4, 2020, 7:55 PM IST

हैदराबाद : कोरोना वायरस का प्रकोप लगातार बढ़ता जा रहा है. इससे अब तक 3.80 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हुई है. 62 लाख से ज्यादा लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हैं. इससे बचने के लिए कई देशों ने लॉकडाउन का सहारा लिया है. इस वायरस से संक्रमित लोगों में दो हफ्तों तक कोई लक्षण नहीं दिखते और आने वाले दिनों में यह और लोगों को अपनी चपेट में ले सकता है.

लॉकडाउन के परिणाम स्वरूप वैश्विक अर्थव्यवस्था पटरी से उतर गई है और लगभग सभी देशों की अर्थव्यवस्था को मंदी का सामना करना पड़ रहा है. भारत ने 25 मार्च को देशव्यापी लॉकडाउन की घोषणा की थी.

दस सप्ताह के लॉकडाउन के बावजूद भारत में कोरोना संक्रमितों की संख्या प्रति दिन तेजी से बढ़ रही है. चरणबद्ध तरीके से सामान्य स्थिति को बहाल करने के लिए, केंद्र ने दिशानिर्देश जारी किए हैं, जिसमें कंटेनमेंट जोन को छोड़कर बाकी सभी हिस्सों से लॉकडाउन उठाने की बात कही गई है.

इस महीने की आठ तारीख से, पूजा स्थल, होटल, आतिथ्य सेवाओं और शॉपिंग मॉल को पहले चरण में शुरू किया जाएगा. केंद्र ने घोषणा की है कि अगले महीने शैक्षणिक संस्थानों को फिर से खोलने पर निर्णय लिया जाएगा. सिनेमा हॉल, मेट्रो ट्रेन और अंतर्राष्ट्रीय यात्रा को अंतिम चरण में खोला जाएगा.

पूरे एशिया में 1.9 लाख कोरोना संक्रमितों के साथ भारत पहले स्थान पर है. चूंकि रिपोर्ट किए गए 70 प्रतिशत मामले मुंबई, चेन्नई, दिल्ली, अहमदाबाद, ठाणे, पुणे, हैदराबाद आदि शहरों के 13 क्षेत्रों तक ही सीमित हैं, इसलिए केंद्र ने अन्य जगहों को खोलने का फैसला किया है.

दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल ने कहा है कि लोगों को अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखना चाहिए क्योंकि देश की व्यापारिक गतिविधियों को बंद करना संभव नहीं है.

पढ़ें-तबलीगी जमात में शामिल 960 विदेशी नागरिकों के भारत आने पर 10 वर्ष का प्रतिबंध

केंद्र ने दावा किया है कि 2.8 प्रतिशत की मृत्यु दर और 47 प्रतिशत की रिकवरी दर के साथ, लॉकडाउन ने उन आशंकाओं को दूर कर दिया है कि कोरोना भारत जैसे देश में कहर बरपा सकता है.

प्रत्येक 10 लाख कोरोना मामलों में से, 5197 अमेरिका में, 3825 इटली में जबकि केवल 117 भारत में दर्ज किए गए थे. यह आंकड़े ज्यादा इसलिए हैं क्योंकि इन देशों की परीक्षण दर भी भारत से कहीं ज्यादा है. अमेरिका में भारत की तुलना में 19 गुना ज्यादा लोगों की जांच की जा रही है. वहीं इटली में यह 25 गुना है.

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कुछ सप्ताह पहले सुझाव दिया था कि चूंकि कई मामलों में कोरोना का पता नहीं चलता और लक्षण प्रकट नहीं होता है, इसलिए कोविड-19 को नियंत्रित करने के लिए व्यापक परीक्षण करना बेहतर होगा.

दक्षिण कोरिया में भारत की तुलना में सात गुना अधिक परीक्षण किए जा रहे हैं. वहां कोरोना संक्रमितों की मृत्यु दर दो प्रतिशत है. प्रति दिन डेढ़ लाख परीक्षण करने की अपनी क्षमता के बावजूद, भारत कोरोना परीक्षणों के मामले में 84 देशों में से 71वें स्थान पर है.

राज्यों सरकारों को आशंका है कि यदि कोरोना परीक्षण बड़े पैमाने पर किए जाते हैं, तो संक्रमितों की संख्या लाखों तक पहुंच सकती है. गुजरात उच्च न्यायालय में महाधिवक्ता ने कहा कि यदि परीक्षण बड़े पैमाने पर किए जाते हैं और यह पाया जाता है कि 70% आबादी संक्रमित है, तो इससे जनता में अशांति और अराजकता पैदा होगी.

सरकारों को यह समझना होगा कि नियमित रूप से स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार करने और कोरोना परीक्षणों को सख्ती से करने से ही महामारी का उन्मूलन किया जा सकता है. लोगों को मास्क पहनने, शारीरिक दूरी बनाए रखने और सरकारी निर्देशों का पालन करने और खुद की जान बचाने में मदद करने के महत्व का भी एहसास होना चाहिए.

हैदराबाद : कोरोना वायरस का प्रकोप लगातार बढ़ता जा रहा है. इससे अब तक 3.80 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हुई है. 62 लाख से ज्यादा लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हैं. इससे बचने के लिए कई देशों ने लॉकडाउन का सहारा लिया है. इस वायरस से संक्रमित लोगों में दो हफ्तों तक कोई लक्षण नहीं दिखते और आने वाले दिनों में यह और लोगों को अपनी चपेट में ले सकता है.

लॉकडाउन के परिणाम स्वरूप वैश्विक अर्थव्यवस्था पटरी से उतर गई है और लगभग सभी देशों की अर्थव्यवस्था को मंदी का सामना करना पड़ रहा है. भारत ने 25 मार्च को देशव्यापी लॉकडाउन की घोषणा की थी.

दस सप्ताह के लॉकडाउन के बावजूद भारत में कोरोना संक्रमितों की संख्या प्रति दिन तेजी से बढ़ रही है. चरणबद्ध तरीके से सामान्य स्थिति को बहाल करने के लिए, केंद्र ने दिशानिर्देश जारी किए हैं, जिसमें कंटेनमेंट जोन को छोड़कर बाकी सभी हिस्सों से लॉकडाउन उठाने की बात कही गई है.

इस महीने की आठ तारीख से, पूजा स्थल, होटल, आतिथ्य सेवाओं और शॉपिंग मॉल को पहले चरण में शुरू किया जाएगा. केंद्र ने घोषणा की है कि अगले महीने शैक्षणिक संस्थानों को फिर से खोलने पर निर्णय लिया जाएगा. सिनेमा हॉल, मेट्रो ट्रेन और अंतर्राष्ट्रीय यात्रा को अंतिम चरण में खोला जाएगा.

पूरे एशिया में 1.9 लाख कोरोना संक्रमितों के साथ भारत पहले स्थान पर है. चूंकि रिपोर्ट किए गए 70 प्रतिशत मामले मुंबई, चेन्नई, दिल्ली, अहमदाबाद, ठाणे, पुणे, हैदराबाद आदि शहरों के 13 क्षेत्रों तक ही सीमित हैं, इसलिए केंद्र ने अन्य जगहों को खोलने का फैसला किया है.

दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल ने कहा है कि लोगों को अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखना चाहिए क्योंकि देश की व्यापारिक गतिविधियों को बंद करना संभव नहीं है.

पढ़ें-तबलीगी जमात में शामिल 960 विदेशी नागरिकों के भारत आने पर 10 वर्ष का प्रतिबंध

केंद्र ने दावा किया है कि 2.8 प्रतिशत की मृत्यु दर और 47 प्रतिशत की रिकवरी दर के साथ, लॉकडाउन ने उन आशंकाओं को दूर कर दिया है कि कोरोना भारत जैसे देश में कहर बरपा सकता है.

प्रत्येक 10 लाख कोरोना मामलों में से, 5197 अमेरिका में, 3825 इटली में जबकि केवल 117 भारत में दर्ज किए गए थे. यह आंकड़े ज्यादा इसलिए हैं क्योंकि इन देशों की परीक्षण दर भी भारत से कहीं ज्यादा है. अमेरिका में भारत की तुलना में 19 गुना ज्यादा लोगों की जांच की जा रही है. वहीं इटली में यह 25 गुना है.

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कुछ सप्ताह पहले सुझाव दिया था कि चूंकि कई मामलों में कोरोना का पता नहीं चलता और लक्षण प्रकट नहीं होता है, इसलिए कोविड-19 को नियंत्रित करने के लिए व्यापक परीक्षण करना बेहतर होगा.

दक्षिण कोरिया में भारत की तुलना में सात गुना अधिक परीक्षण किए जा रहे हैं. वहां कोरोना संक्रमितों की मृत्यु दर दो प्रतिशत है. प्रति दिन डेढ़ लाख परीक्षण करने की अपनी क्षमता के बावजूद, भारत कोरोना परीक्षणों के मामले में 84 देशों में से 71वें स्थान पर है.

राज्यों सरकारों को आशंका है कि यदि कोरोना परीक्षण बड़े पैमाने पर किए जाते हैं, तो संक्रमितों की संख्या लाखों तक पहुंच सकती है. गुजरात उच्च न्यायालय में महाधिवक्ता ने कहा कि यदि परीक्षण बड़े पैमाने पर किए जाते हैं और यह पाया जाता है कि 70% आबादी संक्रमित है, तो इससे जनता में अशांति और अराजकता पैदा होगी.

सरकारों को यह समझना होगा कि नियमित रूप से स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार करने और कोरोना परीक्षणों को सख्ती से करने से ही महामारी का उन्मूलन किया जा सकता है. लोगों को मास्क पहनने, शारीरिक दूरी बनाए रखने और सरकारी निर्देशों का पालन करने और खुद की जान बचाने में मदद करने के महत्व का भी एहसास होना चाहिए.

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