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पांच साल बाद यूपी का लापता बच्चा 'दर्पण' के माध्यम से असम में मिला

तेलंगाना पुलिस ने एक सराहनीय कार्य किया है. पांच वर्षों से लापता एक 13 वर्षीय बच्चे को पुलिस ने उसके परिजनों से मिलाने में कामयाबी हासिल की है.

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Published : Oct 9, 2020, 6:01 PM IST

Updated : Oct 9, 2020, 6:59 PM IST

Telangana Police reunites 13 year old
पांच साल बाद यूपी पहुंचा लापता बच्चा

हैदराबाद : उत्तर प्रदेश से पांच साल पहले कथित रूप से लापता हुए एक बच्चे का तेलंगाना पुलिस ने चेहरे की पहचान करने वाले उपकरण 'दर्पण' के माध्यम से असम में पता लगाया है और उसे उसके परिवार से मिलाया है.

यह बच्चा जब 14 जुलाई, 2015 को इलाहाबाद में अपने परिवार से बिछड़ गया था तब वह आठ साल का था.

तेलंगाना की अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (महिला सुरक्षा शाखा) स्वाति लाकड़ा ने शुक्रवार को बताया कि असम के ग्वालपाड़ा में एक बाल गृह में उसका पता चला.उस साल 23 जुलाई को सोनी ग्वालपाड़ा पुलिस को नजर आया था और उसे स्थानीय बाल कल्याण केंद्र में भर्ती कराया गया था.

बता दें कि भावनात्मक पुनर्मिलन की मिसाल एक वीडियो आईपीएस स्वाति लाकड़ा ने अपने ट्विटर पर शेयर की है. इस वीडियो में एक 13 वर्षीय ऑटिस्टिक लड़का अपने परिजनों से मिलता दिख रहा है.

भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) अधिकारी स्वाति लाकड़ा ने इस वीडियो ट्वीट के साथ लिखा है कि यह बच्चा 2015 में उत्तर प्रदेश से लापता हुआ था.

स्वाति लाकड़ा ने लिखा है कि तेलंगाना पुलिस ने 'दर्पण' की मदद से 5 साल बाद असम के एक बाल गृह में इस बच्चे को ट्रेस किया. बाद में तेलंगाना पुलिस ने बच्चे को उसके परिजनों के हवाले कर दिया.

गौरतलब है कि 'दर्पण' चेहरा पहचानने की तकनीक (Facial Recognition Tool) पर काम करती है. स्वाति लाकड़ा तेलंगाना में अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक के रूप में काम कर रही हैं. महिला सुरक्षा के लिए बनाई गई She Team और भरोसा केंद्र पर भी काम कर रही हैं.

तेलंगाना पुलिस द्वारा विकसित चेहरा पहचान सॉफ्टवेयर 'दर्पण' देश के विभिन्न बचाव केंद्रों में रह रहे बच्चों और लोगों का डाटाबेस तैयार रखता है.

लाकड़ा ने बताया कि यह एप लापता लोगों के फोटो का इन केंद्रों में रह रहे लोगों के फोटो से मिलान करता है और तेलंगाना पुलिस ने उसकी मदद से लापता बच्चों के फोटो का देश के विभिन्न बाल कल्याण केंद्रों के बच्चों की तस्वीरें से मिलान किया तब इस बच्चे का पता चला.

पुलिस अधिकारी ने बताया कि उसके बाद तेलंगाना पुलिस ने उत्तर प्रदेश पुलिस को इसकी सूचना दी जिसने बच्चे के माता-पिता को उसके बारे में जानकारी दी. पुलिस के अनुसार बच्चे के माता-पिता बाल कल्याण केंद्र गये और अपने बेटे को पहचाना.

लाकड़ा ने कहा कि देशभर में लापता ऐसे बच्चों का इस उपकरण के माध्यम से पता लगाने एवं उन्हें माता-पिता से मिलाने का प्रयास किया जा रहा है.

पढ़ें : अभिव्यक्ति में असमर्थ होते हैं ऑटिस्टिक लोग

क्या है ऑटिज्म और उसके लक्षण

ऑटिज्म एक ऐसी अवस्था है, जहां व्यक्ति को दूसरों से बात करने या किसी अन्य माध्यम से अभिव्यक्त करने में समस्या होती है. वे सामाजिक रूप से दूसरों के साथ सामान्य लोगों की भांति घुल मिल नहीं पाते हैं. इसे ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर के रूप में भी जाना जाता है. क्योंकि ऑटिज्म के लक्षण हर पीड़ित में अलग-अलग हो सकते है. ऑटिज्म को एक न्यूरो व्यवहार स्थिति के रूप में भी परिभाषित किया गया है, जिसके अनुसार यह भावनाओं और समझ को दूसरों के सामने प्रकट करने में मस्तिष्क की अक्षमता के कारण होने वाला एक व्यवहार विकार है.

आटिज्म होने का कोई एक कारण नहीं है. यह आनुवांशिक, जेनेटिक या जन्म से पूर्व माता के गर्भ में या जन्म के बाद, बच्चे के मस्तिष्क में किसी कारणवश होने वाले विकार के चलते हो सकता है. हर व्यक्ति में इसके कारण अलग होते है. ऑटिस्टिक व्यक्ति शोर से, किसी के छूने से, किसी विशेष गंध से, रंगों से या किसी स्वाद से परेशानी महसूस करते है और तीखी प्रतिक्रिया दे सकते है. इसके अलावा उनके सामाजिक व्यवहार में भी कुछ विशेष पैटर्न नजर आते है.

  • ऑटिस्टिक लोग किसी भी दूसरे व्यक्ति के साथ आंखों के संपर्क से बचते हैं.
  • ऐसे बच्चे देर से बोलना शुरू करते हैं.
  • एकांत में रहना पसंद करते हैं.
  • उन्हें दूसरों को समझने तथा उनके साथ व्यवहार में कठिनाई आती है.
  • बच्चे या बड़े नाम पुकारे जाने पर प्रतिक्रिया नहीं देते हैं.
  • दूसरे बच्चों के साथ खेलने या उनके साथ किसी भी तरह का संपर्क रखने में असुविधाजनक महसूस करते हैं.
  • किसी एक व्यवहार को बार-बार दोहरते हैं.

हैदराबाद : उत्तर प्रदेश से पांच साल पहले कथित रूप से लापता हुए एक बच्चे का तेलंगाना पुलिस ने चेहरे की पहचान करने वाले उपकरण 'दर्पण' के माध्यम से असम में पता लगाया है और उसे उसके परिवार से मिलाया है.

यह बच्चा जब 14 जुलाई, 2015 को इलाहाबाद में अपने परिवार से बिछड़ गया था तब वह आठ साल का था.

तेलंगाना की अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (महिला सुरक्षा शाखा) स्वाति लाकड़ा ने शुक्रवार को बताया कि असम के ग्वालपाड़ा में एक बाल गृह में उसका पता चला.उस साल 23 जुलाई को सोनी ग्वालपाड़ा पुलिस को नजर आया था और उसे स्थानीय बाल कल्याण केंद्र में भर्ती कराया गया था.

बता दें कि भावनात्मक पुनर्मिलन की मिसाल एक वीडियो आईपीएस स्वाति लाकड़ा ने अपने ट्विटर पर शेयर की है. इस वीडियो में एक 13 वर्षीय ऑटिस्टिक लड़का अपने परिजनों से मिलता दिख रहा है.

भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) अधिकारी स्वाति लाकड़ा ने इस वीडियो ट्वीट के साथ लिखा है कि यह बच्चा 2015 में उत्तर प्रदेश से लापता हुआ था.

स्वाति लाकड़ा ने लिखा है कि तेलंगाना पुलिस ने 'दर्पण' की मदद से 5 साल बाद असम के एक बाल गृह में इस बच्चे को ट्रेस किया. बाद में तेलंगाना पुलिस ने बच्चे को उसके परिजनों के हवाले कर दिया.

गौरतलब है कि 'दर्पण' चेहरा पहचानने की तकनीक (Facial Recognition Tool) पर काम करती है. स्वाति लाकड़ा तेलंगाना में अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक के रूप में काम कर रही हैं. महिला सुरक्षा के लिए बनाई गई She Team और भरोसा केंद्र पर भी काम कर रही हैं.

तेलंगाना पुलिस द्वारा विकसित चेहरा पहचान सॉफ्टवेयर 'दर्पण' देश के विभिन्न बचाव केंद्रों में रह रहे बच्चों और लोगों का डाटाबेस तैयार रखता है.

लाकड़ा ने बताया कि यह एप लापता लोगों के फोटो का इन केंद्रों में रह रहे लोगों के फोटो से मिलान करता है और तेलंगाना पुलिस ने उसकी मदद से लापता बच्चों के फोटो का देश के विभिन्न बाल कल्याण केंद्रों के बच्चों की तस्वीरें से मिलान किया तब इस बच्चे का पता चला.

पुलिस अधिकारी ने बताया कि उसके बाद तेलंगाना पुलिस ने उत्तर प्रदेश पुलिस को इसकी सूचना दी जिसने बच्चे के माता-पिता को उसके बारे में जानकारी दी. पुलिस के अनुसार बच्चे के माता-पिता बाल कल्याण केंद्र गये और अपने बेटे को पहचाना.

लाकड़ा ने कहा कि देशभर में लापता ऐसे बच्चों का इस उपकरण के माध्यम से पता लगाने एवं उन्हें माता-पिता से मिलाने का प्रयास किया जा रहा है.

पढ़ें : अभिव्यक्ति में असमर्थ होते हैं ऑटिस्टिक लोग

क्या है ऑटिज्म और उसके लक्षण

ऑटिज्म एक ऐसी अवस्था है, जहां व्यक्ति को दूसरों से बात करने या किसी अन्य माध्यम से अभिव्यक्त करने में समस्या होती है. वे सामाजिक रूप से दूसरों के साथ सामान्य लोगों की भांति घुल मिल नहीं पाते हैं. इसे ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर के रूप में भी जाना जाता है. क्योंकि ऑटिज्म के लक्षण हर पीड़ित में अलग-अलग हो सकते है. ऑटिज्म को एक न्यूरो व्यवहार स्थिति के रूप में भी परिभाषित किया गया है, जिसके अनुसार यह भावनाओं और समझ को दूसरों के सामने प्रकट करने में मस्तिष्क की अक्षमता के कारण होने वाला एक व्यवहार विकार है.

आटिज्म होने का कोई एक कारण नहीं है. यह आनुवांशिक, जेनेटिक या जन्म से पूर्व माता के गर्भ में या जन्म के बाद, बच्चे के मस्तिष्क में किसी कारणवश होने वाले विकार के चलते हो सकता है. हर व्यक्ति में इसके कारण अलग होते है. ऑटिस्टिक व्यक्ति शोर से, किसी के छूने से, किसी विशेष गंध से, रंगों से या किसी स्वाद से परेशानी महसूस करते है और तीखी प्रतिक्रिया दे सकते है. इसके अलावा उनके सामाजिक व्यवहार में भी कुछ विशेष पैटर्न नजर आते है.

  • ऑटिस्टिक लोग किसी भी दूसरे व्यक्ति के साथ आंखों के संपर्क से बचते हैं.
  • ऐसे बच्चे देर से बोलना शुरू करते हैं.
  • एकांत में रहना पसंद करते हैं.
  • उन्हें दूसरों को समझने तथा उनके साथ व्यवहार में कठिनाई आती है.
  • बच्चे या बड़े नाम पुकारे जाने पर प्रतिक्रिया नहीं देते हैं.
  • दूसरे बच्चों के साथ खेलने या उनके साथ किसी भी तरह का संपर्क रखने में असुविधाजनक महसूस करते हैं.
  • किसी एक व्यवहार को बार-बार दोहरते हैं.
Last Updated : Oct 9, 2020, 6:59 PM IST
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