नई दिल्ली : पिछले साल 17 अक्टूबर को हैदराबाद स्थित भारत हैवी इलेक्ट्रिकल लिमिटेड (भेल) में कार्यरत 33 वर्षीय महिला ने कार्यस्थल पर अपने साथ यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था, जिसके बाद उसने खुदकुशी कर ली थी. मृत महिला की मां ने न्याय पाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाई है. उसका कहना है कि तेलंगाना पुलिस ठीक तरह से जांच नहीं कर रही है, इसलिए इस मामले की जांच सीबीआई या किसी स्वतंत्र जांच एजेंसी से कराई जाए.
रेप पीड़िता की मां ने सुप्रीम कोर्ट से यह भी अपील की कि वह आरोपी अधिकारियों के खिलाफ उचित जांच कराने का भेल को निर्देश दे और तय समय सीमा में जांच पूरी भी करे. उसने आरोप लगाया कि आरोपियों के प्रभावशाली पदों पर होने की वजह से निष्पक्ष जांच नहीं हो पा रही है और आरोपियों को क्लीनचिट दी जा रही है.
पीड़िता की मां उन कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई चाहती हैं, जिनके नाम का उल्लेख उनकी बेटी ने अपने सुसाइड नोट में किया है. सुसाइड नोट में उनकी बेटी ने अपने वरिष्ठ अधिकारियों पर यौन उत्पीड़न और बलात्कार की धमकी देने का आरोप लगाया था. बेटी ने आगे लिखा कि उसके साथ दो लोगों ने रेप किया और उनके खिलाफ गवाही देने कोई नहीं आएगा. सुसाइड नोट में बेटी ने ये भी लिखा कि उसे मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा है. उसपर अश्लील टिप्पणी की जा रही है और उसे डराया जा रहा है कि फिर से तीन लोग उसके साथ रेप करेंगे.
पीड़िता ने सुसाइड नोट में लिखा, 'मम्मी, मैं हार गई हूं. मैं अब तक बर्दाश्त कर रही थी, लेकिन आज उन्होंने सारी हदें पार कर दी हैं. उन्होंने मेरा जीना मुश्किल कर दिया है. अगर मैं भविष्य में भी पद पर बनी रही तो या तो वे मेरा बलात्कार करेंगे या फिर वे मेरा उत्पीड़न करेंगे. आपको इस तरह छोड़कर जाने के लिए मुझे माफ करना.'
दुष्कर्म पीड़िता की मां ने तेलंगाना पुलिस पर क्षेत्र और भाषा के आधार पर पक्षपात करने का आरोप लगाया है. वह मध्य प्रदेश की रहने वाली और हिंदी भाषी हैं और आरोपी तेलुगू बोलने वाले हैं, जिसका वो फायदा उठा रहे हैं. पुलिस ने सुसाइड के दिन ही पीड़िता का मोबाइल जब्त कर लिया था, मगर मोबाइल खोलने के लिए 40 दिन बाद पैटर्न अनलॉक करने को कहा, इसका मतलब है कि 40 दिन तक पुलिस ने कुछ नहीं किया. मां-बेटी के बीच हिंदी की बातचीत को खुदकुशी के 40 दिन बाद 25 नवंबर को अंग्रेजी में अनुवाद करने के लिए पुलिस ने कहा. इन 40 दिनों तक पुलिस ने क्या किया.
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पुलिस से बार-बार गुहार लगाने के बाद अधिकारियों ने 25 नवंबर 2019 को यानी खुदकुशी के 40 दिन बाद पोस्टमार्टम की एक धुंधली सी कॉपी वाट्सएप पर प्रदान की.
इस घटना के 8 महीने बीत जाने के बावजूद राज्य पुलिस ने अब तक चार्जशीट दाखिल नहीं की है. न तो आरोपियों के फोन जब्त किए गए हैं और न ही उन्हें जांच के लिए फोरेंसिक लैब भेजा गया है. बेटी के सुसाइड नोट में आरोपियों के नाम का जिक्र होने के बावजूद उनके खिलाफ जांच प्रक्रिया को आगे नहीं बढ़ाया गया है.
पीड़िता की मां ने कहा, 'पुलिस मेरी बेटी को मानसिक रूप से बीमार बताकर पूरी घटना का जिम्मेदार उसे ही ठहराने की कोशिश कर रही है जबकि भेल ने स्पष्ट रूप से कहा है कि कार्यस्थल पर उसके मानसिक रूप से बीमार होने के कोई संकेत नहीं मिले हैं.'
जांच पूरी होने से पहले ही दोषी ठहराए जाने और पीड़िता को शर्मसार करने वाली स्थानीय पुलिस के इस घिनौने रवैये ने याचिकाकर्ता के मन में एक दृढ़ और उचित आशंका जगा दी है कि तेलंगाना पुलिस उसकी बेटी की मृत्यु की न्यायपूर्ण और निष्पक्ष जांच नहीं कर पाएगी. इसलिए वह माननीय न्यायालय से प्रार्थना कर रही है कि वह सीबीआई को तत्काल जांच सौंप दे.