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कोरोना महामारी के बीच टीबी की अनदेखी ले सकती है हजारों लोगों की जान - coronavirus pandemic

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने ट्यूबरक्लॉसिस (टीबी) से होने वाली मौतों पर कोरोना महामारी के पूर्वनिर्धारित प्रभाव को लेकर एक पत्र प्रकाशित किया है. यह पत्र मुख्य रूप से वैश्विक टीबी के मरीजों की संख्या का पता लगाने और इसकी मृत्यु दर का अनुमान लगाने के लिए प्रकाशित किया गया है. पढ़ें पूरी खबर...

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Published : May 7, 2020, 12:10 AM IST

हैदराबाद : विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने ट्यूबरक्लॉसिस (टीबी) से होने वाली मौतों पर कोरोना महामारी के पूर्वनिर्धारित प्रभाव को लेकर एक पत्र प्रकाशित किया है.

यह पत्र मुख्य रूप से वैश्विक टीबी के मरीजों की संख्या का पता लगाने और इसकी मृत्यु दर का अनुमान लगाने के लिए प्रकाशित किया गया है.

शोध में कहा गया है कि कोविड-19 महामारी के जवाब में व्यापक रूप से अपनाई गई नीतियां विशेषकर लॉकडाउन और स्वास्थ्य कर्मियों और उपकरणों के पुनर्मूल्यांकन टीबी की रोकथाम और देखभाल कार्यक्रमों के प्रदर्शन को प्रभावित कर रहे हैं.

संगठन का कहना है कि इन तीन महीनों की अवधि में वैश्विक टीबी के मरीजों का पता लगाने के मामलो में 25% की कमी आई है.

भारत में टीबी से होने वाली मौतों का अनुमान

भारत में 22 मार्च के बाद पिछले हफ्तों में टीबी के मामलों में 75% की गिरावट आई है. 22 मार्च से पहले हफ्तों में टीबी के 45,875 मामले सामने आए थे, वहीं लॉकडाउन के बाद 11,367 मामले सामने आए हैं.

वास्तविक समय में लॉकडाउन के कारण टीबी का डेटा राष्ट्रीय ऑनलाइन टीबी निगरानी प्रणाली निक्षय (Nikshay) पर दर्ज करने में भी देरी हो रही है.

उपरोक्त टिप्पणियों और इसी तरह की अन्य देशों की भी रिपोर्टों के आधार पर यह अनुमान लगाया जा सकता है. टीबी के मामलों का पता लगाने में वैश्विक स्तर पर अस्थाई रूप से गिरावट आई है.

टीबी मृत्यु दर में वृद्धि मुख्य रूप से सबसे कमजोर टीबी रोगियों को प्रभावित करती है.

कोविड-19 महामारी के दौरान देश में टीबी के मामलों का पता लगाने और देखभाल कार्यक्रमों को प्राथमिकता देने के लिए आवश्यक स्वास्थ्य सेवाओं पर विचार किया जाना चाहिए.

गौरतलब है कि देश में टीबी के मरीज सबसे ज्यादा प्रभावित हो सकते हैं और समय पर इलाज नहीं मिलने के कारण हजारों जानें जा सकती हैं.

हैदराबाद : विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने ट्यूबरक्लॉसिस (टीबी) से होने वाली मौतों पर कोरोना महामारी के पूर्वनिर्धारित प्रभाव को लेकर एक पत्र प्रकाशित किया है.

यह पत्र मुख्य रूप से वैश्विक टीबी के मरीजों की संख्या का पता लगाने और इसकी मृत्यु दर का अनुमान लगाने के लिए प्रकाशित किया गया है.

शोध में कहा गया है कि कोविड-19 महामारी के जवाब में व्यापक रूप से अपनाई गई नीतियां विशेषकर लॉकडाउन और स्वास्थ्य कर्मियों और उपकरणों के पुनर्मूल्यांकन टीबी की रोकथाम और देखभाल कार्यक्रमों के प्रदर्शन को प्रभावित कर रहे हैं.

संगठन का कहना है कि इन तीन महीनों की अवधि में वैश्विक टीबी के मरीजों का पता लगाने के मामलो में 25% की कमी आई है.

भारत में टीबी से होने वाली मौतों का अनुमान

भारत में 22 मार्च के बाद पिछले हफ्तों में टीबी के मामलों में 75% की गिरावट आई है. 22 मार्च से पहले हफ्तों में टीबी के 45,875 मामले सामने आए थे, वहीं लॉकडाउन के बाद 11,367 मामले सामने आए हैं.

वास्तविक समय में लॉकडाउन के कारण टीबी का डेटा राष्ट्रीय ऑनलाइन टीबी निगरानी प्रणाली निक्षय (Nikshay) पर दर्ज करने में भी देरी हो रही है.

उपरोक्त टिप्पणियों और इसी तरह की अन्य देशों की भी रिपोर्टों के आधार पर यह अनुमान लगाया जा सकता है. टीबी के मामलों का पता लगाने में वैश्विक स्तर पर अस्थाई रूप से गिरावट आई है.

टीबी मृत्यु दर में वृद्धि मुख्य रूप से सबसे कमजोर टीबी रोगियों को प्रभावित करती है.

कोविड-19 महामारी के दौरान देश में टीबी के मामलों का पता लगाने और देखभाल कार्यक्रमों को प्राथमिकता देने के लिए आवश्यक स्वास्थ्य सेवाओं पर विचार किया जाना चाहिए.

गौरतलब है कि देश में टीबी के मरीज सबसे ज्यादा प्रभावित हो सकते हैं और समय पर इलाज नहीं मिलने के कारण हजारों जानें जा सकती हैं.

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