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यमुना का जलस्तर बढ़ते ही ताजमहल के पीछे का नजारा बदला - जलस्तर बढ़ा

मोहब्बत की निशानी ताजमहल के पीछे का नजारा इन दिनों बदला हुआ है. यमुना का जलस्तर बढ़ने पर इन दिनों मेहताब बाग से एक शानदार दृश्य नजर आ रहा है. बारिश से नदी के किनारे साफ और हरे-भरे हो गए हैं.

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मोहब्बत की निशानी ताजमहल
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Published : Aug 23, 2020, 8:09 PM IST

Updated : Aug 23, 2020, 8:34 PM IST

आगरा : खूबसूरती के लिए मशहूर आगरा के ताजमहल के पीछे का नजारा इन दिनों बदला हुआ है. नहरनुमा यमुना नदी में आमतौर पर पानी काफी कम रहता है, मगर लगातार हुई बारिश से जलस्तर बढ़ गया है. यमुना का जलस्तर बढ़ने पर इन दिनों मेहताब बाग से एक शानदार दृश्य नजर आ रहा है.

बारिश के पानी ने शहर की जीवनरेखा कही जाने वाली यमुना नदी को 'बीमार सीवेज नहर' से एक आकर्षक जल निकाय में बदल दिया है. इतना ही नहीं, इसके आस-पास जो कूड़े के ढेर जमा थे, वह भी पानी में बह गए हैं. बदले हुए इस माहौल ने यहां के लोगों को खासा उत्साहित कर दिया है. यमुना किनारे रोड के एक मंदिर के पुजारी नंदन श्रोत्रिय कहते हैं, मानसून की बारिश ने नदी के किनारों को साफ और हरा-भरा कर दिया है. वहीं कुछ समय के लिए रुकी लोगों की आवाजाही ने यहां पक्षियों की चहचहाट भी वापस ला दी है.

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बारिश के बाद नीला आसमान और ताजमहल का शानदार दृश्य

नदी के लिए काम करने वाले एक कार्यकर्ता श्रवण कुमार सिंह कहते हैं बादशाह शाहजहां ने यमुना नदी के कारण इस जगह को ताजमहल के निर्माण के लिए चुना था, लेकिन पिछले कुछ दशकों से साल के ज्यादातर समय में यह नदी एक गंदी नहर जैसी हालत में रहती थी. ऐसे में सवाल यह है कि अभी नदी पानी से भरी है, लेकिन कब तक इसमें पानी रहेगा? इस पर पर्यावरणविद् देवाशीष भट्टाचार्य कहते हैं साल में लगभग आठ महीने यमुना सूखी और प्रदूषित रहती है, क्योंकि नदी पर बने बांध हथिनी कुंड से वजीराबाद, ओखला और गोकुल तक पानी का बहाव रोक देते हैं. लिहाजा, शहर के निचले हिस्सों में पानी की कमी हो जाती है. यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि नदी में सालभर पानी रहे, ताकि इसमें जलीय जीवन बना रहे.

Taj Mahal view changed
बारिश के बाद आगरा में बढ़ा यमुना का जलस्तर

यह यमुना नदी की शोभा ही थी जिसने 500 साल पहले, मुगल वंश के संस्थापकों को यहां आकर दुकानें खोलने के लिए आकर्षित किया था और फिर उनके वंशजों को ताजमहल जैसी कृति समेत कई स्मारक बनाने के लिए प्रेरित किया. लेकिन बदबूदार हो चुकी इस नदी से अब लोग दूर ही भागते हैं. जबकि कभी नदी का यही किनारा संपन्न व्यावसायिक गतिविधियों का केंद्र हुआ करता था. अब यहां से न केवल व्यापार, बल्कि नदी की संस्कृति ही गायब हो चुकी है. कई किलोमीटर तक केवल बंजर भूमि ही नजर आती है.

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पर्याप्त पानी की आपूर्ति के बाद मानो प्रकृति ने ओढ़ी हरी चादर

ताज से सटे दशहरा घाट के कैलाश मंदिर से लेकर काफी दूर तक लाल बलुआ पत्थरों और संगमरमर के स्थायी घाट थे. वेकअप आगरा के अध्यक्ष शिशिर भगत कहते हैं आज लोग यमुना के किनारे चलते हुए उसकी बदबू से बचने लिए अपनी नाक को ढंकते हुए दिखाई देते हैं. मंत्री नितिन गडकरी ने वादा किया था कि वह पर्यटकों को स्टीमर्स से दिल्ली से यमुना लेकर आएंगे. पता नहीं वह यह वादा भूल गए हैं या उन्होंने यह प्रोजेक्ट ही छोड़ दिया है.

Taj Mahal view changed
यमुना का जलस्तर बढ़ने के बाद ताज के आसपास का नजारा

रिवर कनेक्ट के प्रचारक पंडित जुगल किशोर कहते हैं वह दिन थे जब आगरा के लोग नदी के किनारे इत्मीनान से गर्मियों की शाम बिताते थे, जहां मंदिरों की एक लंबी कतार थी. धार्मिक आयोजन हुआ करते थे. लेकिन अब तो लोग इससे इतने दूर हो गए हैं कि शायद भूल ही गए हैं कि शहर में एक नदी भी है. रिवर कनेक्ट अभियान जैसे नागरिक समूह सरकारी एजेंसियों पर स्वच्छता अभियान चलाने, लेकिन अभी तक कोई सकारात्मक जबाव नहीं मिला है.

yamuna
ताज के पास आसमान में घुमड़ते बादल और यमुना नदी का नजारा

ब्रज मंडल हेरिटेज कंजर्वेशन सोसाइटी के अध्यक्ष सुरेंद्र शर्मा कहते हैं हमने योगी और मोदी सरकार से आगरा और मथुरा में साबरमती मॉडल को दोहराने का आग्रह किया है. जिस तरह अहमदाबाद में साबरमती नदी एक गंदे नाले में बदल गई थी और फिर नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली तत्कालीन राज्य सरकार ने इसे लेकर जो काम किए वो देखने लायक हैं. वैसा ही काम यहां करने की जरूरत है.

पढ़ें :मोहब्बत की निशानी ताजमहल का यहां से करें दीदार

आगरा : खूबसूरती के लिए मशहूर आगरा के ताजमहल के पीछे का नजारा इन दिनों बदला हुआ है. नहरनुमा यमुना नदी में आमतौर पर पानी काफी कम रहता है, मगर लगातार हुई बारिश से जलस्तर बढ़ गया है. यमुना का जलस्तर बढ़ने पर इन दिनों मेहताब बाग से एक शानदार दृश्य नजर आ रहा है.

बारिश के पानी ने शहर की जीवनरेखा कही जाने वाली यमुना नदी को 'बीमार सीवेज नहर' से एक आकर्षक जल निकाय में बदल दिया है. इतना ही नहीं, इसके आस-पास जो कूड़े के ढेर जमा थे, वह भी पानी में बह गए हैं. बदले हुए इस माहौल ने यहां के लोगों को खासा उत्साहित कर दिया है. यमुना किनारे रोड के एक मंदिर के पुजारी नंदन श्रोत्रिय कहते हैं, मानसून की बारिश ने नदी के किनारों को साफ और हरा-भरा कर दिया है. वहीं कुछ समय के लिए रुकी लोगों की आवाजाही ने यहां पक्षियों की चहचहाट भी वापस ला दी है.

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बारिश के बाद नीला आसमान और ताजमहल का शानदार दृश्य

नदी के लिए काम करने वाले एक कार्यकर्ता श्रवण कुमार सिंह कहते हैं बादशाह शाहजहां ने यमुना नदी के कारण इस जगह को ताजमहल के निर्माण के लिए चुना था, लेकिन पिछले कुछ दशकों से साल के ज्यादातर समय में यह नदी एक गंदी नहर जैसी हालत में रहती थी. ऐसे में सवाल यह है कि अभी नदी पानी से भरी है, लेकिन कब तक इसमें पानी रहेगा? इस पर पर्यावरणविद् देवाशीष भट्टाचार्य कहते हैं साल में लगभग आठ महीने यमुना सूखी और प्रदूषित रहती है, क्योंकि नदी पर बने बांध हथिनी कुंड से वजीराबाद, ओखला और गोकुल तक पानी का बहाव रोक देते हैं. लिहाजा, शहर के निचले हिस्सों में पानी की कमी हो जाती है. यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि नदी में सालभर पानी रहे, ताकि इसमें जलीय जीवन बना रहे.

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बारिश के बाद आगरा में बढ़ा यमुना का जलस्तर

यह यमुना नदी की शोभा ही थी जिसने 500 साल पहले, मुगल वंश के संस्थापकों को यहां आकर दुकानें खोलने के लिए आकर्षित किया था और फिर उनके वंशजों को ताजमहल जैसी कृति समेत कई स्मारक बनाने के लिए प्रेरित किया. लेकिन बदबूदार हो चुकी इस नदी से अब लोग दूर ही भागते हैं. जबकि कभी नदी का यही किनारा संपन्न व्यावसायिक गतिविधियों का केंद्र हुआ करता था. अब यहां से न केवल व्यापार, बल्कि नदी की संस्कृति ही गायब हो चुकी है. कई किलोमीटर तक केवल बंजर भूमि ही नजर आती है.

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पर्याप्त पानी की आपूर्ति के बाद मानो प्रकृति ने ओढ़ी हरी चादर

ताज से सटे दशहरा घाट के कैलाश मंदिर से लेकर काफी दूर तक लाल बलुआ पत्थरों और संगमरमर के स्थायी घाट थे. वेकअप आगरा के अध्यक्ष शिशिर भगत कहते हैं आज लोग यमुना के किनारे चलते हुए उसकी बदबू से बचने लिए अपनी नाक को ढंकते हुए दिखाई देते हैं. मंत्री नितिन गडकरी ने वादा किया था कि वह पर्यटकों को स्टीमर्स से दिल्ली से यमुना लेकर आएंगे. पता नहीं वह यह वादा भूल गए हैं या उन्होंने यह प्रोजेक्ट ही छोड़ दिया है.

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यमुना का जलस्तर बढ़ने के बाद ताज के आसपास का नजारा

रिवर कनेक्ट के प्रचारक पंडित जुगल किशोर कहते हैं वह दिन थे जब आगरा के लोग नदी के किनारे इत्मीनान से गर्मियों की शाम बिताते थे, जहां मंदिरों की एक लंबी कतार थी. धार्मिक आयोजन हुआ करते थे. लेकिन अब तो लोग इससे इतने दूर हो गए हैं कि शायद भूल ही गए हैं कि शहर में एक नदी भी है. रिवर कनेक्ट अभियान जैसे नागरिक समूह सरकारी एजेंसियों पर स्वच्छता अभियान चलाने, लेकिन अभी तक कोई सकारात्मक जबाव नहीं मिला है.

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ताज के पास आसमान में घुमड़ते बादल और यमुना नदी का नजारा

ब्रज मंडल हेरिटेज कंजर्वेशन सोसाइटी के अध्यक्ष सुरेंद्र शर्मा कहते हैं हमने योगी और मोदी सरकार से आगरा और मथुरा में साबरमती मॉडल को दोहराने का आग्रह किया है. जिस तरह अहमदाबाद में साबरमती नदी एक गंदे नाले में बदल गई थी और फिर नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली तत्कालीन राज्य सरकार ने इसे लेकर जो काम किए वो देखने लायक हैं. वैसा ही काम यहां करने की जरूरत है.

पढ़ें :मोहब्बत की निशानी ताजमहल का यहां से करें दीदार

Last Updated : Aug 23, 2020, 8:34 PM IST
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