नई दिल्ली : कहते हैं जो अपना भविष्य आनंदमय बनाना चाहता है, उसे अपना समय बर्बाद नहीं करना चाहिए. समय बहुत ही बलवान होता है. जिसे समय का मूल्य समझ में आ गया, वह जिंदगी में कभी पीछे नहीं रह सकता. समय वह मरहम है, जो बड़े से बड़े घाव भी भर देता है. रोजमर्रा के कार्यों में हर व्यक्ति को अपना कुछ न कुछ समय देना ही पड़ता है. घर के कार्य हों, रोजगार से जुड़े काम हों, बाहर जाने से लेकर घूमने-फिरने और भी बहुत सारे कार्यों में हम अपना समय देते ही हैं, जो कि हर व्यक्ति की जिंदगी का अहम हिस्सा है. ऐसे में हमें इस बात का अंदाजा तक नहीं होता कि हमने किन कार्यों को कितना वक्त दिया है.
कभी-कभार फिजूल के कार्यों में व्यक्ति इतना समय दे देता है कि बहुत से अहम कार्य छूट जाते हैं, वहीं कई बार ऐसा भी होता है कि पूरा दिन एक ही कार्य में निकल जाता है. यह समय ही है, जो देर से ही सही, लेकिन हर इंसान को अपनी अहमियत बता देता है. ऐसे में देश के हर व्यक्ति के समय का लेखा-जोखा रखने का कार्य किया है, राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय ने. जी हां! कार्यालय ने लोगों के समय पर एक सर्वेक्षण किया है, जिसमें उनके द्वारा किए गए प्रत्येक कार्य में खर्च होने वाले समय की जानकारी इकट्ठी की गई है.
आपको बता दें, ऐसा पहली बार है कि देश के लोगों द्वारा की गई गतिविधियों में लगने वाले समय का सर्वेक्षण किया गया हो.
सर्वेक्षण की कुछ प्रमुख बातेंः
- समय के उपयोग सर्वेक्षण से आए परिणाम 6 व उससे अधिक वर्ष के लोगों पर आधारित है.
- यह सर्वेक्षण विभिन्न गतिविधियों में व्यतीत समय के उपयोग का प्रतिदिन के आकलन को ध्यान में रखकर किया गया है.
- एक दिन में प्रति व्यक्ति का उपलब्ध कुल 1440 मिनट के समय का विभिन्न गतिविधियों के आवंटन को समझने के लिए, समय के उपयोग के कुछ आकलन सभी व्यक्तियों को संज्ञान में लेते हुए प्रस्तुत किया गया है, चाहे उन्होंने इन गतिविधियों में भाग नहीं लिया हो.
- मुख्य बातों में, निर्धारित समय में केवल प्रमुख गतिविधि की जगह सभी गतिविधियों पर विचार करते हुए परिणाम दिए गए हैं.
जनसांख्यिकी कार्यालय द्वारा जनवरी 2019 में समय के उपयोग का यह सर्वेक्षण किया. इस सर्वेक्षण को जनवरी 2019 से दिसंबर 2019 की अवधि के दौरान किया गया.
जनवरी-दिसंबर 2019 के दौरान 6 वर्ष या उससे ज्यादा उम्र के लोगों और उनके परिवार के समय के उपयोग संबंधी जानकारी इकट्ठी की गई.
सर्वेक्षण का मूल्यांकन
इस सर्वेक्षण की सबसे अहम बात इसकी सहभागिता दर है, जिससे इस बात का पता चलता है कि सर्वेक्षण किस आधार पर किया गया है.
सहभागिता दर
किसी भी गतिविधि में एक दिन में सहभागिता दर को संदर्भ के 24 घंटों के दौरान उस गतिविधि को करने वाले लोगों के प्रतिशत के रूप में परिभाषित किया गया है.
प्रति प्रतिभागी (एक दिन में खर्च) औसत समय
इस मूल्यांकन को प्रति प्रतिभागी एक दिन में खर्च औसत समय के रूप में संदर्भित किया जाता है.
प्रति व्यक्ति एक दिन में खर्च औसत समय
इस मूल्यांकन में प्रति व्यक्ति एक दिन में खर्च औसत समय के रूप में संदर्भित किया जाता है.
समय के उपयोग के सर्वेक्षण (टीयूएस) में इन गतिविधियों में लोगों की भागीदारी का हुआ आकलनः
- भुगतान गतिविधियां
- गैर भुगतान गतिविधियां
- अवैतनिक स्वयंसेवी कार्य
- अवैतिनिक घरेलू सेवा उत्पादमन गतिविधियां
- शिक्षण
- समाजीकरण
- अवकाश गतिविधियां
- स्व-देखभाल आदि गतिविधियां
क्या है समय के उपयोग की सर्वेक्षण रिपोर्टः
टीयूएस यानी समय के उपयोग की सर्वेक्षण रिपोर्ट ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में लिंग, आयु आदि के विभिन्न स्तरों पर समय के उपयोग के संकेतकों का अनुमान उपलब्ध करवाती है. इनका उपयोग विभिन्न विभागों द्वारा नियोजन, नीति निर्माण, निर्णय समर्थन और अन्य सांख्यिकीय अभ्यासों के लिए या सरकार के मंत्रालयों, अन्य संगठनों, शिक्षाविदों, शोधकर्ताओं और विद्वानों द्वारा इनपुट के तौर पर किया जा सकता है.
पद्धति का विकास
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के सर्वेक्षण अभिकल्प एवं अनुसंधान प्रभाग (एसडीआरडी) ने समय के उपयोग का सर्वेक्षण और इस रिपोर्ट को तैयार करने के लिए सर्वेक्षण पद्धति का विकास किया. क्षेत्र संकाय प्रभाग (एफओडी) ने क्षेत्रीय कार्य का निष्पादन किया.
जबकि सम्यक विधायन और सारणीकरण का काम सम्यक गुणवत्ता और आश्वासन प्रभाग (डीक्यूएडी) ने किया. सर्वेक्षण समन्वय प्रभाग (एससीडी) द्वारा सर्वेक्षण से संबंधित विभिन्न गतिविधियों का समन्वय किया गया.