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सर्वे में 33 प्रतिशत लोगों की राय, अर्थव्यवस्था में सुस्ती नोटबंदी का बड़ा नकारात्मक प्रभाव

करीब 33 प्रतिशत लोगों का मानना है कि नोटबंदी का सबसे बड़ा नकारात्मक प्रभाव अर्थव्यवस्था की सुस्ती के रूप में सामने आया है. ये बात एक सर्वे में कही गई है. बता दें कि सर्वे में देशभर के 50 हजार लोगों की राय ली गई है. पढ़ें पूरा विवरण...

अर्थव्यवस्था में सुस्ती नोटबंदी का बड़ा नकारात्मक प्रभाव
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Published : Nov 8, 2019, 12:02 AM IST

नई दिल्ली : करीब 33 प्रतिशत लोगों का मानना है कि नोटबंदी का सबसे बड़ा नकारात्मक प्रभाव अर्थव्यवस्था की सुस्ती के रूप में सामने आया है. वहीं 28 प्रतिशत का मानना है कि नोटबंदी का कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ा है.

आनलाइन कम्युनिटी मंच लोकल सर्किल्स के सर्वे के अनुसार 32 प्रतिशत लोगों का मानना है कि नोटबंदी की वजह से असंगठित क्षेत्र के कामगारों की आमदनी का जरिया समाप्त हो गया. सर्वे में देशभर के 50,000 लोगों की राय ली गई है.

वहीं नोटबंदी के फायदों के बारे में 42 प्रतिशत लोगों ने कहा कि इससे बड़ी संख्या में कर की अपवंचना करने वाले लोगों को कर दायरे में लाया जा सका.
वहीं 25 प्रतिशत का मानना है कि इससे कोई फायदा नहीं हुआ.

पढे़ं : कश्मीर में पाबंदी : SC ने आजाद से पूछा - क्या अधिकारी दंगा होने का इंतजार करते

करीब 21 प्रतिशत लोगों की राय थी कि नोटबंदी से अर्थव्यवस्था में कालाधन कम हुआ, जबकि 12 प्रतिशत ने कहा कि इससे प्रत्यक्ष कर संग्रह बढ़ा.

उल्लेखनीय है कि मोदी सरकार ने अपने पहले कार्यकाल में 8 नवंबर 2016 को अर्थव्यवस्था में उस समय प्रचलन में रहे 500 रुपये और एक हजार रुपये के नोटों को निरस्त कर दिया था. यह कदम अर्थव्यवस्था में कालेधन को समाप्त करने के इरादे से उठाया गया था.

नई दिल्ली : करीब 33 प्रतिशत लोगों का मानना है कि नोटबंदी का सबसे बड़ा नकारात्मक प्रभाव अर्थव्यवस्था की सुस्ती के रूप में सामने आया है. वहीं 28 प्रतिशत का मानना है कि नोटबंदी का कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ा है.

आनलाइन कम्युनिटी मंच लोकल सर्किल्स के सर्वे के अनुसार 32 प्रतिशत लोगों का मानना है कि नोटबंदी की वजह से असंगठित क्षेत्र के कामगारों की आमदनी का जरिया समाप्त हो गया. सर्वे में देशभर के 50,000 लोगों की राय ली गई है.

वहीं नोटबंदी के फायदों के बारे में 42 प्रतिशत लोगों ने कहा कि इससे बड़ी संख्या में कर की अपवंचना करने वाले लोगों को कर दायरे में लाया जा सका.
वहीं 25 प्रतिशत का मानना है कि इससे कोई फायदा नहीं हुआ.

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करीब 21 प्रतिशत लोगों की राय थी कि नोटबंदी से अर्थव्यवस्था में कालाधन कम हुआ, जबकि 12 प्रतिशत ने कहा कि इससे प्रत्यक्ष कर संग्रह बढ़ा.

उल्लेखनीय है कि मोदी सरकार ने अपने पहले कार्यकाल में 8 नवंबर 2016 को अर्थव्यवस्था में उस समय प्रचलन में रहे 500 रुपये और एक हजार रुपये के नोटों को निरस्त कर दिया था. यह कदम अर्थव्यवस्था में कालेधन को समाप्त करने के इरादे से उठाया गया था.

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33 pc feel slowdown was biggest negative impact of demonetisation: Survey
          New Delhi, Nov 7 (PTI) Around one-third of people surveyed think economic slowdown was the biggest negative impact of demonetisation, while 28 per cent said it had no negative effects at all, according to a report.
          Around 32 per cent of respondents believe note ban caused loss of earnings for many unorganised sector workers, as per the survey conducted by online community platform LocalCircles.
          The survey, with a sample size of about 50,000 respondents from across India, came on the eve of the third anniversary of demonetisation.
          Regarding the top benefit of demonetisation, 42 per cent said it brought a large number of evaders in the tax net, while 25 per cent felt the move had no benefits at all.
          Around 21 per cent respondents said note ban has reduced black money in the economy and 12 per cent said it increased direct tax collections.
          The government had on November 8, 2016 announced ban on old 500 and 1,000 rupee notes to curb black money in the system.
          Of the Rs 15.41 lakh crore worth Rs 500 and Rs 1,000 notes in circulation on November 8, 2016, 99.3 per cent or notes worth Rs 15.31 lakh crore returned to the banking system. Just Rs 10,720 crore of the junked currency did not return to the banking system.
          After the note ban, old junked notes were allowed to be deposited in banks, with unusual deposits coming under income tax scrutiny. PTI DP
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