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किसान आंदोलन : 'सुप्रीम' फैसले पर बोले येचुरी- निकलेगा आगे का रास्ता - स्वामीनाथ आयोग लागू किया जाए

दो महीने से ज्यादा समय से चल रहे किसान आंदोलन मसले पर सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को आदेश दिया कि जून में केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीन कृषि सुधार कानूनों के कार्यान्वयन पर रोक लगाई जाए. हालांकि, किसानों का आंदोलन अभी जारी है और उनका मानना है कि जब तक किसान कानून वापस नहीं लिए जाते तब तक आंदोलन जारी रहेगा. सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का प्रमुख राजनैतिक दलों ने स्वागत किया है.

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Published : Jan 12, 2021, 6:06 PM IST

Updated : Jan 12, 2021, 6:57 PM IST

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को आदेश दिया कि जून में केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीन कृषि सुधार कानूनों के कार्यान्वयन पर रोक लगाई जाए. इसे पिछले साल सितंबर में ही संसद द्वारा पारित किया गया था. पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की किसान यूनियनें दिल्ली की सीमाओं पर पिछले 48 दिनों से तीन कृषि कानूनों का विरोध कर रही हैं. सरकार और किसान यूनियनों के बीच 8 दौर की बातचीत के बाद भी कोई रास्ता नहीं निकला, तो सुप्रीम कोर्ट ने तीनों कानूनों को अगली सूचना तक रोक देने का फैसला किया.

ईटीवी भारत से इस मुद्दे पर बात करते हुए सीपीआई (एम) के महासचिव सीताराम येचुरी ने शीर्ष अदालत के फैसले का स्वागत किया और कहा कि इससे आगे का रास्ता मिलेगा. येचुरी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश एक स्पष्ट संदेश है कि तीनों कृषि कानूनों और किसानों के विरोध प्रदर्शन के मामले में यह सरकार पूरी तरह से विफल रही है. सरकार और प्रधानमंत्री विज्ञापन की तरह दोहरा रहे हैं कि इन कानूनों को वापस नहीं लिया जाएगा. अब सुप्रीम कोर्ट ने ऐसा कदम उठाया है जो आगे का रास्ता दिखाने वाला है.

किसान अभी भी नाराज हैं

किसान यूनियनों और सरकार के गतिरोध को हल करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने चार सदस्यीय समिति का गठन किया है. हालांकि, किसान यूनियनों ने ऐसी किसी भी समिति में भाग लेने से पहले ही इनकार कर दिया है. CPIM के महासचिव ने कहा कि किसानों का कहना है कि ऐसी किसी समिति की क्या आवश्यकता है? यह मामला किसानों और सरकार के बीच है. येचुरी ने कहा कि हमारा सुझाव है कि सरकार को पहले इन कानूनों को वापस लेना चाहिए और फिर किसानों और सरकार के कॉर्पोरेट सहित अन्य हितधारकों के साथ कृषि सुधारों पर चर्चा करनी चाहिए. संसद में सभी प्रस्तावों पर उचित चर्चा के माध्यम से नए कानून लाए जाएं. यही एक तरीका है जिससे हम इस मुद्दे पर आगे बढ़ सकते हैं.

यह भी पढ़ें-कृषि कानूनों को लागू करने पर सुप्रीम कोर्ट की रोक, चार सदस्यीय कमेटी का गठन

स्वामीनाथ आयोग लागू किया जाए

उनका कहना है कि स्वामीनाथन समिति ने पहले ही सिफारिशें दी हैं, लेकिन उन्हें लागू नहीं किया जा रहा है. अब यदि किसी समिति की आवश्यकता है तो आपके पास उन सिफारिशों के कार्यान्वयन के लिए एक समिति होगी. कल किसानों ने संकेत दिया कि वे किसी समिति के साथ चर्चा नहीं करेंगे. जो भी किसान तय करेंगे, हम समर्थन करेंगे. पीआईएम के महासचिव सीताराम येचुरी और सीपीआई के डी राजा ने दिल्ली में एनसीपी प्रमुख शरद पवार के साथ बैठक की और विपक्षी पार्टी के नेताओं ने पवार के आवास पर बैठक के दौरान चल रहे किसान विरोध पर भी चर्चा की है.

शीर्ष अदालत के फैसले का स्वागत

किसान आंदोलन : 'सुप्रीम' फैसले पर बोले येचुरी- निकलेगा आगे का रास्ता

सीताराम येचुरी ने कहा कि वह अन्य विपक्षी दलों के नेताओं के साथ भी बातचीत कर रहे हैं. सभी दलों की आम राय यही है कि सुप्रीम कोर्ट ने इन कानूनों पर रोक लगाने का फैसला किया है जो सही है. भविष्य में कृषि सुधारों के लिए किसानों और अन्य हितधारकों के साथ ठीक से चर्चा होनी चाहिए. फिर उन्हें संसद के सामने लाना चाहिए.

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को आदेश दिया कि जून में केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीन कृषि सुधार कानूनों के कार्यान्वयन पर रोक लगाई जाए. इसे पिछले साल सितंबर में ही संसद द्वारा पारित किया गया था. पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की किसान यूनियनें दिल्ली की सीमाओं पर पिछले 48 दिनों से तीन कृषि कानूनों का विरोध कर रही हैं. सरकार और किसान यूनियनों के बीच 8 दौर की बातचीत के बाद भी कोई रास्ता नहीं निकला, तो सुप्रीम कोर्ट ने तीनों कानूनों को अगली सूचना तक रोक देने का फैसला किया.

ईटीवी भारत से इस मुद्दे पर बात करते हुए सीपीआई (एम) के महासचिव सीताराम येचुरी ने शीर्ष अदालत के फैसले का स्वागत किया और कहा कि इससे आगे का रास्ता मिलेगा. येचुरी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश एक स्पष्ट संदेश है कि तीनों कृषि कानूनों और किसानों के विरोध प्रदर्शन के मामले में यह सरकार पूरी तरह से विफल रही है. सरकार और प्रधानमंत्री विज्ञापन की तरह दोहरा रहे हैं कि इन कानूनों को वापस नहीं लिया जाएगा. अब सुप्रीम कोर्ट ने ऐसा कदम उठाया है जो आगे का रास्ता दिखाने वाला है.

किसान अभी भी नाराज हैं

किसान यूनियनों और सरकार के गतिरोध को हल करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने चार सदस्यीय समिति का गठन किया है. हालांकि, किसान यूनियनों ने ऐसी किसी भी समिति में भाग लेने से पहले ही इनकार कर दिया है. CPIM के महासचिव ने कहा कि किसानों का कहना है कि ऐसी किसी समिति की क्या आवश्यकता है? यह मामला किसानों और सरकार के बीच है. येचुरी ने कहा कि हमारा सुझाव है कि सरकार को पहले इन कानूनों को वापस लेना चाहिए और फिर किसानों और सरकार के कॉर्पोरेट सहित अन्य हितधारकों के साथ कृषि सुधारों पर चर्चा करनी चाहिए. संसद में सभी प्रस्तावों पर उचित चर्चा के माध्यम से नए कानून लाए जाएं. यही एक तरीका है जिससे हम इस मुद्दे पर आगे बढ़ सकते हैं.

यह भी पढ़ें-कृषि कानूनों को लागू करने पर सुप्रीम कोर्ट की रोक, चार सदस्यीय कमेटी का गठन

स्वामीनाथ आयोग लागू किया जाए

उनका कहना है कि स्वामीनाथन समिति ने पहले ही सिफारिशें दी हैं, लेकिन उन्हें लागू नहीं किया जा रहा है. अब यदि किसी समिति की आवश्यकता है तो आपके पास उन सिफारिशों के कार्यान्वयन के लिए एक समिति होगी. कल किसानों ने संकेत दिया कि वे किसी समिति के साथ चर्चा नहीं करेंगे. जो भी किसान तय करेंगे, हम समर्थन करेंगे. पीआईएम के महासचिव सीताराम येचुरी और सीपीआई के डी राजा ने दिल्ली में एनसीपी प्रमुख शरद पवार के साथ बैठक की और विपक्षी पार्टी के नेताओं ने पवार के आवास पर बैठक के दौरान चल रहे किसान विरोध पर भी चर्चा की है.

शीर्ष अदालत के फैसले का स्वागत

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सीताराम येचुरी ने कहा कि वह अन्य विपक्षी दलों के नेताओं के साथ भी बातचीत कर रहे हैं. सभी दलों की आम राय यही है कि सुप्रीम कोर्ट ने इन कानूनों पर रोक लगाने का फैसला किया है जो सही है. भविष्य में कृषि सुधारों के लिए किसानों और अन्य हितधारकों के साथ ठीक से चर्चा होनी चाहिए. फिर उन्हें संसद के सामने लाना चाहिए.

Last Updated : Jan 12, 2021, 6:57 PM IST
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