पुरी राजा गजपति दिव्य सेन ने कहा कि 16 वीं, 17 वीं और 18 वीं शताब्दी में ओडिशा मुगलों के अधीन था. उस समय मुगल आक्रमण करते थे. इस वजह से जगन्नाथ बलभद्र जी और सुभद्रा जी को अन्यत्र जगह पर रखा जाता था. उस समय भी जगन्नाथ यात्रा सम्भव नहीं हुई थी. यह कई बार हो चुका है कि भगवान जी को यहां से अन्यत्र स्थापित करना पड़ा है. यह तकरीबन 20 बार हो चुका है , लेकिन निकट समय में इस तरह का कोई प्रसंग नहीं हुआ है, जब से मराठा शासन शुरू हुआ था तब से किसी भी वर्ष रथ यात्रा बंद नहीं हुई थी.
सुप्रीम कोर्ट ने पुरी की जगन्नाथ रथ यात्रा पर रोक लगाई - पुरी राजा का रथ यात्रा पर बयान
15:32 June 18
12:50 June 18
सुप्रीम कोर्ट ने पुरी की जगन्नाथ रथ यात्रा पर रोक लगाई
नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने ओडिशा के पुरी में प्रतिवर्ष आयोजित होने वाली रथ यात्रा पर रोक लगा दी है. रोक लगाने का फैसला कोरोना वायरस (कोविड-19) महामारी के कारण लिया गया है. कोर्ट ने कहा कि पुरी में जगन्नाथ रथ यात्रा के उत्सव और अन्य सभी संबंधित गतिविधियों पर रोक लगाई जाती है. अदालत ने कहा कि लोगों लोगों की जिंदगी को दांव पर नहीं लगाया जा सकता.
भारत के मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे की अगुवाई में सुप्रीम कोर्ट की बेंच में इस मामले की सुनवाई की गई. कोर्ट ने कहा, 'अगर हम इस साल रथ यात्रा में शामिल होते हैं तो भगवान जगन्नाथ हमें माफ नहीं करेंगे.'
कोर्ट ने कहा कि कोरोना महामारी के दौरान लोगों की भीड़ को अनुमति नहीं दी जा सकती.
शीर्ष अदालत ने कहा कि सार्वजनिक स्वास्थ्य और नागरिकों की सुरक्षा के हित में, इस वर्ष रथ यात्रा की अनुमति नहीं दी जा सकती. अपने आदेश में अदालत ने राज्य सरकार के उस आदेश का भी हवाला दिया जो 30 जून तक सार्वजनिक सभा को प्रतिबंधित करता है.
याचिका पर सुनवाई के दौरान अधिवक्ता के उस बयान का भी जिक्र हुआ कि रथ यात्रा के आयोजन में लगभग 10 लाख लोगों की भीड़ जमा हो सकती है. इस पर प्रधान न्यायाधीश बोबडे ने कहा कि संकट के दौरान 10 हजार लोगों का जुटना भी गंभीर बात है. इसलिए महामारी के समय रथ यात्रा नहीं हो सकती है.
गौरतलब है कि ओडिशा के पुरी में प्रतिवर्ष जून-जुलाई माह में रथ यात्रा आयोजित की जाती है. इस आयोजन में देश-विदेश के लाखों श्रद्धालु शरीक होते हैं.
इससे पहले 9 दिनों तक चलने वाले इस उत्सव पर रोक लगाने के लिए ओडिशा विकास परिषद ने उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था. याचिका में कोरोना महामारी के संक्रमण को देखते हुए रथयात्रा उत्सव पर रोक लगाने की अपील की गई थी.
यह भी पढ़ें: कोविड-19: रथ यात्रा को टालने के लिए उच्चतम न्यायालय में याचिकाएं दायर
इससे पहले ओडिशा उच्च न्यायालय ने कहा था कि यह राज्य सरकार पर निर्भर है कि वह धार्मिक कार्यक्रम होने देती है या नहीं, लेकिन यदि वह कार्यक्रम को अनुमति देती है तो उसे कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने से संबंधित सभी दिशा-निर्देशों का पालन करना होगा और साथ ही रथ को व्यक्तियों की जगह मशीन या हाथी जैसे माध्यमों से खींचने पर विचार करना चाहिए.
15:32 June 18
पुरी राजा गजपति दिव्य सेन ने कहा कि 16 वीं, 17 वीं और 18 वीं शताब्दी में ओडिशा मुगलों के अधीन था. उस समय मुगल आक्रमण करते थे. इस वजह से जगन्नाथ बलभद्र जी और सुभद्रा जी को अन्यत्र जगह पर रखा जाता था. उस समय भी जगन्नाथ यात्रा सम्भव नहीं हुई थी. यह कई बार हो चुका है कि भगवान जी को यहां से अन्यत्र स्थापित करना पड़ा है. यह तकरीबन 20 बार हो चुका है , लेकिन निकट समय में इस तरह का कोई प्रसंग नहीं हुआ है, जब से मराठा शासन शुरू हुआ था तब से किसी भी वर्ष रथ यात्रा बंद नहीं हुई थी.
12:50 June 18
सुप्रीम कोर्ट ने पुरी की जगन्नाथ रथ यात्रा पर रोक लगाई
नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने ओडिशा के पुरी में प्रतिवर्ष आयोजित होने वाली रथ यात्रा पर रोक लगा दी है. रोक लगाने का फैसला कोरोना वायरस (कोविड-19) महामारी के कारण लिया गया है. कोर्ट ने कहा कि पुरी में जगन्नाथ रथ यात्रा के उत्सव और अन्य सभी संबंधित गतिविधियों पर रोक लगाई जाती है. अदालत ने कहा कि लोगों लोगों की जिंदगी को दांव पर नहीं लगाया जा सकता.
भारत के मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे की अगुवाई में सुप्रीम कोर्ट की बेंच में इस मामले की सुनवाई की गई. कोर्ट ने कहा, 'अगर हम इस साल रथ यात्रा में शामिल होते हैं तो भगवान जगन्नाथ हमें माफ नहीं करेंगे.'
कोर्ट ने कहा कि कोरोना महामारी के दौरान लोगों की भीड़ को अनुमति नहीं दी जा सकती.
शीर्ष अदालत ने कहा कि सार्वजनिक स्वास्थ्य और नागरिकों की सुरक्षा के हित में, इस वर्ष रथ यात्रा की अनुमति नहीं दी जा सकती. अपने आदेश में अदालत ने राज्य सरकार के उस आदेश का भी हवाला दिया जो 30 जून तक सार्वजनिक सभा को प्रतिबंधित करता है.
याचिका पर सुनवाई के दौरान अधिवक्ता के उस बयान का भी जिक्र हुआ कि रथ यात्रा के आयोजन में लगभग 10 लाख लोगों की भीड़ जमा हो सकती है. इस पर प्रधान न्यायाधीश बोबडे ने कहा कि संकट के दौरान 10 हजार लोगों का जुटना भी गंभीर बात है. इसलिए महामारी के समय रथ यात्रा नहीं हो सकती है.
गौरतलब है कि ओडिशा के पुरी में प्रतिवर्ष जून-जुलाई माह में रथ यात्रा आयोजित की जाती है. इस आयोजन में देश-विदेश के लाखों श्रद्धालु शरीक होते हैं.
इससे पहले 9 दिनों तक चलने वाले इस उत्सव पर रोक लगाने के लिए ओडिशा विकास परिषद ने उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था. याचिका में कोरोना महामारी के संक्रमण को देखते हुए रथयात्रा उत्सव पर रोक लगाने की अपील की गई थी.
यह भी पढ़ें: कोविड-19: रथ यात्रा को टालने के लिए उच्चतम न्यायालय में याचिकाएं दायर
इससे पहले ओडिशा उच्च न्यायालय ने कहा था कि यह राज्य सरकार पर निर्भर है कि वह धार्मिक कार्यक्रम होने देती है या नहीं, लेकिन यदि वह कार्यक्रम को अनुमति देती है तो उसे कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने से संबंधित सभी दिशा-निर्देशों का पालन करना होगा और साथ ही रथ को व्यक्तियों की जगह मशीन या हाथी जैसे माध्यमों से खींचने पर विचार करना चाहिए.