नई दिल्ली : देश में कोविड-19 महामारी और बाढ़ से उत्पन्न स्थिति के मद्देनजर सिविल सेवा परीक्षा स्थगित करने के लिये दायर याचिका पर उच्चतम न्यायालय ने केंद्र और यूपीएससी को नोटिस जारी किया है.
न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ ने इस संबंध में याचिका पर संक्षिप्त सुनवाई के बाद केंद्र और यूपीएससी को नोटिस जारी किए. पीठ ने इस मामले को आगे की सुनवाई के लिये 28 सितंबर को सूचीबद्ध किया है.
याचिकाकर्ताओं ने सिविल सेवा परीक्षा को दो से तीन महीने के लिये स्थगित करने का अनुरोध किया है, ताकि उस समय तक बाढ़ और लगातार बारिश की स्थिति में सुधार हो जाएगा और कोविड-19 संक्रमण भी कम हो जाएगा.
यह याचिका वासीरेड्डी गोवर्धन साई प्रकाश और अन्य ने दायर की है. इसमें कहा गया है कि संघ लोक सेवा आयोग द्वारा परिवर्तित कार्यक्रम के अनुसार परीक्षा कराने का निर्णय याचिकाकर्ताओं और उनकी ही तरह के दूसरे व्यक्तियों को जनता की सेवा करने के लिये अपना पेशा चुनने के बारे में संविधान के अनुच्छेद 19 (1)(जी) में प्रदत्त मौलिक अधिकार का हनन करता है.
यह याचिका यूपीएससी की सिविल सेवा (प्रारंभिक) परीक्षा चार अक्टूबर को आयोजित करने के खिलाफ 20 अभ्यर्थियों ने दायर की है.
याचिका के अनुसार सात घंटे की ऑफलाइन परीक्षा में देश के 72 शहरों में बने परीक्षा केंद्रों में करीब छह लाख अभ्यर्थी हिस्सा लेंगे.
याचिका के अनुसार सिविल सेवाओं में भर्ती के लिये आयोजित होने वाली यह परीक्षा शैक्षणिक परीक्षा से भिन्न है और अगर इसे कुछ समय के लिये स्थगित किया जाता है तो इससे किसी प्रकार के शैक्षणिक सत्र में विलंब होने जैसा सवाल नहीं उठता है.
याचिका में कहा गया है कि अभ्यर्थियों के गृह नगर में परीक्षा केंद्र नहीं होने की वजह से कई परीक्षार्थियों को रहने के लिये पीजी की सुविधा और सुरक्षित स्वास्थ्य से जुड़ी अनेक अकल्पनीय परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.