नई दिल्ली : जस्टिस यूयू ललित की अगुआई वाली सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने एलजी पॉलिमर कंपनी से कहा कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के समक्ष विजाग गैस रिसाव दुर्घटना की जांच के लिए समिति की नियुक्ति पर अपनी दलीलें दे.
सुप्रीम कोर्ट ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के आदेश में दखल देने से फिलहाल इनकार कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने मामले को आठ जून को सूचीबद्ध किया है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मामला एनजीटी में लंबित है इसलिए वह कोई आदेश जारी नहीं करेगा और न ही कोई नोटिस जारी करेगा.
एलजी पॉलिमर की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने एक के बजाए गैस रिसाव की घटना की जांच के लिए एनजीटी सहित सात समितियों के अनुमोदन पर आपत्ति जताई है.
उन्होंने दो कानूनी मुद्दों को उठाया, एक यह कि क्या एनजीटी मुकदमे की कार्यवाही का आदेश दे सकता है और दूसरी बात यह है कि सात के बजाए एक समिति बनाई जाए.
उन्होंने स्पष्ट किया कि कंपनी इस पर रोक नहीं बल्कि एनजीटी के अधिकार क्षेत्र पर फैसला चाहती थी. उन्होंने कहा कि इन समितियों को आदेश देने के लिए किन अधिकारियों की भूमिका होगी.
इसके अलावा उन्होंने अदालत को सूचित किया कि एनजीटी ने उसे 50 करोड़ की राशि का भुगतान करने का आदेश दिया था, जो पहले ही समय पर भुगतान कर दिया गया था. एनजीटी ने आठ मई को समिति के गठन का आदेश दिया है.
रोहतगी की दलीलों का जवाब देते हुए पीठ ने कहा कि घटना सात मई को हुई और तुरंत हाई कोर्ट ने एक आदेश पारित किया. उन्होंने कहा कि एनजीटी के अधिकार क्षेत्र से बाद में निपटा जाएगा. वर्तमान में याचिकाकर्ता एनजीटी से संपर्क करें.
बता दें कि आठ मई को एनजीटी ने एलजी पॉलिमर को विजाग में गैस रिसाव से हुए नुकसान के लिए 50 करोड़ रुपए का भुगतान करने का निर्देश दिया था.
इस मामले की जांच और एक रिपोर्ट एनजीटी को सौंपने के लिए आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश बी शेषासायण रेड्डी की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय समिति का गठन किया गया. एलजी ने एनजीटी के आदेश को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत का रुख किया था.
15 मई को समिति ने अपनी जांच की और संयंत्र का दौरा किया. दक्षिण कोरियाई विशेषज्ञ टीम के कॉमपनी अधिकारियों से बात की और उस टैंक का निरीक्षण किया जिसमें से गैस लीक हुई थी.