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इतालवी नाविकों का केस बंद करने की अर्जी, पीड़ितों का पक्ष सुनेगा सुप्रीम कोर्ट

भारतीय मछुआरों को गोली मारने के आरोपी दो इतालवी नाविकों के मामले को बंद करने की केंद्र सरकार की अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि पीड़ित परिवारों का पक्ष सुने बगैर कोई आदेश नहीं दिया जाएगा. अदालत का कहना है कि पीड़ित परिवारों को समुचित मुआवजा दिया जाना चाहिए.

closure of Italian marines case
इतालवी नाविकों का केस बंद की आर्जी
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Published : Aug 7, 2020, 6:15 PM IST

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को भारतीय मछुआरों को गोली मारने के आरोपी दो इतालवी नाविकों के मामले को बंद करने पर सुनवाई हुई. इस दौरान शीर्ष अदालत ने स्पष्ट किया कि इतालवी नाविकों के मामले को बंद करने की केंद्र सरकार की अर्जी पर पीड़ित परिवारों का पक्ष सुने बगैर कोई आदेश नहीं दिया जाएगा, जिन्हें समुचित मुआवजा दिया जाना चाहिए.

प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे की अगुआई वाली तीन सदस्यीय पीठ ने वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से केंद्र की अर्जी पर सुनवाई के दौरान सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता को यह स्पष्ट किया.

इतालवी नाविकों ने फरवरी, 2012 में केरल तट से दूर दो भारतीय मछुआरों को गोली मार दी थी, जिससे दोनों की मौत हो गई थी.

पीठ ने केंद्र को इस घटना में मारे गए मछुआरों के परिवार के सदस्यों को पक्षकार बनाते हुए इतालवी नाविकों का मामला बंद करने के लिए आवेदन दायर करने की अनुमति दी.

अदालत ने केंद्र सरकार को मामला बंद करने के लिए नए आवेदन में पीड़ितों के परिवारों को पक्षकार बनाते हुए एक सप्ताह के भीतर इसे दायर करने की अनुमति दे दी है.

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ को सूचित किया कि इटली सरकार ने भारत सरकार को यह आश्वासन दिया है कि वह इन नाविकों पर मुकदमा चलाएगी.

इस घटना का शिकार हुए मछुआरों के परिवारों को समुचित मुआवजा दिए जाने पर जब पीठ ने जोर दिया तो मेहता ने कहा कि केंद्र सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि पीड़ित परिवारों को अधिकतम मुआवजा दिया जाए.

इस मामले की सुनवाई शुरू होते ही पीठ ने इन नाविकों पर मुकदमा चलाने के लिए उठाए गए इटली के कदमों की सराहना की, लेकिन न्यायालय ने कहा कि वह पीड़ित परिवारों के लिए समुचित मुआवजे के विषय पर बात कर रही है जो पीड़ित परिवारों को दिया जाना चाहिए.

सुप्रीम कोर्ट ने विशेष अदालत में इतालवी नाविकों का मामला लंबित होने का जिक्र किया और सवाल किया कि वहां मुकदमा वापस लेने के लिए आवेदन के बगैर केंद्र कैसे मामला बंद कराने के लिए यहां आ सकता है.

इस पर तुषार मेहता ने जवाब दिया कि शीर्ष अदालत ने पहले कहा था कि विशेष अदालत की कार्यवाही विलंबित रखी जाए.

पीठ ने कहा, 'आप वहां मुकदमा वापस लेने का आवेदन कर सकते हैं. पीड़ित परिवारों को इसका विरोध करने का अधिकार है. पीड़ितों के परिवार यहां पक्षकार भी नहीं हैं. हम पीड़ित परिवारों को सुने बगैर कोई आदेश पारित नहीं करेंगे.'

यह भी पढ़ें- कांग्रेस-चीनी कम्युनिस्ट पार्टी समझौते से सुप्रीम कोर्ट हैरान, भाजपा ने घेरा

केंद्र सरकार ने तीन जुलाई को शीर्ष अदालत में इतालवी नाविकों के खिलाफ चल रही कार्यवाही बंद करने के लिए एक आवेदन दायर किया था. केंद्र ने कहा था कि उसने हेग स्थित पंचाट की स्थाई अदालत का 21 मई, 2020 का फैसला स्वीकार कर लिया है कि भारत इस मामले में मुआवजा पाने का हकदार है, लेकिन नाविकों को प्राप्त छूट की वजह से वह इन पर मुकदमा नहीं चला सकता.

भारत ने इटली के तेल टैंकर एमवी एनरिका लेक्सी पर तैनात दो इतालवी नाविकों- सल्वाटोरे गिरोने और मैस्सीमिलियानो लटोरे पर भारत के आर्थिक क्षेत्र में 15 फरवरी 2012 को मछली पकड़ने वाली नौका में सवार दो भारतीय मछुआरों की गोली मार कर हत्या करने का आरोप लगाया था.

इन इतावली नाविकों के खिलाफ मछली पकड़ने वाली नौका 'सेंट एंटनी' के मालिक फ्रेडी ने शिकायत दर्ज कराई थी कि इन नाविकों द्वारा गोली चलाए जाने के कारण केरल के दो मछुआरों की मौत हो गई है.

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को भारतीय मछुआरों को गोली मारने के आरोपी दो इतालवी नाविकों के मामले को बंद करने पर सुनवाई हुई. इस दौरान शीर्ष अदालत ने स्पष्ट किया कि इतालवी नाविकों के मामले को बंद करने की केंद्र सरकार की अर्जी पर पीड़ित परिवारों का पक्ष सुने बगैर कोई आदेश नहीं दिया जाएगा, जिन्हें समुचित मुआवजा दिया जाना चाहिए.

प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे की अगुआई वाली तीन सदस्यीय पीठ ने वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से केंद्र की अर्जी पर सुनवाई के दौरान सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता को यह स्पष्ट किया.

इतालवी नाविकों ने फरवरी, 2012 में केरल तट से दूर दो भारतीय मछुआरों को गोली मार दी थी, जिससे दोनों की मौत हो गई थी.

पीठ ने केंद्र को इस घटना में मारे गए मछुआरों के परिवार के सदस्यों को पक्षकार बनाते हुए इतालवी नाविकों का मामला बंद करने के लिए आवेदन दायर करने की अनुमति दी.

अदालत ने केंद्र सरकार को मामला बंद करने के लिए नए आवेदन में पीड़ितों के परिवारों को पक्षकार बनाते हुए एक सप्ताह के भीतर इसे दायर करने की अनुमति दे दी है.

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ को सूचित किया कि इटली सरकार ने भारत सरकार को यह आश्वासन दिया है कि वह इन नाविकों पर मुकदमा चलाएगी.

इस घटना का शिकार हुए मछुआरों के परिवारों को समुचित मुआवजा दिए जाने पर जब पीठ ने जोर दिया तो मेहता ने कहा कि केंद्र सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि पीड़ित परिवारों को अधिकतम मुआवजा दिया जाए.

इस मामले की सुनवाई शुरू होते ही पीठ ने इन नाविकों पर मुकदमा चलाने के लिए उठाए गए इटली के कदमों की सराहना की, लेकिन न्यायालय ने कहा कि वह पीड़ित परिवारों के लिए समुचित मुआवजे के विषय पर बात कर रही है जो पीड़ित परिवारों को दिया जाना चाहिए.

सुप्रीम कोर्ट ने विशेष अदालत में इतालवी नाविकों का मामला लंबित होने का जिक्र किया और सवाल किया कि वहां मुकदमा वापस लेने के लिए आवेदन के बगैर केंद्र कैसे मामला बंद कराने के लिए यहां आ सकता है.

इस पर तुषार मेहता ने जवाब दिया कि शीर्ष अदालत ने पहले कहा था कि विशेष अदालत की कार्यवाही विलंबित रखी जाए.

पीठ ने कहा, 'आप वहां मुकदमा वापस लेने का आवेदन कर सकते हैं. पीड़ित परिवारों को इसका विरोध करने का अधिकार है. पीड़ितों के परिवार यहां पक्षकार भी नहीं हैं. हम पीड़ित परिवारों को सुने बगैर कोई आदेश पारित नहीं करेंगे.'

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केंद्र सरकार ने तीन जुलाई को शीर्ष अदालत में इतालवी नाविकों के खिलाफ चल रही कार्यवाही बंद करने के लिए एक आवेदन दायर किया था. केंद्र ने कहा था कि उसने हेग स्थित पंचाट की स्थाई अदालत का 21 मई, 2020 का फैसला स्वीकार कर लिया है कि भारत इस मामले में मुआवजा पाने का हकदार है, लेकिन नाविकों को प्राप्त छूट की वजह से वह इन पर मुकदमा नहीं चला सकता.

भारत ने इटली के तेल टैंकर एमवी एनरिका लेक्सी पर तैनात दो इतालवी नाविकों- सल्वाटोरे गिरोने और मैस्सीमिलियानो लटोरे पर भारत के आर्थिक क्षेत्र में 15 फरवरी 2012 को मछली पकड़ने वाली नौका में सवार दो भारतीय मछुआरों की गोली मार कर हत्या करने का आरोप लगाया था.

इन इतावली नाविकों के खिलाफ मछली पकड़ने वाली नौका 'सेंट एंटनी' के मालिक फ्रेडी ने शिकायत दर्ज कराई थी कि इन नाविकों द्वारा गोली चलाए जाने के कारण केरल के दो मछुआरों की मौत हो गई है.

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