नई दिल्ली : भारत के मुख्य न्यायाधीश की अगुआई वाली सर्वोच्च न्यायालय की पीठ ने पश्चिम बंगाल के सीएम राहत कोष को लेकर दायर की गई याचिका पर सुनवाई की. इस दौरान पीठ ने कोष के एक हिस्से का उपयोग फंसे हुए प्रवासी श्रमिकों की भलाई करने के लिए शीर्ष अदालत के हस्तक्षेप की मांग करने वाली याचिका को खारिज कर दिया.
पीठ ने याचिकाकर्ता को कलकत्ता उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने को कहा है. बता दें कि यह याचिका बंगाल मदरसा एजुकेशन फोरम द्वारा दायर की गई थी.
इसमें यह सुनिश्चित करने के लिए निर्देश की मांग की गई थी कि निजी अस्पतालों और क्लीनिकों की ओपीडी को राज्य के भीतर सामाजिक दूरियों के मानदंडों को देखते हुए फिर से खोला जाए.
याचिकाकर्ता ने कहा कि पश्चिम बंगाल में रहने वाले व्यक्तियों को स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच से वंचित किया जा रहा है.
याचिका में यह कहा गया है कि कोरोना और लॉकडाउन के बीच मौजूदा परिस्थितियों के कारण घर वापस आते समय प्रवासियों की मौत की कई घटनाएं सामने आ रही हैं.
मुख्यमंत्री राहत कोष प्रमुख प्राकृतिक आपदाओं के दौरान संवितरण के लिए निर्धारित किया जाता है. इस वैश्विक महामारी और राष्ट्रीय तालाबंदी के कारण प्रवासी श्रमिक सैकड़ों किलोमीटर दूर से वापस अपने घर आ रहे हैं. इसमें सीएम राहत कोष का उपयोग किया जाना चाहिए.