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न्याय व्यवस्था के लिये नियुक्तियां, तबादले अहम इनमें हस्तक्षेप संस्था के लिये अच्छा नहीं : SC - त्रिपुरा उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश बनाने की सिफारिश

सुप्रीम कोर्ट ने कहा न्याय व्यवस्था के लिये नियुक्तियां, तबादले अहम हैं. इनमें हस्तक्षेप संस्था के लिए अच्छा नहीं है. जरात उच्च न्यायालय अधिवक्ता संघ की याचिका पर सुनवाई के दौरान की यह टिप्पड़ी.

सुप्रीम कोर्ट
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Published : Sep 23, 2019, 7:07 PM IST

Updated : Oct 1, 2019, 5:50 PM IST

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने कहा कि न्यायाधीशों की नियुक्ति और स्थानांतरण न्याय प्रशासन के लिए अहम है और इसमें किसी भी प्रकार का हस्तक्षेप इस संस्था के लिए अच्छा नहीं है.

प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति एस ए बोबडे और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर की पीठ ने न्यायमूर्ति अकील कुरैशी की पदोन्नति के मामले में कॉलेजियम की सिफारिश लागू करने का केन्द्र को निर्देश देने के लिये गुजरात उच्च न्यायालय अधिवक्ता संघ की याचिका पर सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की.

बता दें, प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली कॉलेजियम ने 10 मई को न्यायमूर्ति कुरैशी को पदोन्नति देकर मप्र उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश बनाने की सिफारिश की थी. हालांकि, बाद में कॉलेजियम ने न्यायमूर्ति कुरैशी को त्रिपुरा उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश बनाने की सिफारिश की.

पीठ ने गुजरात उच्च न्यायालय अधिवक्ता संघ की याचिका लंबित रखते हुए कहा, ‘नियुक्तियां और तबादले न्याय प्रशासन की तह तक जाते हैं और जहां न्यायिक समीक्षा प्रतिबंधित है. न्याय प्रशासन की व्यवस्था में हस्तक्षेप संस्थान के लिये अच्छा नहीं है.'

पढ़ें-सोनिया और मनमोहन पहुंचे तिहाड़, चिदंबरम से की मुलाकात

याचिकाकर्ता संगठन की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अरविन्द दातार ने पीठ से कहा कि न्यायमूर्ति कुरैशी को त्रिपुरा उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त करने की कॉलेजियम की सिफारिश पर केन्द्र द्वारा अमल किये जाने तक इस याचिका को लंबित रखा जाए.

पीठ ने जीएचसीएए के इस कथन से सहमति व्यक्त की और कहा कि इस मामले को केन्द्र के निर्णय के बाद सूचीबद्ध किया जाए.

न्यायमूर्ति कुरैशी को त्रिपुरा उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त करने की सिफारिश करने के लिये कॉलेजियम ने पांच सितंबर को हुई बैठक में निर्णय लिया था. कॉलेजियम के इस प्रस्ताव को शुक्रवार को न्यायालय की वेबसाइट पर अपलोड किया गया था.

इस संगठन के अध्यक्ष यतीन ओजा ने कथित रूप से कहा था कि न्यायमूर्ति कुरैशी को सिर्फ इसलिए नजरअंदाज किया जा रहा है क्योंकि उन्होंने ही 2010 में वर्तमान गृह मंत्री अमित शाह को पुलिस हिरासत में भेजने का आदेश दिया था.

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने कहा कि न्यायाधीशों की नियुक्ति और स्थानांतरण न्याय प्रशासन के लिए अहम है और इसमें किसी भी प्रकार का हस्तक्षेप इस संस्था के लिए अच्छा नहीं है.

प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति एस ए बोबडे और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर की पीठ ने न्यायमूर्ति अकील कुरैशी की पदोन्नति के मामले में कॉलेजियम की सिफारिश लागू करने का केन्द्र को निर्देश देने के लिये गुजरात उच्च न्यायालय अधिवक्ता संघ की याचिका पर सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की.

बता दें, प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली कॉलेजियम ने 10 मई को न्यायमूर्ति कुरैशी को पदोन्नति देकर मप्र उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश बनाने की सिफारिश की थी. हालांकि, बाद में कॉलेजियम ने न्यायमूर्ति कुरैशी को त्रिपुरा उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश बनाने की सिफारिश की.

पीठ ने गुजरात उच्च न्यायालय अधिवक्ता संघ की याचिका लंबित रखते हुए कहा, ‘नियुक्तियां और तबादले न्याय प्रशासन की तह तक जाते हैं और जहां न्यायिक समीक्षा प्रतिबंधित है. न्याय प्रशासन की व्यवस्था में हस्तक्षेप संस्थान के लिये अच्छा नहीं है.'

पढ़ें-सोनिया और मनमोहन पहुंचे तिहाड़, चिदंबरम से की मुलाकात

याचिकाकर्ता संगठन की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अरविन्द दातार ने पीठ से कहा कि न्यायमूर्ति कुरैशी को त्रिपुरा उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त करने की कॉलेजियम की सिफारिश पर केन्द्र द्वारा अमल किये जाने तक इस याचिका को लंबित रखा जाए.

पीठ ने जीएचसीएए के इस कथन से सहमति व्यक्त की और कहा कि इस मामले को केन्द्र के निर्णय के बाद सूचीबद्ध किया जाए.

न्यायमूर्ति कुरैशी को त्रिपुरा उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त करने की सिफारिश करने के लिये कॉलेजियम ने पांच सितंबर को हुई बैठक में निर्णय लिया था. कॉलेजियम के इस प्रस्ताव को शुक्रवार को न्यायालय की वेबसाइट पर अपलोड किया गया था.

इस संगठन के अध्यक्ष यतीन ओजा ने कथित रूप से कहा था कि न्यायमूर्ति कुरैशी को सिर्फ इसलिए नजरअंदाज किया जा रहा है क्योंकि उन्होंने ही 2010 में वर्तमान गृह मंत्री अमित शाह को पुलिस हिरासत में भेजने का आदेश दिया था.

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SC-LD JUDGE
Appointments, transfers pivotal to justice system; interference doesn't augur well: SC

(Eds: Adding background)
         New Delhi, Sep 23 (PTI) Appointment and transfer of judges form "the root of the administration of justice" and interference in that "does not augur well" for the institution, the Supreme Court said on Monday.
         It made the observation while deciding to keep the Gujarat High Court Advocate Association's plea pending which has sought a direction to the Centre to implement the Supreme Court Collegium's recommendations on the transfer of Bombay High Court judge Justice Akil Kureshi.
         The Collegium, headed by Chief Justice of India (CJI) Ranjan Gogoi, had recommended to the Centre to appoint justice Kureshi as the Chief Justice of the Madhya Pradesh High Court.
         It later recommended that Justice Kureshi be appointed as the Chief Justice of the Tripura High Court.
         "Appointments and transfers go to the root of the administration of justice and where judicial review is severely restricted. Interference in system of administration of justice does not augur well for the institution," the apex court said while keeping the plea of bar body pending.
         A bench comprising the Chief Justice and justices S A Bobde and S A Nazeer was told by senior advocate Arvind Datar, appearing for the GHCAA, that its plea be kept pending till the central government implements the Collegium's recent recommendations of appointing Justice Kureshi as Chief Justice of the Tripura High Court.
         The bench agreed to the submissions of the GHCAA and fixed the matter for further hearing after the Centre takes a call on its decision.
         The modified recommendation to send Justice Kureshi to Tripura High Court was uploaded on the apex court's website late Friday evening and it said that the concerned decision was taken in the Collegium's meeting held on September 5.
         Appointment of Justice Kureshi as chief justice of the Madhya Pradesh high court was recommended by the collegium on May 10 this year.
         The GHCAA plea has claimed that the Centre did not clear the file for appointment of Justice Kureshi and on June 7 came out with a notification appointing Justice Ravi Shanker Jha as acting chief justice of the Madhya Pradesh High Court.
         The association has contended that the reluctance of the Centre to appoint Justice Kureshi as chief justice of the Madhya Pradesh High Court is against the procedure laid down in the Memorandum of Procedure (MoP) and amounts to a violation of Articles 14 and 217 of the Constitution.
         It has further said the inaction on the part of the Centre is an attack on the independence of the judiciary and diminishes the primacy of the judiciary in the matters of appointment and transfer of judges to the high courts and the Supreme Court.
         GHCAA president Yatin Oza had reportedly said that Justice Kureshi was being singled out for an order passed by him in 2010, remanding current Union Home Minister Amit Shah in police custody. PTI SJK RKS LLP
SA
09231445
NNNN
Last Updated : Oct 1, 2019, 5:50 PM IST

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