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कोरोना महामारी में सभी राज्यों में समान शिक्षा नीति अपनाई जाए

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Published : Aug 27, 2020, 8:01 PM IST

याचिकाकर्ता का कहना है कि सरकार ने सभी पहलुओं को ध्यान में नहीं रखा है. इनमें स्कूलों को बंद करने, ऑनलाइन कक्षाओं के लिए डिजिटलीकरण की कमी और प्रौद्योगिकी के उपयोग, प्रवासियों के बच्चों को स्कूल छोड़ने के लिए मजबूर होना और दिव्यांग बच्चों की तरफ ध्यान न देना जैसे मुद्दे शामिल हैं.

सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्यों को एक जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद नोटिस जारी किया है. याचिका में कहा गया है कि कोरोना वायरस महामारी के दौरान सभी राज्यों में समान शिक्षा नीति अपनाई जाए, ताकि बच्चों के बीच डिजिटल सुविधा की असमानता न हो.

याचिका एनजीओ गुड गवर्नेंस चैंबर्स ने दायर की है. याचिका में कोविड के दौरान सरकार की उन विफलताओं को उजागर किया गया है जो छह से चौदह साल के बच्चों की प्रारंभिक शिक्षा से संबंधित हैं.

एनजीओ ने प्रशासन पर पर्याप्त कदम नहीं उठाने, असमानता पैदा करने और समाज के कमजोर वर्ग के छात्रों को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाया है. याचिका में उन छात्रों की ओर ध्यान दिया गया है जो आर्थिक कठिनाइयों के चलते स्कूल छोड़ने के लिए मजबूर हैं.

याचिकाकर्ता का कहना है कि सरकार ने सभी पहलुओं को ध्यान में नहीं रखा है. इनमें स्कूलों को बंद करने, ऑनलाइन कक्षाओं के लिए डिजिटलीकरण की कमी और प्रौद्योगिकी के उपयोग, प्रवासियों के बच्चों को स्कूल छोड़ने के लिए मजबूर होना और दिव्यांग बच्चों की तरफ ध्यान न देना जैसे मुद्दे शामिल हैं.

एनजीओ ने शिक्षा को सुनिश्चित करने के उपायों के साथ-साथ प्रवासी छात्रों और प्रवासी मजदूरों के बच्चों की सुविधा के लिए दिशा निर्देश की मांग की है.


यह भी पढ़ें - 150 शिक्षाविदों का पीएम को पत्र, कहा- परीक्षा में देरी से छात्रों पर असर

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्यों को एक जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद नोटिस जारी किया है. याचिका में कहा गया है कि कोरोना वायरस महामारी के दौरान सभी राज्यों में समान शिक्षा नीति अपनाई जाए, ताकि बच्चों के बीच डिजिटल सुविधा की असमानता न हो.

याचिका एनजीओ गुड गवर्नेंस चैंबर्स ने दायर की है. याचिका में कोविड के दौरान सरकार की उन विफलताओं को उजागर किया गया है जो छह से चौदह साल के बच्चों की प्रारंभिक शिक्षा से संबंधित हैं.

एनजीओ ने प्रशासन पर पर्याप्त कदम नहीं उठाने, असमानता पैदा करने और समाज के कमजोर वर्ग के छात्रों को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाया है. याचिका में उन छात्रों की ओर ध्यान दिया गया है जो आर्थिक कठिनाइयों के चलते स्कूल छोड़ने के लिए मजबूर हैं.

याचिकाकर्ता का कहना है कि सरकार ने सभी पहलुओं को ध्यान में नहीं रखा है. इनमें स्कूलों को बंद करने, ऑनलाइन कक्षाओं के लिए डिजिटलीकरण की कमी और प्रौद्योगिकी के उपयोग, प्रवासियों के बच्चों को स्कूल छोड़ने के लिए मजबूर होना और दिव्यांग बच्चों की तरफ ध्यान न देना जैसे मुद्दे शामिल हैं.

एनजीओ ने शिक्षा को सुनिश्चित करने के उपायों के साथ-साथ प्रवासी छात्रों और प्रवासी मजदूरों के बच्चों की सुविधा के लिए दिशा निर्देश की मांग की है.


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