नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने हैदराबाद में कार्यस्थल पर कथित उत्पीड़न की वजह से भेल की महिला अधिकारी द्वारा आत्महत्या करने के मामले की जांच केन्द्रीय जांच ब्यूरो को सौंपने के लिये दायर याचिका पर सोमवार को तेलंगाना सरकार और अन्य से जवाब मांगा.
न्यायमूर्ति ए एम खानविलर और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ ने वीडियो कांफ्रेन्सिग के माध्यम से मृतक महिला अधिकारी की मां की याचिका पर सुनवाई करते हुये तमिलनाडु सरकार को नोटिस जारी किया. पीठ ने तेलंगाना पुलिस और अन्य को भी नोटिस जारी किये हैं.
पीठ ने अपने आदेश में कहा, 'नोटिस जारी किया जाये. इसका जवाब तीन सप्ताह में दिया जाये.' पीठ ने इसके साथ ही तेलंगाना सरकार के अधिवक्ता को नोटिस की तामील करने की स्वतंत्रता दी है.
आत्महत्या करने वाली 33 वर्षीय महिला अधिकारी की मां ने अधिवक्ता अलख आलोक श्रीवास्तव के माध्यम से यह याचिका दायर की है.
याचिका में आरोप लगाया गया है कि हैदराबाद स्थित भेल के कार्यालय में कार्यरत उसकी बेटी का उसके एक वरिष्ठ अधिकारी और कुछ सहयोगियों ने यौन उत्पीड़न किया और मानसिक यातनायें दीं, जिसकी वजह से उसने पिछले साल अक्टूबर में आत्महत्या कर ली.
याचिका में दावा किया गया है कि तेलंगाना पुलिस ने अभी तक आरोपियों को गिरफ्तार नहीं किया है ओर न ही आठ महीने से अधिक समय बीत जाने के बावजूद अदालत में कोई आरोप पत्र ही दाखिल किया है.
याचिका में भेल को तत्काल विभागीय नियमों तथा कार्यस्थल पर महिला के उत्पीड़न की रोकथाम कानून, 2013 के तहत आरोपियों के खिलाफ समयबद्ध तरीके से उचित जांच शुरू करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है.
याचिका के अनुसार तेलगाना पुलिस इस महिला अधिकारी की कथित मानसिक बीमारी को आत्महत्या के लिये जिममेदार ठहराने का प्रयास कर रही है जबकि उसके नियोक्ता भेल ने अपनी गवाही में स्पष्ट रूप से कहा है कि उसने कार्यस्थल पर कभी भी किसी प्रकार की मानसिक अस्वस्थता का कोई संकेत नहीं दिया.
याचिका में कहा गया है कि याचिकाकर्ता अपनी बेटी के लिये न्याय की गुहार कर रही मां है. याचिका के अनुसार पीड़ित महिला अधिकारी मध्य प्रदेश की रहने वाली थी और उसने जुलाई 2009 में ही भेल में नौकरी शुरू की थी.
याचिका में मृत महिला अधिकारी के आत्महत्या से पहले लिखे गये नोट और अपनी बहन के साथ आखिरी बार टेलीफोन पर हुयी बातचीत का भी हवाला दिया गया है. याचिका में दावा किया गया है कि इन तथ्यों से एकदम स्पष्ट है कि उसके कुछ सहयोगी उसका उत्पीड़न कर रहे थे जिस कारण वह आत्महत्या करने के लिये मजबूर हो गयी.
याचिका में आरोप लगाया गया है कि राज्य की पुलिस इस मामले की ठीक से जांच नहीं कर रही है. इसलिए इस मामले को सीबीआई या किसी अन्य स्वतंत्र जांच एजेन्सी को सौंपा जाना चाहिए.