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सुप्रीम कोर्ट ने दी एनएसएलयूआई को परीक्षा कराने की अनुमति

सुप्रीम कोर्ट ने नेशनल लॉ स्कूल ऑफ इंडिया यूनिवर्सिटी को 12 सितंबर 2020 को आयोजित होने वाली परीक्षा आयोजित करने की अनुमति दी. हालांकि कोर्ट ने कहा है कि प्रवेश परीक्षा के लिए न तो परिणाम घोषित किया जा सकता है और न ही इसे संशोधित किया जाएगा.

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Published : Sep 11, 2020, 4:31 PM IST

Updated : Sep 11, 2020, 4:46 PM IST

नई दिल्ली :उच्चतम न्यायालय ने आज नेशनल लॉ स्कूल ऑफ इंडिया यूनिवर्सिटी बेंगलुरु को क्लैट के बदले अलग से नेशनल लॉ एप्टीट्यूड टेस्ट 2020 आयोजित करने की अनुमति दी. हालांकि अदालत ने कहा कि जब तक परीक्षा की वैधता पर फैसला नहीं हो जाता, तब तक परिणाम घोषित नहीं किया जाना चाहिए.

न्यायमूर्ति अशोक भूषण की अगुवाई वाली पीठ एनएलएसयूआई के पूर्व कुलपति डॉ. आर वेंकट राव की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिन्होंने कहा था कि विश्वविद्यालय द्वारा एक अलग परीक्षा आयोजित किया जाना कानून का उल्लंघन है.

राव की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता निधि गुप्ता ने अदालत के समक्ष तर्क दिया कि आज परीक्षा मानक अकादमिक परिषद और कार्यकारी परिषद द्वारा तय किया जाना है और इसे संशोधित नहीं किया जा सकता है.

पढ़ें- कैसे ली जाएंगी परीक्षाएं, स्वास्थ्य मंत्रालय ने जारी की गाइडलाइंस

उन्होंने आगे कहा कि क्लैट 2020 को बिहार और पश्चिम बंगाल की स्थिति को ध्यान में रखते हुए स्थगित कर दिया गया था और एक अलग परीक्षा आयोजित करना कानूनों और ज्ञापनों का उल्लंघन होगा.

अदालत ने माना कि उन्हें परीक्षा की अनुमति के बारे में फैसला करना होगा और विश्वविद्यालय को तीन दिनों के भीतर याचिका पर जवाबी हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया है. 16 सितंबर को मामले की फिर से सुनवाई होगी और तब तक कोई भी याचिका दायर की जा सकती है.

नई दिल्ली :उच्चतम न्यायालय ने आज नेशनल लॉ स्कूल ऑफ इंडिया यूनिवर्सिटी बेंगलुरु को क्लैट के बदले अलग से नेशनल लॉ एप्टीट्यूड टेस्ट 2020 आयोजित करने की अनुमति दी. हालांकि अदालत ने कहा कि जब तक परीक्षा की वैधता पर फैसला नहीं हो जाता, तब तक परिणाम घोषित नहीं किया जाना चाहिए.

न्यायमूर्ति अशोक भूषण की अगुवाई वाली पीठ एनएलएसयूआई के पूर्व कुलपति डॉ. आर वेंकट राव की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिन्होंने कहा था कि विश्वविद्यालय द्वारा एक अलग परीक्षा आयोजित किया जाना कानून का उल्लंघन है.

राव की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता निधि गुप्ता ने अदालत के समक्ष तर्क दिया कि आज परीक्षा मानक अकादमिक परिषद और कार्यकारी परिषद द्वारा तय किया जाना है और इसे संशोधित नहीं किया जा सकता है.

पढ़ें- कैसे ली जाएंगी परीक्षाएं, स्वास्थ्य मंत्रालय ने जारी की गाइडलाइंस

उन्होंने आगे कहा कि क्लैट 2020 को बिहार और पश्चिम बंगाल की स्थिति को ध्यान में रखते हुए स्थगित कर दिया गया था और एक अलग परीक्षा आयोजित करना कानूनों और ज्ञापनों का उल्लंघन होगा.

अदालत ने माना कि उन्हें परीक्षा की अनुमति के बारे में फैसला करना होगा और विश्वविद्यालय को तीन दिनों के भीतर याचिका पर जवाबी हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया है. 16 सितंबर को मामले की फिर से सुनवाई होगी और तब तक कोई भी याचिका दायर की जा सकती है.

Last Updated : Sep 11, 2020, 4:46 PM IST
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