नई दिल्ली : विवादों में घिरे संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) और देशभर में राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) लागू करने के प्रस्ताव के खिलाफ जामिया मिलिया इस्लामिया के बाहर बुधवार को तीसरे दिन भी प्रदर्शन जारी रहा.
प्रदर्शनकारियों ने विश्वविद्यालय के गेट नंबर सात के बाहर भारत का एक बड़ा सा मानचित्र टांगा, जिसमें उन स्थानों को चिह्वित किया गया, जहां अन्य विश्वविद्यालयों के छात्र भी सीएए के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं. इन प्रदर्शनकारियों में छात्र एवं स्थानीय लोग दोनों शामिल हैं.
एक और बड़े से पोस्टर में प्रदर्शनकारियों से बिना किसी हिंसा के इस गति को बरकरार रखने की अपील की गई. आसपास के इलाकों और छात्रों का पूर्वाह्न करीब साढ़े 10 बजे गेट नंबर सात के बाहर जमावड़ा शुरू हुआ.
उन्होंने गृह मंत्री अमित शाह, सरकार और दिल्ली पुलिस के खिलाफ नारेबाजी की तथा सीएए को वापस लेने की मांग की. प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए एक छात्र ने कहा, 'हमें नहीं पता कि हम जीतेंगे या हारेंगे, मगर हमारी लड़ाई जारी रहेगी.'
मेधा पाटकर ने की असिंहक आंदोलन की अपील
दोपहर में प्रदर्शन में शामिल होते हुए सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर ने कहा कि यह संशोधित नागरिकता कानून नहीं है, बल्कि नागरिक संशोधन अधिनियम है.
उन्होंने छात्रों से महात्मा गांधी द्वारा दिखाए गए अहिंसा के मार्ग का अनुसरण करने की अपील करते हुए कहा, 'अगर एनआरसी होती है तो हम संकल्प लेते हैं कि इसमें हिस्सा नहीं लेंगे.'
पाटकर ने आरोप लगाया कि सरकार एक समुदाय को दूसरे के खिलाफ खड़ा करके रोजी-रोटी के असल मुद्दे से लोगों का ध्यान हटाना चाहती है.
दोपहर एक बजे के बाद प्रदर्शन में स्कूली बच्चे और महिलाओं की भी भागीदारी हो गई. प्रदर्शनकारियों ने अपने मुंह पर टेप लगा लिए और काली पट्टी बांध ली. स्कूल की वर्दी पहने कुछ बच्चे जामिया की दीवार पर चढ़ गए. वे तख्तियां पकड़े हुए थे.
प्रदर्शनकारी छात्रों ने कहना था, 'सरकार हमारी आवाज दबा रही है. हमें बोलने नहीं दिया जा रहा है. इसलिए हमने टेप लगा रखा है.'
विरोध प्रदर्शन के दौरान विश्वविद्यालय की ओर जाने वाली सड़कों पर पुलिस की टीमें तैनात की गयी हैं जबकि सुखेदव विहार और जामिया मिल्लिया इस्लामिया मेट्रो स्टेशन खुले हुए हैं.
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रविवार को हुए हिंसक प्रदर्शन के बाद यह शांतिपूर्ण प्रदर्शन का तीसरा दिन है. सोमवार और मंगलवार को हजारों छात्रों ने सड़कों पर उतरकर रविवार को पुलिस द्वारा जामिया के पुस्तकालय के अंदर आंसू गैस छोड़ने और बिना इजाजत के विश्वविद्यालय परिसर में प्रवेश करने के मामले की जांच की मांग की थी.
जामिया के छात्रों और पुलिसकर्मियों समेत कई प्रदर्शनकारी रविवार की हिंसा में जख्मी हुए थे. हिंसा में डीटीसी की चार बसों को आग लगा दी गई थी और 100 से ज्यादा निजी गाड़ियां और पुलिस की 10 बाइकों को भी क्षतिग्रस्त किया गया था.