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आतंकियों से लोहा लेते हुए शहीद हुए थे मेजर डेविड मानलुन, जानें शहादत की कहानी

मनिपुर के चुराचंदपुर जिले में रहने वाले मेजर डेविड मानलुन देश के लिए लड़ते हुए शहीद हो गए. उन्हें कीर्ति चक्र से सम्मानित भी किया गया है और उनकी सेवा के लिए चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ कमेंडेशन भी दिया गया.

major david manlun
शहीद मेजर डेविड मानलुन
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Published : Jun 8, 2020, 2:07 AM IST

Updated : Jun 8, 2020, 3:11 AM IST

दिसपुर : मणिपुर के चुराचांदपुर जिले में रहने वाले मेजर डेविड मानलुन एक लड़ाई के दौरान शहीद हो गए. मेजर डेविड के ट्रूप सैनिकों ने आतंकवादियों पर हमला किया और इस सफल ऑपरेशन में आतंकवादियों से भारी मात्रा में हथियार और गोला-बारूद बरामद किया.

उन्होंने लड़ाई के दौरान साहस और एक समर्पित और प्रतिबद्ध सैनिक के रूप में अपने आप को साबित किया. मेजर डेविड मानलुन को उनके उत्कृष्ट धैर्य, दृढ़ संकल्प, नेतृत्व और सर्वोच्च बलिदान के लिए देश का दूसरा सर्वोच्च जीवन वीरता पुरस्कार, 'कीर्ति चक्र' प्रदान किया गया है.

बता दें कि साल 2014 में मेजर डेविड को नागालैंड में 164 इन्फैंट्री बटालियन TA ( NAGA) में तैनात किया गया. इस दौरान पैरा कमांडो और टीए के 164 इन्फैंट्री बटालियन द्वारा एक संयुक्त ऑपरेशन शुरू किया गया. टीम ने कार्रवाई की और नागालैंड के मोन जिले के लप्पा क्षेत्र में एक सर्च एंड डिस्ट्रोए मिशन शुरू किया.

यह क्षेत्र नगालैंड की राजधानी कोहिमा से लगभग 325 किलोमीटर और म्यांमार सीमा से 25 किलोमीटर दूर था. मेजर डेविड मिशन में टीम का नेतृत्व कर रहे थे, जब आतंकवादियों ने उन पर गोलीबारी की. मेजर डेविड अपने सैनिकों का नेतृत्व करते हुए आगे बढ़े और जवाबी हमला किया, जहां दुश्मन की गोली लगने से वह शहीद हो गए.

पढ़ें:- जम्मू-कश्मीर : राजौरी में ना'पाक' फायरिंग, सेना का एक जवान शहीद

मेजर डेविड मानलुन का जन्म 27 जुलाई 1985 को मणिपुर के चुराचांदपुर जिले में हुआ था. वह सूबेदार एम खज़लम के बेटे थे और उनके चार भाई-बहन थे. बचपन से उनकी रुचि खेल और संगीत में थी. मेजर डेविड मानलुन की स्कूली शिक्षा आर्मी पब्लिक स्कूल, शिलांग से पूरी हुई और वर्ष 2006 में सेंट एंथोनी कॉलेज शिलांग से स्नातक किया.

साल 2009 में उन्होंने ऑफिसर ट्रेनिंग एकेडमी, चेन्नई में दाखिला लिया. मार्च 2010 में उन्हें पहली बटालियन द नागा रेजिमेंट में नियुक्त किया गया. बाद में वह जम्मू-कश्मीर के नौगाम बटालियन में शामिल हो गए, जहां उन्होंने अगले दो वर्षों तक काम किया. उन्हें 15 अगस्त 2016 को उनकी सेवा के लिए चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ कमेंडेशन से सम्मानित किया गया.

दिसपुर : मणिपुर के चुराचांदपुर जिले में रहने वाले मेजर डेविड मानलुन एक लड़ाई के दौरान शहीद हो गए. मेजर डेविड के ट्रूप सैनिकों ने आतंकवादियों पर हमला किया और इस सफल ऑपरेशन में आतंकवादियों से भारी मात्रा में हथियार और गोला-बारूद बरामद किया.

उन्होंने लड़ाई के दौरान साहस और एक समर्पित और प्रतिबद्ध सैनिक के रूप में अपने आप को साबित किया. मेजर डेविड मानलुन को उनके उत्कृष्ट धैर्य, दृढ़ संकल्प, नेतृत्व और सर्वोच्च बलिदान के लिए देश का दूसरा सर्वोच्च जीवन वीरता पुरस्कार, 'कीर्ति चक्र' प्रदान किया गया है.

बता दें कि साल 2014 में मेजर डेविड को नागालैंड में 164 इन्फैंट्री बटालियन TA ( NAGA) में तैनात किया गया. इस दौरान पैरा कमांडो और टीए के 164 इन्फैंट्री बटालियन द्वारा एक संयुक्त ऑपरेशन शुरू किया गया. टीम ने कार्रवाई की और नागालैंड के मोन जिले के लप्पा क्षेत्र में एक सर्च एंड डिस्ट्रोए मिशन शुरू किया.

यह क्षेत्र नगालैंड की राजधानी कोहिमा से लगभग 325 किलोमीटर और म्यांमार सीमा से 25 किलोमीटर दूर था. मेजर डेविड मिशन में टीम का नेतृत्व कर रहे थे, जब आतंकवादियों ने उन पर गोलीबारी की. मेजर डेविड अपने सैनिकों का नेतृत्व करते हुए आगे बढ़े और जवाबी हमला किया, जहां दुश्मन की गोली लगने से वह शहीद हो गए.

पढ़ें:- जम्मू-कश्मीर : राजौरी में ना'पाक' फायरिंग, सेना का एक जवान शहीद

मेजर डेविड मानलुन का जन्म 27 जुलाई 1985 को मणिपुर के चुराचांदपुर जिले में हुआ था. वह सूबेदार एम खज़लम के बेटे थे और उनके चार भाई-बहन थे. बचपन से उनकी रुचि खेल और संगीत में थी. मेजर डेविड मानलुन की स्कूली शिक्षा आर्मी पब्लिक स्कूल, शिलांग से पूरी हुई और वर्ष 2006 में सेंट एंथोनी कॉलेज शिलांग से स्नातक किया.

साल 2009 में उन्होंने ऑफिसर ट्रेनिंग एकेडमी, चेन्नई में दाखिला लिया. मार्च 2010 में उन्हें पहली बटालियन द नागा रेजिमेंट में नियुक्त किया गया. बाद में वह जम्मू-कश्मीर के नौगाम बटालियन में शामिल हो गए, जहां उन्होंने अगले दो वर्षों तक काम किया. उन्हें 15 अगस्त 2016 को उनकी सेवा के लिए चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ कमेंडेशन से सम्मानित किया गया.

Last Updated : Jun 8, 2020, 3:11 AM IST
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