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भदोही में आज भी 'धूप घड़ी' में देखा जाता है समय

उत्तर प्रदेश के भदोही जिले से आश्चर्यचकित कर देने वाली खबर सामने आई है. आज भी के.एम पीजी डिग्री कॉलेज में समय देखने के लिए धूप धड़ी का इस्तेमाल किया जाता है.

भदोही में आज भी 'धूप घड़ी' में देखा जाता है समय.
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Published : Jul 17, 2019, 9:04 PM IST

भदोही: जब घड़ियों का आविष्कार नहीं हुआ था तब लोग कैसे समय का पता लगाते थे. उस समय में लोग समय का पता लगाने के लिए सूर्य की परछाई की मदद लेते थे. बाद में खगोल शास्त्रियों ने सूर्य घड़ियों का निर्माण किया, जिससे प्रति आधे घंटे के अंतराल पर आसानी से समय का पता कर पाते थे.

देखें वीडियो.

पढ़ें: कर्नाटक संकट पर SC- कल होगा फ्लोर टेस्ट, स्पीकर करें फैसला

जानिए धूप घड़ी का इतिहास-

  • देश के कोने कोने में सूर्य घड़ी बनवाई गई, जिसको धूप घड़ी नाम से भी जाना जाता है.
  • देश के पांच अलग-अलग कोनों में जंतर-मंतर का निर्माण करवाया गया.
  • इन पांचों कोनों में जंतर-मंतर में सूर्य घड़ी स्थापित की गई.
  • इसकी शुरुआत जयपुर के राजा सवाई जय सिंह द्वितीय के शासन काल में हुई.
  • काशी नरेश ने भी अपने शासनकाल में कई स्थानों पर समय ज्ञात करने के लिए सूर्य घड़ी का निर्माण करवाया था.

जानिए क्या है धूप धड़ी-

  • यह ऐसा यंत्र है, जिससे दिन में समय की गणना की जाती है.
  • धूप या चांदनी रात हो यह धूप धड़ी समय बताती है.
  • समय का मार्जिन आधे घंटे के अंदर का दिखाता है.
  • यह धूप घड़ी एक-एक घंटे का पूरा समय बताती है.
  • समय की शुद्धता के लिए धूप घड़ी को पृथ्वी की परिक्रमा की धुरी पर सीधा रखना होता है.

सन 1951 के आसपास ज्ञानपुर जिले के के.एम पीजी कॉलेज में सूर्य घड़ी का निर्माण कराया गया था. आज भी इस सूर्य घड़ी का इस्तेमाल किया जा रहा है. इस घड़ी की खास बात यह है कि घड़ी में लगे उपकरण की परछाई से सूर्य के प्रकाश और चांदनी रात के समय का पता लगा सकते हैं.
पीएन डोंगरे, प्रिंसिपल, के.एम पीजी डिग्री कॉलेज

भदोही: जब घड़ियों का आविष्कार नहीं हुआ था तब लोग कैसे समय का पता लगाते थे. उस समय में लोग समय का पता लगाने के लिए सूर्य की परछाई की मदद लेते थे. बाद में खगोल शास्त्रियों ने सूर्य घड़ियों का निर्माण किया, जिससे प्रति आधे घंटे के अंतराल पर आसानी से समय का पता कर पाते थे.

देखें वीडियो.

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जानिए धूप घड़ी का इतिहास-

  • देश के कोने कोने में सूर्य घड़ी बनवाई गई, जिसको धूप घड़ी नाम से भी जाना जाता है.
  • देश के पांच अलग-अलग कोनों में जंतर-मंतर का निर्माण करवाया गया.
  • इन पांचों कोनों में जंतर-मंतर में सूर्य घड़ी स्थापित की गई.
  • इसकी शुरुआत जयपुर के राजा सवाई जय सिंह द्वितीय के शासन काल में हुई.
  • काशी नरेश ने भी अपने शासनकाल में कई स्थानों पर समय ज्ञात करने के लिए सूर्य घड़ी का निर्माण करवाया था.

जानिए क्या है धूप धड़ी-

  • यह ऐसा यंत्र है, जिससे दिन में समय की गणना की जाती है.
  • धूप या चांदनी रात हो यह धूप धड़ी समय बताती है.
  • समय का मार्जिन आधे घंटे के अंदर का दिखाता है.
  • यह धूप घड़ी एक-एक घंटे का पूरा समय बताती है.
  • समय की शुद्धता के लिए धूप घड़ी को पृथ्वी की परिक्रमा की धुरी पर सीधा रखना होता है.

सन 1951 के आसपास ज्ञानपुर जिले के के.एम पीजी कॉलेज में सूर्य घड़ी का निर्माण कराया गया था. आज भी इस सूर्य घड़ी का इस्तेमाल किया जा रहा है. इस घड़ी की खास बात यह है कि घड़ी में लगे उपकरण की परछाई से सूर्य के प्रकाश और चांदनी रात के समय का पता लगा सकते हैं.
पीएन डोंगरे, प्रिंसिपल, के.एम पीजी डिग्री कॉलेज

Intro:क्या आप जानते है कि जब घड़ियों का आविष्कार नहीं हुआ था तो लोग कैसे समय का पता लगाते थे आप नहीं जानते हैं तो जान लीजिए तो उस समय में लोग समय का पता लगाने के लिए सूर्य का इस्तेमाल करते थे उस समय में लोग सूर्य की परछाई की मदद लेकर खगोल शास्त्रियों ने घड़ियों का निर्माण किया जिससे प्रति आधे घंटे के अंतराल पर हम आसानी से समय का पता कर पाते थे


Body:इसी वजह से हमारे देश के कोने कोने में सूर्य घड़ी बनवाई गई जिसे हम धूप की घड़ी के नाम से भी जानते हैं इसकी शुरुआत जयपुर की राजा सवाई जय सिंह द्वितीय द्वारा देश के अलग-अलग 5 कोनों में जंतर मंतर का निर्माण करवाया और उसने सूर्य घड़ी स्थापित किया जिसमें से मुख्यतः जयपुर में स्थापित जंतर मंतर स्मारक 19 वास्तु खगोलीय उपकरण का संकलन है जिसका निर्माण 1738 ईस्वी में हुआ उसी प्रकार काशी नरेश ने भी अपने शासनकाल में कई स्थानों पर समय ज्ञात करने के लिए सूर्य घड़ी का निर्माण करवाया

जानिए क्या है धूप घड़ी
यह ऐसा यंत्र है जिससे दिन में समय की गणना की जाती है इसे नो मून कहा जाता है यह किस सिद्धांत पर काम करता है कि दिन में जैसे-जैसे सूर्य पूर्व से पश्चिम की तरफ जाता है उसी तरह किसी वस्तु की छाया पश्चिम से पूर्व की तरफ चलती है सूर्य लाइनों वाली सतह पर छाया डालता है जिससे दिन के समय घंटों का पता चलता है समय की शुद्धता के लिए धूप घड़ी को पृथ्वी की परिक्रमा की धुरी की सीधा रखना होता है


Conclusion:सन 1951 के आसपास उन्होंने काशी प्रांत के ज्ञानपुर में जो कि अभी भदोही जिला का अंग है वहां स्थित केएनपीजी कॉलेज में जो कभी काशी नरेश का न्यायालय हुआ करता था वहां सूर्य घड़ी का निर्माण करवाया आज भी यह सूर्य घड़ी का इस्तेमाल किया जा रहा है सबसे बड़ी खास बात किसकी यह है किस सूर्य के प्रकाश के साथ साथ हम चांदनी रात में भी समय का पता घड़ी मैं लगे उपकरण की परछाई से लगा सकते हैं


के एम पी जी डिग्री कॉलेज के प्रिंसिपल की बाइट- पीएन डोंगरे
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