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भीमा कोरेगांव मामला : आरोप पत्र दाखिल, जेल भेजे गए स्टैन स्वामी - एनआईए

पुणे के भीमा कोरेगांव मामले में सामाजिक कार्यकर्ताओं गौतम नवलखा और 82 वर्षीय स्टैन स्वामी समेत आठ लोगों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया गया है. स्वामी को गुरुवार को झारखंड से गिरफ्तार कर मुंबई लाया गया. जिसके बाद आज उन्हें एक अदालत में पेश किया गया, जहां से उन्हें 23 अक्टूबर तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया.

स्टैन स्वामी
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Published : Oct 9, 2020, 8:13 PM IST

मुंबई : राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने एक जनवरी, 2018 को पुणे के भीमा-कोरेगांव में भीड़ को कथित तौर पर हिंसा के लिए उकसाने के मामले में शुक्रवार को सामाजिक कार्यकर्ताओं गौतम नवलखा और 82 वर्षीय स्टैन स्वामी समेत आठ लोगों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया. अधिकारियों ने यह जानकारी दी.

स्वामी को गुरुवार शाम रांची से गिरफ्तार कर मुंबई लाया गया और फिर शुक्रवार को एक अदालत में पेश किया गया, जहां से उन्हें 23 अक्टूबर तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया. हालांकि, स्वामी का कहना है कि उनका भीमा-कोरेगांव मामले से कोई लेना-देना नहीं है.

अधिकारियों ने कहा कि वह संभवत: सबसे बुजुर्ग व्यक्ति हैं, जिनके खिलाफ यूएपीए यानी गैर-कानूनी गतिविधियां (निवारण) अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया है.

सरकार के खिलाफ कथित रूप से षड्यंत्र रचने के इस मामले में जिन लोगों के खिलाफ आरोप-पत्र दाखिल किया गया है, उनमें मिलिंद तेलतुंबड़े को छोड़कर सभी आरोपी न्यायिक हिरासत में हैं.

एनआईए की प्रवक्ता एवं पुलिस उप महानिरीक्षक सोनिया नारंग ने कहा कि आरोप-पत्र यहां एक अदालत के समक्ष दाखिल किया गया. अन्य जिन लोगों के खिलाफ आरोप-पत्र दाखिल किया गया है, उनमें दिल्ली विश्वविद्यालय में सहायक प्रोफेसर हनी बाबू, गोवा इंस्टीट्यूट ऑफ मैंनेजमेंट के प्रोफेसर आनंद तेलतुंबड़े, भीमा-कोरेगांव शौर्य दिन प्रेरणा अभियान समूह की कार्यकर्ता ज्योति जगताप, सागर गोरखे और रमेश गाइचोर शामिल हैं.

यह मामला एक जनवरी, 2018 को पुणे के निकट कोरेगांव की जंग की 200वीं वर्षगांठ के जश्न के बाद हिंसा भड़कने से संबंधित है, जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई थी और कई लोग घायल हो गए थे.

यह भी पढ़ें- भीमा कोरेगांव केस : एनआईए ने फादर स्टेन को हिरासत में लिया

आठ आरोपियों के खिलाफ दाखिल एनआईए के आरोप-पत्र में मानवाधिकार कार्यकर्ता सुधा भारद्वाज का जिक्र नहीं है, जो 2018 से जेल में बंद हैं. पुणे पुलिस ने अगस्त 2018 में इस मामले में भारद्वाज, वर्नन गोंसालवेस और अरुण फरेरा को गिरफ्तार किया था.

स्वामी के वकील शरीफ शेख ने कहा कि उनके मुवक्किल अदालत के समक्ष पेश हुए. उन्होंने कहा, 'एनआईए ने उन्हें हिरासत में लेने की अपील नहीं की. वह बुजुर्ग हैं. वह दस्तावेजों का अध्ययन कर जमानत के लिए आवेदन करेंगे.'

स्वामी इस मामले में गिरफ्तार होने वाले 16वें व्यक्ति हैं. इस मामले में आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं और आतंकवाद रोधी कानून यूएपीए के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है.

एनआईए के अधिकारियों के अनुसार, स्वामी भाकपा (माओवादी) की गतिविधियों में सक्रिय रूप से शामिल रहे हैं. एनआईए ने आरोप लगाया कि वह समूह की गतिविधियों को आगे बढ़ाने के लिए 'षड्यंत्रकारियों' सुधीर धावले, रोना विल्सन, सुरेन्द्र गैडलिंग, अरुण फरेरा, वर्नन गोंसालवेस, हनी बाबू, शोमा सेन, महेश राउत, वरवरा राव, सुधा भारद्वाज, गौतम नवलखा और आनंद तेलतुंबड़े के संपर्क में रहे हैं.

एजेंसी ने आरोप लगाया कि स्वामी एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए एक सहयोगी के जरिए फंड भी हासिल करते थे. इसके अलावा वह भाकपा (माओवादी) के एक संगठन प्रताड़ित कैदी एकजुटता समिति (पीपीएससी) के संयोजक भी थे.

अधिकारियों ने कहा कि उनके पास से भाकपा (माओवादी) से संबंधित साहित्य और प्रचार सामग्री तथा उसके कार्यक्रमों को आगे बढ़ाने के लिए संचार से संबंधित दस्तावेज भी बरामद किए गए हैं.

स्वामी ने गुरुवार शाम अपनी गिरफ्तारी से पहले एक वीडियो पोस्ट किया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि एनआईए उनसे पूछताछ कर रही है. पांच दिन के दौरान उसने 15 घंटे पूछताछ की जा चुकी है. उन्होंने महामारी का हवाला देते हुए कहा था, 'अब वे मुझे मुंबई ले जाना चाहते हैं, लेकिन मैंने वहां जाने से इनकार कर दिया है.'

यू-ट्यूब पर डाले गए यह वीडियो उनकी गिरफ्तारी से दो दिन पहले रिकॉर्ड की गई थी. उन्होंने कहा, 'मेरा भीमा-कोरेगांव मामले से कोई लेना-देना नहीं है, जिसमें मुझे आरोपी बनाया जा रहा है.'

स्वामी ने वीडियो में कहा, 'मेरे साथ जो हो रहा है उसमें कुछ भी नया नहीं है और यह मेरे साथ ही नहीं हो रहा है. ऐसा पूरे देश में हो रहा है. हम सभी जानते हैं कि किस तरह मशहूर बुद्धिजीवियों, वकीलों, लेखकों, कवियों, कार्यकर्ताओं, छात्र नेताओं को जेल में डाला जा रहा है क्योंकि वे भारत में सत्ता पक्ष से असहमति रखते हैं और उनसे सवाल पूछते रहे हैं.'

उन्होंने कहा कि वह इस 'प्रक्रिया' का हिस्सा हैं और उन्हें खुशी है कि वह मूकदर्शक नहीं है. स्वामी ने कहा, 'मैं कोई भी कीमत चुकाने को तैयार हूं.'

एनआईए ने इस साल 24 जनवरी को इस मामले की जांच अपने हाथों में ली है. पुणे पुलिस का आरोप है कि 31 दिसंबर, 2017 को एल्गार परिषद समूह के सदस्यों ने भड़काऊ भाषण दिए थे, जिसके अगले दिन हिंसा भड़क गई थी.

मुंबई : राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने एक जनवरी, 2018 को पुणे के भीमा-कोरेगांव में भीड़ को कथित तौर पर हिंसा के लिए उकसाने के मामले में शुक्रवार को सामाजिक कार्यकर्ताओं गौतम नवलखा और 82 वर्षीय स्टैन स्वामी समेत आठ लोगों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया. अधिकारियों ने यह जानकारी दी.

स्वामी को गुरुवार शाम रांची से गिरफ्तार कर मुंबई लाया गया और फिर शुक्रवार को एक अदालत में पेश किया गया, जहां से उन्हें 23 अक्टूबर तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया. हालांकि, स्वामी का कहना है कि उनका भीमा-कोरेगांव मामले से कोई लेना-देना नहीं है.

अधिकारियों ने कहा कि वह संभवत: सबसे बुजुर्ग व्यक्ति हैं, जिनके खिलाफ यूएपीए यानी गैर-कानूनी गतिविधियां (निवारण) अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया है.

सरकार के खिलाफ कथित रूप से षड्यंत्र रचने के इस मामले में जिन लोगों के खिलाफ आरोप-पत्र दाखिल किया गया है, उनमें मिलिंद तेलतुंबड़े को छोड़कर सभी आरोपी न्यायिक हिरासत में हैं.

एनआईए की प्रवक्ता एवं पुलिस उप महानिरीक्षक सोनिया नारंग ने कहा कि आरोप-पत्र यहां एक अदालत के समक्ष दाखिल किया गया. अन्य जिन लोगों के खिलाफ आरोप-पत्र दाखिल किया गया है, उनमें दिल्ली विश्वविद्यालय में सहायक प्रोफेसर हनी बाबू, गोवा इंस्टीट्यूट ऑफ मैंनेजमेंट के प्रोफेसर आनंद तेलतुंबड़े, भीमा-कोरेगांव शौर्य दिन प्रेरणा अभियान समूह की कार्यकर्ता ज्योति जगताप, सागर गोरखे और रमेश गाइचोर शामिल हैं.

यह मामला एक जनवरी, 2018 को पुणे के निकट कोरेगांव की जंग की 200वीं वर्षगांठ के जश्न के बाद हिंसा भड़कने से संबंधित है, जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई थी और कई लोग घायल हो गए थे.

यह भी पढ़ें- भीमा कोरेगांव केस : एनआईए ने फादर स्टेन को हिरासत में लिया

आठ आरोपियों के खिलाफ दाखिल एनआईए के आरोप-पत्र में मानवाधिकार कार्यकर्ता सुधा भारद्वाज का जिक्र नहीं है, जो 2018 से जेल में बंद हैं. पुणे पुलिस ने अगस्त 2018 में इस मामले में भारद्वाज, वर्नन गोंसालवेस और अरुण फरेरा को गिरफ्तार किया था.

स्वामी के वकील शरीफ शेख ने कहा कि उनके मुवक्किल अदालत के समक्ष पेश हुए. उन्होंने कहा, 'एनआईए ने उन्हें हिरासत में लेने की अपील नहीं की. वह बुजुर्ग हैं. वह दस्तावेजों का अध्ययन कर जमानत के लिए आवेदन करेंगे.'

स्वामी इस मामले में गिरफ्तार होने वाले 16वें व्यक्ति हैं. इस मामले में आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं और आतंकवाद रोधी कानून यूएपीए के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है.

एनआईए के अधिकारियों के अनुसार, स्वामी भाकपा (माओवादी) की गतिविधियों में सक्रिय रूप से शामिल रहे हैं. एनआईए ने आरोप लगाया कि वह समूह की गतिविधियों को आगे बढ़ाने के लिए 'षड्यंत्रकारियों' सुधीर धावले, रोना विल्सन, सुरेन्द्र गैडलिंग, अरुण फरेरा, वर्नन गोंसालवेस, हनी बाबू, शोमा सेन, महेश राउत, वरवरा राव, सुधा भारद्वाज, गौतम नवलखा और आनंद तेलतुंबड़े के संपर्क में रहे हैं.

एजेंसी ने आरोप लगाया कि स्वामी एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए एक सहयोगी के जरिए फंड भी हासिल करते थे. इसके अलावा वह भाकपा (माओवादी) के एक संगठन प्रताड़ित कैदी एकजुटता समिति (पीपीएससी) के संयोजक भी थे.

अधिकारियों ने कहा कि उनके पास से भाकपा (माओवादी) से संबंधित साहित्य और प्रचार सामग्री तथा उसके कार्यक्रमों को आगे बढ़ाने के लिए संचार से संबंधित दस्तावेज भी बरामद किए गए हैं.

स्वामी ने गुरुवार शाम अपनी गिरफ्तारी से पहले एक वीडियो पोस्ट किया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि एनआईए उनसे पूछताछ कर रही है. पांच दिन के दौरान उसने 15 घंटे पूछताछ की जा चुकी है. उन्होंने महामारी का हवाला देते हुए कहा था, 'अब वे मुझे मुंबई ले जाना चाहते हैं, लेकिन मैंने वहां जाने से इनकार कर दिया है.'

यू-ट्यूब पर डाले गए यह वीडियो उनकी गिरफ्तारी से दो दिन पहले रिकॉर्ड की गई थी. उन्होंने कहा, 'मेरा भीमा-कोरेगांव मामले से कोई लेना-देना नहीं है, जिसमें मुझे आरोपी बनाया जा रहा है.'

स्वामी ने वीडियो में कहा, 'मेरे साथ जो हो रहा है उसमें कुछ भी नया नहीं है और यह मेरे साथ ही नहीं हो रहा है. ऐसा पूरे देश में हो रहा है. हम सभी जानते हैं कि किस तरह मशहूर बुद्धिजीवियों, वकीलों, लेखकों, कवियों, कार्यकर्ताओं, छात्र नेताओं को जेल में डाला जा रहा है क्योंकि वे भारत में सत्ता पक्ष से असहमति रखते हैं और उनसे सवाल पूछते रहे हैं.'

उन्होंने कहा कि वह इस 'प्रक्रिया' का हिस्सा हैं और उन्हें खुशी है कि वह मूकदर्शक नहीं है. स्वामी ने कहा, 'मैं कोई भी कीमत चुकाने को तैयार हूं.'

एनआईए ने इस साल 24 जनवरी को इस मामले की जांच अपने हाथों में ली है. पुणे पुलिस का आरोप है कि 31 दिसंबर, 2017 को एल्गार परिषद समूह के सदस्यों ने भड़काऊ भाषण दिए थे, जिसके अगले दिन हिंसा भड़क गई थी.

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