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जीवन के पहिए को साइकिल के सहारे आगे बढ़ाता श्याम

एक दिव्यांग युवक जो जन्म से शारिरिक विकलांगता से जुझते हुए आगे बढ़ रहा है. श्याम कुमार का दिमाग शरीर से अधिक मजबूत है. उन्होंने अपनी शारीरिक परेशानियों को कभी अपने सपनों के आगे आड़े नहीं आने दिया.

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Published : Oct 2, 2020, 10:05 PM IST

तिरुवनंतपुरम : केरल के तिरुवनंतपुरम जिले के पयाद के रहने वाले श्याम कुमार तमाम बाधाओं को पार कर अपने लिए एक खुशहाल जीवन की कल्पना करते हुए आगे बढ़ रहे हैं.

श्याम कुमार एक दिव्यांग हैं, उनकी किडनी 23 फीसदी कार्य करती है. साथ ही उनका दाहिना पैर पीठ से चिपका हुआ था. हालांकि इन्होंने अपनी शारीरिक कमी को ढाल बनाकर मजबूती से आगे बढ़ने की ठानी.

जीवन के पहिए को साइकिल के सहारे आगे बढ़ाता श्याम

20 साल के श्याम तिरुवनंतपुरम के एमजी कॉलेज में बीएससी सेकंड ईयर के छात्र हैं. वह साइकिल चलाने के शौकिन हैं और इसी शौक की वजह से उन्होंने कृत्रिम पैर लगवाया और साइकिल चलाने के शौक को पूरा किया.

श्याम को अपने शरीर को ठीक रखने के लिए उपचार की आवश्यकता होती है. उन्हें प्रतिदिन 30 गोलियां लेनी होती हैं.

श्याम एक या दो किलोमीटर नहीं, बल्कि हर दिन 20 किलोमीटर से अधिक दूरी तक साइकिल चलाते हैं. इस दौरान वह पहाड़ियों और घाटियों से होकर गुजरते हैं. अब तक उनकी 14 सर्जरी हो चुकी है. इतना ही नहीं उन्हें किडनी ट्रांसप्लांट भी करवाना है. उनके पिता एक मजदूर हैं. उनके कमाए पैसों से घर का खर्च चलता है. श्याम की इच्छा है कि वह एक दिन साइकिल चलाने के क्षेत्र में नाम कमाएं. वह साइकिल रेसर बनकर नाम कमाना चाहते हैं.

पढ़ें- तमिलनाडु : 75 वर्ष की उम्र में 650 किमी साइकिल चलाकर पहुंचे घर

उनका उद्देश्य पैरालिम्पिक्स, ओलंपिक जैसे आयोजन में भाग लेना है. वह अपने बलबूते पर हिमालय की एकल यात्रा करने का भी सपना देखते हैं.

तिरुवनंतपुरम : केरल के तिरुवनंतपुरम जिले के पयाद के रहने वाले श्याम कुमार तमाम बाधाओं को पार कर अपने लिए एक खुशहाल जीवन की कल्पना करते हुए आगे बढ़ रहे हैं.

श्याम कुमार एक दिव्यांग हैं, उनकी किडनी 23 फीसदी कार्य करती है. साथ ही उनका दाहिना पैर पीठ से चिपका हुआ था. हालांकि इन्होंने अपनी शारीरिक कमी को ढाल बनाकर मजबूती से आगे बढ़ने की ठानी.

जीवन के पहिए को साइकिल के सहारे आगे बढ़ाता श्याम

20 साल के श्याम तिरुवनंतपुरम के एमजी कॉलेज में बीएससी सेकंड ईयर के छात्र हैं. वह साइकिल चलाने के शौकिन हैं और इसी शौक की वजह से उन्होंने कृत्रिम पैर लगवाया और साइकिल चलाने के शौक को पूरा किया.

श्याम को अपने शरीर को ठीक रखने के लिए उपचार की आवश्यकता होती है. उन्हें प्रतिदिन 30 गोलियां लेनी होती हैं.

श्याम एक या दो किलोमीटर नहीं, बल्कि हर दिन 20 किलोमीटर से अधिक दूरी तक साइकिल चलाते हैं. इस दौरान वह पहाड़ियों और घाटियों से होकर गुजरते हैं. अब तक उनकी 14 सर्जरी हो चुकी है. इतना ही नहीं उन्हें किडनी ट्रांसप्लांट भी करवाना है. उनके पिता एक मजदूर हैं. उनके कमाए पैसों से घर का खर्च चलता है. श्याम की इच्छा है कि वह एक दिन साइकिल चलाने के क्षेत्र में नाम कमाएं. वह साइकिल रेसर बनकर नाम कमाना चाहते हैं.

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उनका उद्देश्य पैरालिम्पिक्स, ओलंपिक जैसे आयोजन में भाग लेना है. वह अपने बलबूते पर हिमालय की एकल यात्रा करने का भी सपना देखते हैं.

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