हैदराबाद : पूरी दुनिया 18 अप्रैल को विश्व धरोहर दिवस के रूप में मनाती है. विश्व धरोहर दिवस मनाने के पीछे उद्देश्य यह है कि पुरानी धरोहर और स्थलों के प्रति आमजन में जागरूकता पैदा की जाए. इस दिवस पर राष्ट्रीय स्मारक और ऐतिहासिक जगहों को लोगों में प्रचारित और प्रसारित किया जाता है.
विश्व के हर कोने में स्थित धरोहरों की जानकारी देने के लिए 19 से 25 नवंबर तक 'विश्व धरोहर सप्ताह' का आयोजन किया जाता है.
- विश्व धरोहर दिवस 2020 का उद्देश्य
वर्ष 2020 के धरोहर दिवस की थीम है 'साझी संस्कृति, साझी धरोहर और साझा दायित्व', जो विश्वव्यापी महामारी के समय विश्व बंधुत्व का भाव प्रदर्शित करेगा.
- विश्व धरोहर दिवस का इतिहास
विश्व धरोहर दिवस सबसे पहले 18 अप्रैल, 1982 को ट्यूनीशिया में इंटरनेशनल काउंसिल ऑफ मोनुमेंट्स एंड साइट्स' ने मनाया. इसकी स्वीकृति 1983 में संयुक्त राष्ट्र संघ के तहत कार्य करने वाले संगठन यूनेस्को की आम सभा में प्रदान की गई. इसका लक्ष्य रखा गया कि विश्व प्रसिद्ध इमारतों और प्राकृतिक स्थलों की रक्षा की जाए.
- विश्व धरोहर की परिभाषा,
यूनेस्को ने धरोहर स्थलों को विश्व विरासत का दर्जा दिया है. यूनेस्को की परिभाषा के अनुसार प्राकृतिक या मानव निर्मित संरचना, जो अंतरराष्ट्रीय महत्व की जगह हो, धरोहर है.
- धरोहरों का संरक्षण
धरोहर का मूल्यांकन दो संगठन अंतरराष्ट्रीय स्मारक और स्थल परिषद व विश्व संरक्षण संघ द्वारा किया जाता है. इसके बाद विश्व धरोहर समिति को सिफारिश की जाती है. समिति साल में एक बार बैठती है और यह तय करती है कि किसी भी नामित संपत्ति को विश्व विरासत सूची में शामिल किया जाए या नहीं.
विश्व धरोहर स्थल समिति, यूनेस्को के तत्वावधान में चयनित विशेष स्थानों जैसे वन क्षेत्रों, पहाड़ों, झीलों, रेगिस्तानों, स्मारकों, इमारतों या शहरों आदि की देखभाल करती है.
16 नवंबर 1972 को यूनेस्को महासभा ने विश्व के प्राकृतिक और सांस्कृतिक विरासत पर कन्वेंशन को मंजूरी दी थी. संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा 1972 में स्टॉकहोम, स्वीडन में मानव पर्यावरण पर अंतररराष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण के 1968 के प्रस्ताव पर सहमति व्यक्त की गई थी. विश्व धरोहर समिति की बैठक जून 1977 में शुरू हुई.
- भारतीय धरोहर स्थल
भारत दुनिया की विरासतों में छठे स्थान पर है. वर्ष 1983 में पहली बार भारत के चार ऐतिहासिक स्थलों को यूनेस्को ने 'विश्व धरोहर स्थल' माना था. ये चार स्थल- ताज महल, आगरा किला, अजंता और एलोरा की गुफाएं हैं. यूनेस्को ने भारत के कई ऐतिहासिक स्थलों को विश्व विरासत सूची में शामिल किया है.
वर्तमान में भारत के कुल 35 स्थल विश्व धरोहर सूची में शामिल हैं, जिनमें 27 को सांस्कृतिक श्रेणी, सात को प्राकृतिक और एक को मिश्रित श्रेणी में स्थान दिया गया है.
- भारत में विश्व प्रसिद्ध धरोहर स्थल
- नालंदा विश्वविद्यालय (बिहार)
- अजंता-एलोरा की गुफाएं (महाराष्ट्र)
- खजुराहो (मध्य प्रदेश)
- जंतर-मंतर (दिल्ली)
- झूलता मीनार (गुजरात)
- महाबत मकबरा (गुजरात)
- काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान (असम)
- सुंदरबन नेशनल पार्क (पश्चिम हिमालय)
- नंदा देवी और फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान कोणार्क मंदिर (ओडिशा)
- ताज महल (आगरा)
- चोल मंदिर (तमिलनाडु)
- बोधगया (बिहार)
- लाल किला (दिल्ली)
- कुंभ मेला (हरिद्वार, उज्जैन, प्रयागराज और नासिक)
- चारमीनार (हैदराबाद)
- कुतुब मीनार (दिल्ली) आदि.
इन स्थलों को एक प्राकृतिक या मानव निर्मित क्षेत्र या संरचना के रूप में वर्गीकृत किया गया है, जिनका अंतरराष्ट्रीय महत्व है और ये सभी स्थल ऐसी जगह हैं, जिसे विशेष सुरक्षा की आवश्यकता होती है. यह सुरक्षा और संरक्षण से जुड़े प्रयासों के बारे में सभी को सूचित करने का एक मौका है. इनमें कुछ ऐतिहासिक जगहों पर ध्यान देना चाहिए.
कुछ भारतीय विरासत :-
- श्री रंगनाथस्वामी मंदिर (तमिलनाडु)
- बाइकुला मसीह चर्च (महाराष्ट्र)
- रॉयल ओपेरा हाउस (महाराष्ट्र)
- बोमोनजी होर्मर्जी वाडिया फाउंटेन और क्लॉक टॉवर (मुंबई)
- गोहद किला का द्वार (मध्यप्रदेश)
- वेलिंगटन फाउंटेन (मुंबई)
यूनेस्को द्वारा अब तक इन स्थलों को विश्व धरोहर के रूप में नहीं स्वीकार किया गया है
- स्वर्ण मंदिर (अमृतसर, पंजाब)
- मिथिला या मधुबनी पेंटिंग (बिहार)
- मुगल गॉर्डन (जम्मू-कश्मीर)
- नीरा वैली नेशनल पार्क (दार्जिलिंग, पश्चिम बंगाल)
- सारनाथ (उत्तर प्रदेश)