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लोकसभा में सांसदों को ममता भरी डांट लगाने वाली सुमित्रा महाजन ने छोड़ी चुनावी राह

एक सीट से आठ बार जीत दर्ज करने वाली देश की पहली महिला सांसद हैं सुमित्रा. मध्य प्रदेश में किसी भी उम्मीदवार द्वारा सबसे बड़ी जीत हासिल करने का रिकॉर्ड लोकसभा स्पीकर के नाम.

सुमित्रा महाजन ( फाइल फोटो)
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Published : Apr 8, 2019, 12:11 AM IST

नई दिल्ली: पांच बरस पहले सुमित्रा महाजन को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 16वीं लोकसभा का अध्यक्ष बनने पर बधाई दी थी. लेकिन चुनावी राजनीति की बेदर्दी देखिए कि पांच बरस तक लोकसभा की अध्यक्ष रहीं सुमित्रा महाजन के लिए 17वीं लोकसभा के दरवाजे बंद हो चुके हैं.

sumitra mahajan file photo
सुमित्रा महाजन ( फाइल फोटो)

सुमित्रा महाजन आठ बार से इस सदन में इंदौर का प्रतिनिधित्व कर रही हैं. परंपरागत भारतीय महिला की छवि वाली सुमित्रा महाजन को सभी दलों के लोग ताई बुलाते हैं जो उनके प्रति राजनीतिक दलों और उनके समर्थकों के सम्मान का प्रतीक है.

sumitra mahajan file photo
सुमित्रा महाजन ( फाइल फोटो)

मीरा कुमार के बाद दूसरी महिला के तौर पर लोकसभा अध्यक्ष का प्रतिष्ठित पद संभालने वाली सुमित्रा महाजन मध्यप्रदेश की राजनीति का एक बड़ा नाम हैं.

उनकी चुनावी उपलब्धियों की बात करें तो लगातार एक सीट से आठ बार जीत दर्ज करने वाली वह देश की पहली महिला सांसद हैं. 2014 के चुनाव में सुमित्रा महाजन की 4 लाख 66 हजार 901 मतों से जीत मध्य प्रदेश के किसी भी उम्मीदवार की सबसे बड़ी जीत है.

महाराष्ट्र के चिपलून में 12 अप्रैल 1943 को उषा और पुरुषोतम साठे के घर में जन्मीं सुमित्रा ने इंदौर के देवी अहिल्या विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर और एलएलबी की शिक्षा प्राप्त की. उनके पिता संघ प्रचारक थे इसलिए राजनीति की समझ उनके खून में थी.

sumitra mahajan file photo
सुमित्रा महाजन ( फाइल फोटो)

पढ़ें- सबसे बड़े देशद्रोही हैं महबूबा मुफ्ती, उमर और फारुक अब्दुल्ला, सख्ती से निपटेंगे : रविंद्र रैना

22 बरस की उम्र में वह बहू बनकर इंदौर चली आईं उनके दो बेटे मिलिंद और मंदार हैं. मिलिंद आईटी प्रोफेशनल के साथ व्यवसाय भी करते हैं, वहीं मंदार कमर्शियल पायलट हैं. सुमित्रा महाजन ने 1989 के आम चुनाव में पहली बार लोकसभा चुनाव में भाग लिया और कांग्रेस नेता तथा मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश चंद्र सेठी को हराकर ‘इंदौर की चाबी अपने हाथ में ले ली, लेकिन आज 30 बरस बाद उन्होंने

अपनी पार्टी को असमंजस से निकालने के लिए चुनाव लड़ने से इंकार करके वह चाबी स्वेच्छा से छोड़ दी.

साड़ी के परंपरागत लिबास में सदा मुस्कुराते रहने वाली ताई ने 2002 से 2004 तक केन्द्रीय मंत्रिमण्डल में मानव संसाधन, संचार तथा पेट्रोलियम मंत्रालय का कामकाज संभाला. 6 जून 2014 को उन्होंने लोकसभा अध्यक्ष का पदभार संभाला और अपने दायित्व को बखूबी अंजाम दिया.

sumitra mahajan file photo
सुमित्रा महाजन ( फाइल फोटो)

लोकसभा अध्यक्ष बनने के बाद उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा था कि वह कोशिश करेंगी कि सदन का कामकाज सुचारू रूप से चलता रहे और अगर कोई अव्यवस्था फैलाने का प्रयास करेगा तो वह उन्हें उसी तरह डांटेंगी, जैसे एक मां अपने बच्चों को डांटती है.उनके इसी वात्सल्य और स्नेह ने उन्हें सभी राजनीतिक दलों से सम्मान और अपनापन दिलाया.

(भाषा इनपुट)

नई दिल्ली: पांच बरस पहले सुमित्रा महाजन को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 16वीं लोकसभा का अध्यक्ष बनने पर बधाई दी थी. लेकिन चुनावी राजनीति की बेदर्दी देखिए कि पांच बरस तक लोकसभा की अध्यक्ष रहीं सुमित्रा महाजन के लिए 17वीं लोकसभा के दरवाजे बंद हो चुके हैं.

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सुमित्रा महाजन ( फाइल फोटो)

सुमित्रा महाजन आठ बार से इस सदन में इंदौर का प्रतिनिधित्व कर रही हैं. परंपरागत भारतीय महिला की छवि वाली सुमित्रा महाजन को सभी दलों के लोग ताई बुलाते हैं जो उनके प्रति राजनीतिक दलों और उनके समर्थकों के सम्मान का प्रतीक है.

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सुमित्रा महाजन ( फाइल फोटो)

मीरा कुमार के बाद दूसरी महिला के तौर पर लोकसभा अध्यक्ष का प्रतिष्ठित पद संभालने वाली सुमित्रा महाजन मध्यप्रदेश की राजनीति का एक बड़ा नाम हैं.

उनकी चुनावी उपलब्धियों की बात करें तो लगातार एक सीट से आठ बार जीत दर्ज करने वाली वह देश की पहली महिला सांसद हैं. 2014 के चुनाव में सुमित्रा महाजन की 4 लाख 66 हजार 901 मतों से जीत मध्य प्रदेश के किसी भी उम्मीदवार की सबसे बड़ी जीत है.

महाराष्ट्र के चिपलून में 12 अप्रैल 1943 को उषा और पुरुषोतम साठे के घर में जन्मीं सुमित्रा ने इंदौर के देवी अहिल्या विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर और एलएलबी की शिक्षा प्राप्त की. उनके पिता संघ प्रचारक थे इसलिए राजनीति की समझ उनके खून में थी.

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सुमित्रा महाजन ( फाइल फोटो)

पढ़ें- सबसे बड़े देशद्रोही हैं महबूबा मुफ्ती, उमर और फारुक अब्दुल्ला, सख्ती से निपटेंगे : रविंद्र रैना

22 बरस की उम्र में वह बहू बनकर इंदौर चली आईं उनके दो बेटे मिलिंद और मंदार हैं. मिलिंद आईटी प्रोफेशनल के साथ व्यवसाय भी करते हैं, वहीं मंदार कमर्शियल पायलट हैं. सुमित्रा महाजन ने 1989 के आम चुनाव में पहली बार लोकसभा चुनाव में भाग लिया और कांग्रेस नेता तथा मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश चंद्र सेठी को हराकर ‘इंदौर की चाबी अपने हाथ में ले ली, लेकिन आज 30 बरस बाद उन्होंने

अपनी पार्टी को असमंजस से निकालने के लिए चुनाव लड़ने से इंकार करके वह चाबी स्वेच्छा से छोड़ दी.

साड़ी के परंपरागत लिबास में सदा मुस्कुराते रहने वाली ताई ने 2002 से 2004 तक केन्द्रीय मंत्रिमण्डल में मानव संसाधन, संचार तथा पेट्रोलियम मंत्रालय का कामकाज संभाला. 6 जून 2014 को उन्होंने लोकसभा अध्यक्ष का पदभार संभाला और अपने दायित्व को बखूबी अंजाम दिया.

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सुमित्रा महाजन ( फाइल फोटो)

लोकसभा अध्यक्ष बनने के बाद उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा था कि वह कोशिश करेंगी कि सदन का कामकाज सुचारू रूप से चलता रहे और अगर कोई अव्यवस्था फैलाने का प्रयास करेगा तो वह उन्हें उसी तरह डांटेंगी, जैसे एक मां अपने बच्चों को डांटती है.उनके इसी वात्सल्य और स्नेह ने उन्हें सभी राजनीतिक दलों से सम्मान और अपनापन दिलाया.

(भाषा इनपुट)

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