ETV Bharat / bharat

मुंबई : जामा मस्जिद की लाइब्रेरी में हैं प्राचीनतम हस्तलिखित ग्रंथ

मुंबई की जामा मस्जिद में दो साल से अधिक पुरानी हस्तलिखित किताबें रखी हुई हैं. किताबों को संरक्षित करने का बीड़ा मुफ्ती अशफाक काजी और उनकी टीम ने उठाया है. बता दें कि यह मस्जिद मुंबई के क्रॉफर्ड मार्केट के पास स्थित है. पढ़ें ईटीवी भारत की विशेष रिपोर्ट..

जामिया मस्जिद बॉम्बे
जामिया मस्जिद बॉम्बे
author img

By

Published : Oct 9, 2020, 5:26 PM IST

Updated : Oct 9, 2020, 9:55 PM IST

मुंबई (महाराष्ट्र) : मुंबई की जामा मस्जिद भारत की सबसे पुरानी और सबसे प्रसिद्ध मस्जिदों में से एक है, जो ढाई सौ साल पुरानी है. इस मस्जिद में एक लाइब्रेरी है, जिसमें बड़ी संख्या में प्राचीन और दुर्लभ अरबी, फारसी और उर्दू की किताबें रखी हुई हैं.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट.

साल 1920 में दुनिया के कई देशों के विद्वान यहां ज्ञान प्राप्त करने के लिए आए करते थे. इसी अवधि में यमन के धार्मिक नेता इमाम इब्राहिम बिन अहमद बिन आली और खतीब पकजा यहां पर आए. दोनों नेताओं ने यहां पर रहकर अच्छे तरीके से अपने कर्तव्यों का निर्वहन किया.

इस दौरान हस्तलिखित पुस्तकों का एक संग्रह जमा होना शुरू हो गया. मौलाना यूसुफ खटखटे ने इन पुस्तकों को जमा करने और संरक्षित करने का बेहतरीन काम किया.

कोरोना काल के इस दौर में मुफ्ती अशफाक काजी और उनकी टीम ने इस लाइब्रेरी को पूरी तरह से डिजिटल करना शुरू कर दिया है. पुरानी किताबों के खराब हुए पन्नों को संरक्षित किया जा रहा है. यही वजह है कि देश-विदेश के लोग यहां शोध करने आते हैं.

मुफ्ती अशफाक काजी का कहना है कि उन्हें ब्रिटिश लाइब्रेरी से इस बात की जानकारी यहां मिली थी. इससे वह बेहद प्रभावित हुए. उन्होंने सोचा कि राष्ट्र की यह संपत्ति जो उनके पास होनी चाहिए वह दूसरों के पास है. इसके बाद उन्होंने इन किताबों को संरक्षित करने का काम तेज कर दिया. मुफ्ती अशफाक और उनकी टीम ने इस लाइब्रेरी के लिए कड़ी मेहनत की और डेढ़ मिलियन पन्नों को स्कैन किया और इन्हें किताबों के रूप में संरक्षित किया जा रहा है.

यह भी पढ़ें- एंटी-रेडिएशन मिसाइल 'रुद्रम' का सफल परीक्षण, रक्षा मंत्री ने दी बधाई

हस्तलिखित पवित्र कुरान को पुस्तकालय के प्रवेश द्वार पर रखा गया है, ताकि हर आगंतुक यह जान सके कि हस्तलिखित ग्रंथ कितने सही और स्वच्छ हैं जो सदियों पुराने हैं. इन किताबों को मौजूदा समय में केवल कंप्यूटर से लिखा जा सकता है, लेकिन उस समय में इन किताबों को हाथों से लिखा गया था.

जामा मस्जिद के इस पुस्तकालय का अगला प्रयास इन पुस्तकों में महत्वपूर्ण पुस्तकों को फिर से प्रकाशित करना है, ताकि देश और विदेश के लोग और जो लोग ज्ञान में रुचि रखते हैं, वह इससे लाभान्वित हो सकें. जामा मस्जिद की अगली कोशिश यह है कि इन किताबों में अहम किताबें कौन सी हैं. इसका पता लगाया जाए.

मुंबई (महाराष्ट्र) : मुंबई की जामा मस्जिद भारत की सबसे पुरानी और सबसे प्रसिद्ध मस्जिदों में से एक है, जो ढाई सौ साल पुरानी है. इस मस्जिद में एक लाइब्रेरी है, जिसमें बड़ी संख्या में प्राचीन और दुर्लभ अरबी, फारसी और उर्दू की किताबें रखी हुई हैं.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट.

साल 1920 में दुनिया के कई देशों के विद्वान यहां ज्ञान प्राप्त करने के लिए आए करते थे. इसी अवधि में यमन के धार्मिक नेता इमाम इब्राहिम बिन अहमद बिन आली और खतीब पकजा यहां पर आए. दोनों नेताओं ने यहां पर रहकर अच्छे तरीके से अपने कर्तव्यों का निर्वहन किया.

इस दौरान हस्तलिखित पुस्तकों का एक संग्रह जमा होना शुरू हो गया. मौलाना यूसुफ खटखटे ने इन पुस्तकों को जमा करने और संरक्षित करने का बेहतरीन काम किया.

कोरोना काल के इस दौर में मुफ्ती अशफाक काजी और उनकी टीम ने इस लाइब्रेरी को पूरी तरह से डिजिटल करना शुरू कर दिया है. पुरानी किताबों के खराब हुए पन्नों को संरक्षित किया जा रहा है. यही वजह है कि देश-विदेश के लोग यहां शोध करने आते हैं.

मुफ्ती अशफाक काजी का कहना है कि उन्हें ब्रिटिश लाइब्रेरी से इस बात की जानकारी यहां मिली थी. इससे वह बेहद प्रभावित हुए. उन्होंने सोचा कि राष्ट्र की यह संपत्ति जो उनके पास होनी चाहिए वह दूसरों के पास है. इसके बाद उन्होंने इन किताबों को संरक्षित करने का काम तेज कर दिया. मुफ्ती अशफाक और उनकी टीम ने इस लाइब्रेरी के लिए कड़ी मेहनत की और डेढ़ मिलियन पन्नों को स्कैन किया और इन्हें किताबों के रूप में संरक्षित किया जा रहा है.

यह भी पढ़ें- एंटी-रेडिएशन मिसाइल 'रुद्रम' का सफल परीक्षण, रक्षा मंत्री ने दी बधाई

हस्तलिखित पवित्र कुरान को पुस्तकालय के प्रवेश द्वार पर रखा गया है, ताकि हर आगंतुक यह जान सके कि हस्तलिखित ग्रंथ कितने सही और स्वच्छ हैं जो सदियों पुराने हैं. इन किताबों को मौजूदा समय में केवल कंप्यूटर से लिखा जा सकता है, लेकिन उस समय में इन किताबों को हाथों से लिखा गया था.

जामा मस्जिद के इस पुस्तकालय का अगला प्रयास इन पुस्तकों में महत्वपूर्ण पुस्तकों को फिर से प्रकाशित करना है, ताकि देश और विदेश के लोग और जो लोग ज्ञान में रुचि रखते हैं, वह इससे लाभान्वित हो सकें. जामा मस्जिद की अगली कोशिश यह है कि इन किताबों में अहम किताबें कौन सी हैं. इसका पता लगाया जाए.

Last Updated : Oct 9, 2020, 9:55 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.