पांवटा साहिब : हिमाचल के ऐतिहासिक पांवटा गुरुद्वारे में इसरार खान चर्चा का विषय बने हुए हैं. दरअसल इसरार खान नमाज पढ़ने के बाद हर रोज गुरुद्वारे पहुंच जाते हैं और गुरुद्वारे में लंगर बांटने से लेकर साफ-सफाई सहित सेवा के सभी काम करते हैं.
धार्मिक सद्भावना की मिसाल
किसी मुस्लिम व्यक्ति को मंदिर या गुरुद्वारे में सेवा करते देखना हैरानी से कम नहीं होता. पांवटा साहिब से लगते उत्तराखंड के ढकरानी गांव का निवासी इसरार खान उर्फ गब्बर धार्मिक सद्भावना की मिसाल बन गया है. इसरार रोज सुबह गुरुद्वारे पहुंच जाता है और पेंट के काम से समय निकालकर गुरुद्वारे में श्रद्धालुओं की सेवा में जुट जाता है. इसरार की सेवा भावना के गुरुद्वारे में हर कोई प्रशंसा करता है. गुरुद्वारा प्रबंधन कमेटी इसरार की इस सेवा भावना से बहुत खुश है.
गुरुद्वारा इसरार का दूसरा घर
पांवटा ऐतिहासिक गुरुद्वारे में रोजाना लंगर में इसरार सहायता करता है तो वहीं गुरुद्वारा के पेंट का सारा काम यही संभालते हैं. ऐतिहासिक गुरुद्वारा में सेवा कर उन्होंने सभी के लिए मिसाल पेश की है. इसरार रोजाना गुरुद्वारे में आकर सिख भाईयों से प्रेम भावना से बातचीत करते हैं. इसरार गुरुद्वारे को अपना दूसरा घर बताते हैं, यहां की प्रेम भावना उनके चेहरे पर साफ तौर पर दिखती है.
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बिना स्वार्थ के करते हैं सेवा
गुरुद्वारे में सेवा के इस काम के लिए इसरार कोई शुल्क नहीं लेते. लंगर बांटने से लेकर सफाई सहित सेवा के सभी काम इसरार करते हैं. वे सेवा के इस कार्य को अल्लाह की इबादत मानते हैं. इसरार खान गुरुद्वारे में निस्वार्थ सेवा देकर सभी को मिलजुल रहने, प्यार और शांति का संदेश दे रहे हैं.
गुरुद्वारे में पेंट का काम
पांवटा ऐतिहासिक गुरुद्वारा कमेटी प्रबंधक हरभजन सिंह ने कहा कि गुरुद्वारे में हजारों श्रद्धालु आते हैं. गुरुद्वारा में शीश झुकाते हैं और यहां सेवा भी करते हैं. उन्होंने कहा कि इसरार खान रोजाना गुरुद्वारे में सेवा करते हैं और साथ ही यहां पर गुरुद्वारे का पेंट का काम कर अपने घर का गुजर-बसर करते हैं.