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मिशन चंद्रयान-2 के डिजाइन से जुड़ी हर खास बात, यहां जानें

चंद्रयान-2 का ऑरबिटर, लैंडर और रोवर लगभग पूरी तरह भारत में ही डिजाइन किए गए और बनाए गए हैं. ISRO भविष्य में कुछ और महत्वाकांक्षी प्रॉजेक्ट लॉन्च करने जा रहा है, जिनमें से खास हैं मिशन गगनयान, मिशन वीनस, स्पेस स्टेशन बनाना और सूरज पर उपग्रह भेजने की तैयारी भी शामिल है. पढ़ें पूरी खबर.

डिजाइन इमेज.
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Published : Jul 15, 2019, 12:01 AM IST

Updated : Jul 15, 2019, 7:31 AM IST

जयपुर: हमने आपको मिशन चंद्रयान-2 के पहले, दूसरे और तीसरे भाग में तमाम जानकारियों से रूबरू कराया है. लेकिन आपके लिए यह भी बताना जरूरी है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साल 2022 तक मानव को अंतरिक्ष में भेजने की बात कही है.

अधिकतर विशेषज्ञों का कहना है कि इस मिशन से मिलने वाला जियो-स्ट्रैटेजिक फायदा ज्यादा नहीं है, लेकिन भारत का कम खर्च वाला यह मॉडल कमर्शियल उपग्रहों और ऑरबिटिंग डील हासिल कर पाएगा. तो क्या मिशन चंद्रयान-2 के सफल होने के बाद जो सपना प्रधानमंत्री मोदी ने दिखाया था वो पूरा हो पाएगा. इसके लिए चंद्रयान 2 से जुटी ये बड़ी बातें आपको जानना जरूरी है जो इस पूरे मिशन को खास बनाती है.

  • अमेरिका ने अपने 15 अपोलो मिशनों पर 25 अरब अमेरिकी डॉलर खर्च किए हैं, जो आज के मूल्यों के लिहाज़ से लगभग 100 अरब डॉलर होते हैं. इन मिशनों में वे छह मिशन भी शामिल हैं, जिनके जरिये नील आर्मस्ट्रॉन्ग तथा अन्य अंतरिक्ष यात्रियों को चंद्रमा पर उतारा गया.
  • चीन द्वारा चंद्रमा पर भेजे जाने वाले अपने चैंगे 4 यान पर 8.4 अरब अमेरिकी डॉलर खर्च किए हैं. इनके अलावा 1960 और 1970 के दशक में चलाए गए चंद्रमा से जुड़े अभियानों पर आज के मूल्यों के लिहाज से 20 अरब डॉलर से ज्यादा खर्च किए.
    देखें वीडियो.

चंद्रयान 2 का ऑरबिटर, लैंडर और रोवर लगभग पूरी तरह भारत में ही डिजाइन किए गए और बनाए गए हैं, और वह 2.4 टन वजन वाले ऑरबिटर को ले जाने के लिए अपने सबसे ताकतवर रॉकेट लॉन्चर - GSLV Mk 3 - का इस्तेमाल करेगा. ऑरबिटर की मिशन लाइफ लगभग एक साल है. यान में 1.4 टन का लैंडर विक्रम होगा, जो 27-किलोग्राम के रोवर प्रज्ञान को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर दो क्रेटरों के बीच ऊंची सतह पर उतारेगा.
इसरो भविष्य में कुछ और महत्वाकांक्षी प्रॉजेक्ट लॉन्च करने जा रहा है जिनमें से खास हैं मिशन गगनयान, मिशन वीनस, स्पेस स्टेशन बनाना और सूरज पर उपग्रह भेजने की तैयारी.

पढ़ें: चंद्रयान-2 : गुजरात के व्यवसायी का भी अहम है योगदान, जानें कैसे

चांद के आगे भी जहां है...
⦁ मिशन गगनयान 2021 तक पूरा हो जाएगा
⦁ यह पहला देसी मिशन होगा
⦁ जिसमें इंसानों को स्पेस में भेजा जाएगा
⦁ इसका बजट करीब 10,000 करोड़ रुपये है
⦁ मिशन वीनस 2023 तक पूरा हो जाएगा
⦁ इसके बाद स्पेस स्टेशन बनाने का काम शुरू होगा

इससे साथ-साथ मार्स के लिए एक और मिशन है, नासा ने तीसरे मून मिशन के साथ-साथ सूरज तक उपग्रह भेजने की तैयारी कर ली है. NASA के मंगल ग्रह पर भेजे गए रोवर मिशन से जुड़े वैज्ञानिकों का कहना है कि 'चंद्रयान 2' की कीमत के लिहाज से इससे होने वाला फायदा बहुत बड़ा होगा. चंद्रयान-2 जैसा जटिल मिशन सारी दुनिया को संदेश देगा कि भारत जटिल तकनीकी मिशनों को कामयाब करने में भी पूरी तरह सक्षम है.

जयपुर: हमने आपको मिशन चंद्रयान-2 के पहले, दूसरे और तीसरे भाग में तमाम जानकारियों से रूबरू कराया है. लेकिन आपके लिए यह भी बताना जरूरी है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साल 2022 तक मानव को अंतरिक्ष में भेजने की बात कही है.

अधिकतर विशेषज्ञों का कहना है कि इस मिशन से मिलने वाला जियो-स्ट्रैटेजिक फायदा ज्यादा नहीं है, लेकिन भारत का कम खर्च वाला यह मॉडल कमर्शियल उपग्रहों और ऑरबिटिंग डील हासिल कर पाएगा. तो क्या मिशन चंद्रयान-2 के सफल होने के बाद जो सपना प्रधानमंत्री मोदी ने दिखाया था वो पूरा हो पाएगा. इसके लिए चंद्रयान 2 से जुटी ये बड़ी बातें आपको जानना जरूरी है जो इस पूरे मिशन को खास बनाती है.

  • अमेरिका ने अपने 15 अपोलो मिशनों पर 25 अरब अमेरिकी डॉलर खर्च किए हैं, जो आज के मूल्यों के लिहाज़ से लगभग 100 अरब डॉलर होते हैं. इन मिशनों में वे छह मिशन भी शामिल हैं, जिनके जरिये नील आर्मस्ट्रॉन्ग तथा अन्य अंतरिक्ष यात्रियों को चंद्रमा पर उतारा गया.
  • चीन द्वारा चंद्रमा पर भेजे जाने वाले अपने चैंगे 4 यान पर 8.4 अरब अमेरिकी डॉलर खर्च किए हैं. इनके अलावा 1960 और 1970 के दशक में चलाए गए चंद्रमा से जुड़े अभियानों पर आज के मूल्यों के लिहाज से 20 अरब डॉलर से ज्यादा खर्च किए.
    देखें वीडियो.

चंद्रयान 2 का ऑरबिटर, लैंडर और रोवर लगभग पूरी तरह भारत में ही डिजाइन किए गए और बनाए गए हैं, और वह 2.4 टन वजन वाले ऑरबिटर को ले जाने के लिए अपने सबसे ताकतवर रॉकेट लॉन्चर - GSLV Mk 3 - का इस्तेमाल करेगा. ऑरबिटर की मिशन लाइफ लगभग एक साल है. यान में 1.4 टन का लैंडर विक्रम होगा, जो 27-किलोग्राम के रोवर प्रज्ञान को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर दो क्रेटरों के बीच ऊंची सतह पर उतारेगा.
इसरो भविष्य में कुछ और महत्वाकांक्षी प्रॉजेक्ट लॉन्च करने जा रहा है जिनमें से खास हैं मिशन गगनयान, मिशन वीनस, स्पेस स्टेशन बनाना और सूरज पर उपग्रह भेजने की तैयारी.

पढ़ें: चंद्रयान-2 : गुजरात के व्यवसायी का भी अहम है योगदान, जानें कैसे

चांद के आगे भी जहां है...
⦁ मिशन गगनयान 2021 तक पूरा हो जाएगा
⦁ यह पहला देसी मिशन होगा
⦁ जिसमें इंसानों को स्पेस में भेजा जाएगा
⦁ इसका बजट करीब 10,000 करोड़ रुपये है
⦁ मिशन वीनस 2023 तक पूरा हो जाएगा
⦁ इसके बाद स्पेस स्टेशन बनाने का काम शुरू होगा

इससे साथ-साथ मार्स के लिए एक और मिशन है, नासा ने तीसरे मून मिशन के साथ-साथ सूरज तक उपग्रह भेजने की तैयारी कर ली है. NASA के मंगल ग्रह पर भेजे गए रोवर मिशन से जुड़े वैज्ञानिकों का कहना है कि 'चंद्रयान 2' की कीमत के लिहाज से इससे होने वाला फायदा बहुत बड़ा होगा. चंद्रयान-2 जैसा जटिल मिशन सारी दुनिया को संदेश देगा कि भारत जटिल तकनीकी मिशनों को कामयाब करने में भी पूरी तरह सक्षम है.

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https://indianexpress.com/article/technology/science/chandrayaan-2-launch-live-streaming-india-timings-heres-how-you-can-watch-chandrayaan-2-launch-live-5827764/


Conclusion:
Last Updated : Jul 15, 2019, 7:31 AM IST
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