बेंगलुरु : गोबर से बने दीयों और सजावट के सामान का अब ग्रामीण अंचल में ही नहीं, बल्कि शहरों में भी क्रेज है. इस दीपावली पर पारंपरिक मिट्टी के दीयों के अलावा गोबर से बने डिजाइनर दीयों का उपयोग कर सकते हैं. यह पर्यावरण के अनुकूल दीये हैं.
यह इको-फ्रेंडली दीए कर्नाटक के डोड्डाबल्लापुर तालुक गोशाला में तैयार किया जा रहा है. साथ ही गाय के गोबर और लकड़ी के बुरादों से इको फ्रेंड़ली दीए बनाने वाली ग्रामीण महिलाएं जिलेभर में सुर्खियां बटोर रही हैं. यही नहीं महिला सशक्तिकरण की मिसाल भी पेश कर रही हैं. महिलाओं ने गाय के गोबर और लकड़ी के बुरादे से इको फ्रेंड़ली दीया, गमला और झूमर जैसे सजावटी के सामान बनाकर रोजगार का नया साधन खोज लिया है.
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महिलांए दूध, दही, घी, के साथ अब गोबर से दीये बना रही हैं. दीपावली के लिए 3 करोड़ दीयों की मांग है और उनमें से 50 लाख गोशाला में दीए तैयार किए जा रहे हैं. दीया को लोगों तक पहुंचाने के लिए पशु कल्याण बोर्ड, पशुपालन विभाग, कृषि विभाग और मुजराई विभाग से अपील की गई है.