देवघरः झारखंड में इन दिनों साइबर अपराधियों का गिरोह तेजी से बढ़ रहा है. जामताड़ा के बाद अब देवघर को साइबर अपराधियों ने ठिकाना बना लिया है. ईटीवी भारत के संपादक निशांत शर्मा ने देवघर के एसपी अश्विनी कुमार सिन्हा से साइबर अपराध को लेकर खास बातचीत की.
देवघर के एसपी अश्विनी कुमार सिन्हा ने कहा कि झारखंड में सबसे पहले तो उग्रवाद एक बड़ी समस्या है. माओवादियों के बाद पीएलएफआई, जेजेएमपी और टीपीसी जैसे स्पिलिंटर ग्रुप की आपराधिक घटनाएं घटित होती हैं. हर तरह के अपराध होते रहे हैं. लूट, डकैती, चोरी और अब इसी कड़ी में साइबर क्राइम भी यहां पर पनप गया. यह साइबर क्राइम झारखंड के लिए बड़ी चुनौती है.
उन्होंने कहा कि अभिभावक और माता-पिता अपने बच्चे पर ध्यान दें और और यह निगरानी रखें कि कहीं वे साइबर अपराधी तो नहीं बन रहे हैं. यह निगरानी अत्यंत आवश्यक है, अभिभावक के साथ स्कूल-कॉलेज के टीचर और प्रोफेसर भी उन पर निगरानी रखें. यदि कोई संकेत मिलता है तो उनके अभिभावक और पुलिस को भी बताएं ताकि समय रहते उनको सुधारा जा सके.
पढ़ें- फर्जी सैन्यकर्मी ने ऑनलाइन खरीद के नाम पर महिला से ढाई लाख ठगे
लालच में नहीं फंसने की सलाह
अश्विनी ने कहा कि आप जितना कमाते हैं, वही पैसा आपको मिलेगा. अगर दिमाग में कोई बात है कि लॉटरी निकल जाएगी, बिना वजह मनीबैक होगा या कोई गाड़ी मिल जाएगी, इस तरह के प्रलोभन में न फंसें. बैंकिंग टेक्नोलॉजी भी काफी बदली है. आम जनता को भी बैंकिंग के सिस्टम को थोड़ी समझने की आवश्यकता है, तभी वे समझ सकेंगे कि फोन पर बैंक ऑफिसर से बात हो रही है या साइबर फ्रॉड से. पत्थलगड़ी मामले में अहम भूमिका निभाने वाले अश्विनी कुमार सिन्हा वीरता पुरस्कार से सम्मानित हो चुके हैं. साइबर अपराध के अलावा नशे के कारोबार का खात्म करने और नक्सलियों का नेटवर्क ध्वस्त करने को लेकर भी इन्होंने बेहतरीन काम किया है. अश्विनी कुमार सिन्हा 2010 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी हैं.
ठग और शिकार, दोनों की वजह एक
साइबर क्रिमिनल बनने और साइबर ठगी का शिकार होने की एक ही मुख्य वजह है- ईजी मनी. साइबर क्रिमिनल सोचते हैं कि इसे शुरू करने के लिए किसी तरह के निवेश की जरूरत नहीं, बस एक मोबाइल और सिम रखने से ठगी का धंधा शुरू कर सकते हैं. जिन लोगों को ठगा जाता है, उनको भी ईजी मनी के प्रलोभन में फंसाया जाता है. लोग कैशबैक और प्राइज जैसे लालच में फंसकर ठगी के शिकार बन जाते हैं. आम लोग सोचते हैं कि बिना मेहनत के पैसे मिल रहे हैं, तो क्या परेशानी है? यह सोच बदलने और स्थिति को समझने में देर हो जाती है और वे साइबर क्रिमिनल्स के ट्रैप में फंस जाते हैं.