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प्रवासी मजदूर की पीड़ा देख फूट-फूटकर रोई भावुक युवती

अपने दरवाजे पर आए मजदूर की हालत देखकर सीता देवी अपने आंसू नहीं रोक सकी. उन्होंने कहा कि एक इंसान होने के नाते दूसरे इंसान की मदद करना हमारा फर्ज है. कोरोना के डर से लोगों को अपनी इंसानियत नहीं भूलनी चाहिए.

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Published : May 20, 2020, 8:37 PM IST

बक्सर : राज्य में प्रवासियों की वापसी का सिलसिला जारी है. हजारों मजदूर इस चिलचिलाती धूप में भी मजबूत इरादों के साथ अपने घर के लिए निकल पड़े हैं. जिनके जेब में न पैसा और न भूख मिटाने के लिए भोजन ही है. ऐसे में कुछ लोग जहां इनको पानी पिलाने से भी कतरा रहे हैं. वहीं, कुछ मदद करके इंसानियत की मिसाल पेश कर रहे हैं.

फूट-फूटकर रोने लगी महिला
जिले में शांतिनगर की दलित बस्ती में प्यास से तड़प रहे प्रवासी श्रमिक ने झोपड़पट्टी में रहने वाली सीता देवी का दरवाजा खटखटाया तो वह उसे देखकर फूट-फूटकर रोने लगी. आसपास के लोगों के लाख मना करने के बावजूद सीता देवी ने मजदूर को न सिर्फ पानी पिलाया, बल्कि उसके खाने और आराम करने का इंतजाम भी किया.

प्रवासी श्रमिक मनोज पांडेय से जुड़ी ईटीवी भारत की रिपोर्ट

नहीं भूलनी चाहिए इंसानियत
सीता देवी ने बताया कि अपने दरवाजे पर आए मजदूर की हालत देखकर वो अपने आंसू नहीं रोक सकी. उन्होंने कहा कि एक इंसान होने के नाते दूसरे इंसान की मदद करना हमारा फर्ज है. कोरोना के डर से लोगों को अपनी इंसानियत नहीं भूलनी चाहिए.

दरोगा ने की मदद
वहीं, दिल्ली से चलकर आया प्रवासी श्रमिक मनोज पांडेय बिहार-उत्तर प्रदेश के बॉर्डर पर पहुंचकर रो रहा था. वहां तैनात दारोगा कमल नयन ने कारण पूछे जाने पर उसने बताया कि पैसे नहीं होने की वजह से वो कई दिनों से भूखा है. साथ ही उसकी पत्नी बहुत बीमार है, जिसे कोरोना के डर से किसी ने अस्पताल नहीं पहुंचाया है. जिसके बाद दारोगा ने उसे खाने के लिए पैसे दिए और स्क्रीनिंग कराने के बाद उसके गृह जिला भेजने में मदद की.

manoj pandey
प्रवासी श्रमिक मनोज पांडेय

पानी पिलाने में भी डर रहे लोग
गौरतलब है कि इस वैश्विक महामारी ने इंसान के दिलों-दिमाग में इतना डर पैदा कर दिया है कि लोग अब किसी को एक ग्लास पानी पिलाने में भी डर रहे हैं. जान की परवाह में लोग अपनी इंसानियत भूल रहे हैं.

बक्सर : राज्य में प्रवासियों की वापसी का सिलसिला जारी है. हजारों मजदूर इस चिलचिलाती धूप में भी मजबूत इरादों के साथ अपने घर के लिए निकल पड़े हैं. जिनके जेब में न पैसा और न भूख मिटाने के लिए भोजन ही है. ऐसे में कुछ लोग जहां इनको पानी पिलाने से भी कतरा रहे हैं. वहीं, कुछ मदद करके इंसानियत की मिसाल पेश कर रहे हैं.

फूट-फूटकर रोने लगी महिला
जिले में शांतिनगर की दलित बस्ती में प्यास से तड़प रहे प्रवासी श्रमिक ने झोपड़पट्टी में रहने वाली सीता देवी का दरवाजा खटखटाया तो वह उसे देखकर फूट-फूटकर रोने लगी. आसपास के लोगों के लाख मना करने के बावजूद सीता देवी ने मजदूर को न सिर्फ पानी पिलाया, बल्कि उसके खाने और आराम करने का इंतजाम भी किया.

प्रवासी श्रमिक मनोज पांडेय से जुड़ी ईटीवी भारत की रिपोर्ट

नहीं भूलनी चाहिए इंसानियत
सीता देवी ने बताया कि अपने दरवाजे पर आए मजदूर की हालत देखकर वो अपने आंसू नहीं रोक सकी. उन्होंने कहा कि एक इंसान होने के नाते दूसरे इंसान की मदद करना हमारा फर्ज है. कोरोना के डर से लोगों को अपनी इंसानियत नहीं भूलनी चाहिए.

दरोगा ने की मदद
वहीं, दिल्ली से चलकर आया प्रवासी श्रमिक मनोज पांडेय बिहार-उत्तर प्रदेश के बॉर्डर पर पहुंचकर रो रहा था. वहां तैनात दारोगा कमल नयन ने कारण पूछे जाने पर उसने बताया कि पैसे नहीं होने की वजह से वो कई दिनों से भूखा है. साथ ही उसकी पत्नी बहुत बीमार है, जिसे कोरोना के डर से किसी ने अस्पताल नहीं पहुंचाया है. जिसके बाद दारोगा ने उसे खाने के लिए पैसे दिए और स्क्रीनिंग कराने के बाद उसके गृह जिला भेजने में मदद की.

manoj pandey
प्रवासी श्रमिक मनोज पांडेय

पानी पिलाने में भी डर रहे लोग
गौरतलब है कि इस वैश्विक महामारी ने इंसान के दिलों-दिमाग में इतना डर पैदा कर दिया है कि लोग अब किसी को एक ग्लास पानी पिलाने में भी डर रहे हैं. जान की परवाह में लोग अपनी इंसानियत भूल रहे हैं.

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