ईटानगर : विभिन्न समुदायों, जनजातियों और उनकी संस्कृतियों की एक तस्वीर पूर्वोत्तर के राज्य हैं. सात बहनें कहे जाने वाले इन राज्यों का अभिन्न हिस्सा है, अरुणाचल प्रदेश. जी हां! प्राकृतिक सुंदरता से संपन्न अरुणाचल विभिन्न जनजातियों का घर है. यह राज्य संस्कृति और संपदाओं से संपन्न है.
नोक्टे, खाम्ती, मिक्सिंग, आदि, आका, दफला, निशि सहित कई जनजातियां अरुणाचल प्रदेश के तत्कालीन नेफा और वर्तमान पहाड़ी राज्य में निवास करती हैं. यहां की जनजातियों का एक महत्वपूर्ण त्योहार है, सोलुंग.
अच्छी फसल के लिए होती है प्रार्थना
यह त्योहार हर साल सितंबर के पहले सप्ताह से 15 तारीख तक मनाया जाता है. इस दौरान समुदाय के लोग अच्छी फसल के लिए भगवान को पूजते हैं.
'अगम पे' कहकर देते हैं बधाई
त्योहार के दौरान कृषि से जुड़े पारंपरिक गीत गाए जाते हैं. त्योहार के दौरान लोग एक-दूसरे को अगम पे कहकर बधाई देते हैं. पूजा तीन चरणों में की जाती है.
पूजा के तीन चरण
प्रार्थना के सबसे पहले चरण को सोपी येकपी कहा जाता है, जिस दौरान लोग दुर्भाग्य से बचने और देवी-देवताओं को खुश करने के लिए जानवरों की बलि देते हैं.
अच्छी फसल के लिए प्रार्थना का दूसरा चरण कृषि के भगवान को चढ़ाया जाता है. इसे बिन्नयट अनुष्ठान के रूप में जाना जाता है.
तीसरे चरण की प्रार्थना मृतकों को समर्पित होती है. इसे- अकोप या टैक्टर कहा जाता है.
हालांकि हर त्योहार की तरह इसमें भी पिछले साल जितनी धूम नहीं दिखाई दी. त्योहार पूर्वी सियांग जिले के पासीघाट में उतने उत्साह के साथ नहीं मनाया गया. अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने इस अवसर पर आदि समुदाय के लोगों को शुभकामनाएं दीं.