हैदराबाद : भारत में नियुक्त ऑस्ट्रेलियाई उच्चायुक्त बैरी ओ'फारेल (Barry O'Farrell) ने बताया कि ऑस्ट्रेलिया कोविड-19 महामारी फैलने के कारणों की स्वतंत्र वैश्विक समीक्षा की मांग जारी रखेगा. चीन ने धमकी दी है कि अगर ऑस्ट्रेलिया इसे बंद नहीं करता तो शराब और बीफ का आयात बंद कर दिया जाएगा. रिपोर्ट्स की मानें तो चीन ने कहा है कि अगर न्यूजीलैंड ने ऑस्ट्रेलिया का साथ दिया तो उसे भी इसके खतरनाक परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं.
इस बारे में ईटीवी भारत के लिए वरिष्ठ पत्रकार स्मिता शर्मा से खास बातचीत करते हुए ऑस्ट्रेलियाई उच्चायुक्त बैरी ओ'फारेल (Barry O'Farrell) ने कई मुद्दों पर अपना पक्ष रखा और हमें जानकारी दी.
ताइवान के मुद्दे पर बैरी ने कहा कि यदि आप एक राष्ट्र हैं, यदि आपके पास किसी प्रकार की सरकार है और लोग भी हैं, जो आपकी सरहदों में रह रहे हैं तो आपको विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) का हिस्सा होना चाहिए. आप बीमारियों से प्रतिरक्षित नहीं हैं और संगठन एक प्रतिक्रिया विकसित करने में मदद करना चाहता है.
बैरी (Barry O'Farrell) ने कोरोना संकट से निपटने के लिए शुरुआती कार्रवाई के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रशंसा की. उन्होंने कहा कि संभावना जताई जा रही है कि भारत जल्द इस महामारी से उभरेगा और इंडो-पैसिफिक में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा. पीएम मोदी की प्रारंभिक कार्रवाई और लोगों की लॉकडाउन के प्रति प्रतिक्रिया असाधारण रही है.
उन्होंने कहा कि ऑस्ट्रेलिया वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में एक बड़ी भूमिका निभाने के लिए भारत का पूर्ण समर्थन करता है. यह एक अच्छा समय होगा कि भारत क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (आरसीईपी) की तह में लौटकर विश्व को वैश्विक विनिर्माण केंद्र बनने का संकेत दे.
ऑस्ट्रेलियाई उच्चायुक्त ने कहा कि शिक्षा द्विपक्षीय संबंधों का एक मजबूत पहलू बनी रहेगी. कई विश्वविद्यालय पाठ्यक्रम को ऑनलाइन स्विच करने के लिए मजबूर हैं. उन्होंने उम्मीद जताई कि भारत लॉकडाउन खत्म होने के बाद ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के साथ हवाई सेवा चालू करेगा.
सवाल - कोविड-19 युग के बाद इंडो-पैसिफिक में महत्वपूर्ण बदलाव क्या होगा? क्या शक्तियां पश्चिम से पूर्व में चली जाएंगी?
जवाब - जिन क्षेत्रों में सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण बदलाव देखने को मिलेगा, उनमें भारत भी शामिल है. भारत उन देशों में शामिल है, जिनके कोरोना संकट से निपटने और फिर आगे बढ़ने की अधिक उम्मीद है. पिछले कुछ वर्षों में भारत ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी बेहतरीन साख बनाई है. कोरोना संकट में दुनिया के कई देशों की मदद कर भारत ने अपने नेतृत्व का परचम लहराया है.
सवाल - यह अमेरिका में एक चुनावी वर्ष है. क्या वैश्विक नेतृत्व को लेकर अमेरिका अधिक सतर्क या अनिच्छुक हो जाएगा?
जवाब - यहां मैं ब्रुनेई में विदेश मंत्री जयशंकर के उस भाषण का जिक्र करना चाहूंगा, जिसमें उन्होंने राष्ट्रवाद और प्रतिस्पर्धा द्वारा विश्व व्यवस्था को उखाड़ने की बात की. जब आप मुद्दों को सुलझाने के लिए देशों को तलाश करते हैं, तब आपके निजी संबंध भी बनते हैं, जो आगे तक काम आते हैं. लेकिन आज के समय में अमेरिका के साथ ऐसा मालूम नहीं पड़ता है.
सवाल - क्या आप एक ऐसी दुनिया की कल्पना करते हैं, जहां कोविड-19 राष्ट्रवाद और संरक्षणवाद में एक दीर्घकालिक वैश्विक वापसी का कारण बनेगा? और देश आंतरिक मामलों पर अधिक सोचने लगेंगे?
जवाब - अगर कोई भी देश प्रतिस्पर्धात्मक लाभ या राष्ट्रवाद की खोज में नियमों में बाधा डालने लगता है, तो यह दुनिया के लिए समस्या बन जाती है. आज जो हम देख रहे हैं, वह पुनर्संतुलन और बदलाव है. जैसे ही हमने दूसरे विश्व युद्ध के बाद देखा था कि किसी की मदद करना आने वाले कई वर्षों के लिए हमें शासन करने में मदद करता है. मुझे लगता है कि हम उन कुछ तंत्रों का पुनर्संतुलन देखेंगे.
सवाल - ऑस्ट्रेलिया में चीनी दूत ने चेतावनी दी कि अगर ऑस्ट्रेलिया बीजिंग के मूल में अंतरराष्ट्रीय जांच पर जोर देता रहेगा तो वह शराब और बीफ का आयात करना बंद कर देगा. इसने व्यापार परिणामों को लेकर न्यूजीलैंड को भी चेतावनी दी है. इसके बारे में क्या कहेंगे?
जवाब - ऑस्ट्रेलिया सही वक्त पर एक स्वतंत्र अंतर्राष्ट्रीय समीक्षा का समर्थन करता है. जब हम कोविड-19 महामारी पर पूरी तरह से काबू कर लें, लोगों की हालत में सुधार हो जाए, उसके बाद इस मामले को जानना जरूरी है. यह किसी एक देश या संस्थान के बारे में नहीं है और न यह आलोचना का समय है. लेकिन इसमें खुलापन और पारदर्शिता होनी चाहिए क्योंकि अगर आने वाले समय में फिर कभी ऐसी स्थिति हमारे सामने आती है, तो इससे निपटने के लिए हम बेहतर तरीके से तैयार हो सकें.
सवाल - लेकिन अगर समीक्षा की बात किसी विशिष्ट देश के लिए लक्षित नहीं है, तो दूत ने चीन का खासतौर पर जिक्र क्यों किया. क्या ऑस्ट्रेलिया स्वतंत्र जांच की मांग जारी रखेगा?
जवाब - जब प्रधानमंत्री मोदी ने सफलतापूर्वक जी20 के लिए पहले से एक आभासी बैठक करने के लिए कहा, तो उन्होंने जिन मुद्दों को उठाया उनमें से एक डब्ल्यूएचओ का सुधार था. इस महामारी के बारे में सभी जानना चाहते हैं, और आने वाले समय के लिए भी बेहतर तरीके से तैयार होना चाहते हैं. मैं जानता हूं, व्यवसाय, राजनीति या फिर व्यक्तिगत जीवन में भी आप जब किसी संकट से जूझते हैं, तो कुछ लोग अलग बैठकर उसके होने का कारण सोचते हैं. भारत और ऑस्ट्रेलिया कोविड-19 के खिलाफ बेहतर लड़ाई लड़ रहे हैं, जबकि हमसे कई अधिक विकसित देश इस महामारी से बुरी तरह जूझ रहे हैं.
सवाल - यूएस इंटेलिजेंस कम्युनिटी ने 16 संगठनों की सहमति के साथ मिलकर कहा कि कोरोना वायरस मानव निर्मित या आनुवंशिक रूप से संशोधित किया हुआ नहीं था. लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि वह इस बात की जांच करते रहेंगे कि यह वायरस संक्रमित जानवरों के संपर्क में आने से फैला या लैब में हुई की गलती की वजह से यह महामारी आई. इस पर आपके क्या विचार हैं...
जवाब - मैं इस बात पर तरजीह दूंगा कि किसी देश विशेष के बजाए संयुक्त राष्ट्र से जुड़े किसी संगठन द्वारा जांच की जाए. अगर हम सभी एक वैश्विक प्रकोप के कारण की किसी सही संगठन से समीक्षा चाहते हैं तो हमें यकीन रखना होगा कि वह खुली, पारदर्शी और सटीक होगी. मैं यह नहीं कहता कि अमेरिका कुछ झूठ कहेगा लेकिन अगर ऑस्ट्रेलिया और भारत भी इसकी जांच चाहते हैं तो यह बिल्कुल होनी चाहिए.
सवाल - ताइवान की डब्ल्यूएचओ में वापसी की मांग पर आपका क्या कहना है?
जवाब - वर्तमान महामारी को देश की सरहदों से नहीं रोका जा सकता है. यदि आप एक राष्ट्र हैं, यदि आपके पास किसी प्रकार की सरकार है और लोग भी हैं, जो आपकी सरहदों में रह रहे हैं तो आपको डब्ल्यूएचओ का हिस्सा होना चाहिए. आप बीमारियों से प्रतिरक्षित नहीं हैं और संगठन एक प्रतिक्रिया विकसित करने में मदद करना चाहता है.
सवाल - लेकिन डब्ल्यूएचओ के नेतृत्व पर चीन के प्रति कथित झुकाव को लेकर सवाल उठाए गए हैं. संयुक्त राष्ट्र के कई निकायों में आज नेतृत्व की भूमिकाओं में चीनी नागरिक हैं. क्या आपको लगता है कि इसकी कोई संभावना है कि डब्ल्यूएचओ ताइवान के लिए दरवाजे खोलेगा?
जवाब - डब्ल्यूएचओ में मेरा विश्वास बढ़ रहा है क्योंकि इस वर्ष भारत इस संगठन की कुर्सी संभालने जा रहा है. भारत पहले भी कई महामारियों से निपट चुका है. इसलिए यह हम सभी के लिए अच्छा होगा.
सवाल - जहां सभी देश अपनी शक्ति का उपयोग कर रहे हैं, वहां नियंत्रण और संतुलन किस प्रकार आ पाएगा. क्या वैकल्पिक तंत्र विकसित करने की संभावना है?
जवाब - सबसे पहले हमें संयुक्त राष्ट्र और डब्ल्यूएचओ जैसे संगठनों में मौजूद नियमों और मानदंडों को मजबूत करने की कोशिश करनी चाहिए. हम दक्षिण चीन सागर को देख रहे हैं. हमें लगता है कि इस क्षेत्र के कुछ विवादों को निपटाने की जरूरत है. सभी देशों को संयुक्त राष्ट्र की समुद्री कानून संधि (यूएनसीएलओएस) के मानदंडों और नियमों का पालन करने की आवश्यकता है.
सवाल - क्या आप जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया, जापान और भारत जैसे देशों को अधिक दृढ़ और निर्णायक भूमिका निभाते हुए देखते हैं?
जवाब - इस मौजूदा समय में हमने भारत, जापान, कोरिया गणराज्य, न्यूजीलैंड और अमेरिका के बीच साप्ताहिक इंडो-पैसिफिक समन्वय का आनंद उठाया है. यह सारे देश एक दूसरे को कोरोना के विषय में रिपोर्ट कर रहे हैं. हम कोरोना के बाद के हालातों पर भी चर्चा कर रहे हैं.
सवाल - चतुर्भुज सुरक्षा संवाद (क्वाड) का भविष्य आप कहां देखते हैं? क्या हिंद महासागर में क्षेत्रीय उपस्थिति के साथ फ्रांस जैसे देश को शामिल करने के लिए इसके विस्तार करने की संभावना है?
जवाब - साइबर आतंकवाद, काउंटर आतंकवाद, साइबर और समुद्री सुरक्षा जैसे प्रमुख मुद्दों पर समन्वय करने के लिए क्वाड एक उपयोगी मंच साबित हुआ है. हमें बहुत खुशी होती है कि पिछले साल क्वाड का स्तर काफी बढ़ा है.
सवाल - भारत में सख्त देशव्यापी लॉकडाउन जारी है. इस पर आपका क्या कहना है?
जवाब - इस खतरनाक महामारी का सामना करने में भारत ने उल्लेखनीय कार्य किया है. जब मैं फरवरी में यहां पहुंचा तो भारत में इस बीमारी और प्रभाव के बारे में भविष्यवाणियां की जा रहीं थीं. पिछले सप्ताह प्रसिद्ध अर्थशास्त्री शामिका रवि ने कहा कि यदि पीएम मोदी के राष्ट्रीय लॉकडाउन नहीं किया होता तो आज भारत में 850,000 मामले होते. खुशी की बात यह है कि यहां लोगों ने लॉकडाउन का पालन किया है.
सवाल- आरसीईपी का भविष्य क्या है? कई लोगों का मानना है कि भारत के लिए इस पर हस्ताक्षर न करना काफी बेहतर रहा?
जवाब - अगर भारत आरसीईपी में शामिल होना चाहे तो इसके दरवाजे हमेशा खुले रहेंगे. ऑस्ट्रेलिया वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में एक बड़ी भूमिका निभाने के लिए भारत का समर्थन करता है. भारत को आरसीईपी में शामिल होने के लिए यह संकेत देना होगा कि भारत न केवल निवेश करने के लिए एक शानदार स्थान है, बल्कि वह वैश्विक विनिर्माण का केंद्र बनने की भी क्षमता रखता है.