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एफएटीएफ : पाक का 'ग्रे' सूची में बने रहना भारत के हित में

एफएटीएफ ने साफ कर दिया है कि पाकिस्तान 27 मानकों में से 14 पर ही खरा उतर पाया. बाकी पर उन्हें प्रगति दिखानी है. एफएटीएफ ने पेरिस में तीन दिनों की बैठक के बाद यह निर्णय लिया. एफएटीएफ ने पाकिस्तान को ग्रे सूची में बनाए रखा है. पढे़ं पूरा विवरण...

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पाक का 'ग्रे' सूची में बने रहना भारत के हित में
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Published : Feb 22, 2020, 2:02 PM IST

Updated : Mar 2, 2020, 4:27 AM IST

आतंकी वित्तपोषण पर इस्लामाबाद की दलीलें धरी की धरी रह गईं. वैश्विक निगरानी संस्था फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) ने पाकिस्तान को ग्रे सूची में बनाए रखा है. हालांकि, पाकिस्तान ने हाफिज सईद को जेल में डालने और आतंकियों के वित्त पोषण पर पुरजोर तर्क रखे थे.

एफएटीएफ ने साफ कर दिया है कि पाकिस्तान 27 मानकों में से 14 पर ही खरा उतर पाया. बाकी पर उन्हें प्रगति दिखानी है. एफएटीएफ ने पेरिस में तीन दिनों की बैठक के बाद यह निर्णय लिया.

एफएटीएफ के अनुसार अगर पाकिस्तान ने अगले चार महीनों में सभी 27 मानदंडों पर संतोषजनक काम नहीं किया, तो उसे ब्लैकलिस्ट किया जा सकता है. एफएटीएफ ने दृढ़ता से जून 2020 तक पाकिस्तान को अपनी पूर्ण कार्ययोजना को पूरा करने का आग्रह किया है. संस्था की अगली प्लेनरी बैठक में इस पर फिर से विचार किया जाएगा. एफएटीएफ ने कहा कि अभियोजन और दंडात्मक कार्रवाई में महत्वपूर्ण और स्थायी प्रगति होनी चाहिए. अगली प्लेनरी में टीएफ (टेरर फाइनेंसिंग) को लेकर उचित व संतोषजनक जवाब पाक द्वारा रखा जाए.

इसकी बैठक में 205 देशों के 800 प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया. पाक उम्मीद लगाए था कि उसे राहत प्रदान की जाएगी. ग्रे सूची से बाहर आने के लिए उसे 39 वोटों में से 14 वोटों की जरूरत थी, लेकिन वह इसे हासिल नहीं कर सका. हालांकि, इस्लामाबाद के समर्थन में चीन, मलेशिया और तुर्की खड़ा रहा. इसकी बदौलत पाकिस्तान को ब्लैकलिस्ट नहीं किया जा सका. बैठक में कई देशों ने पाकिस्तान को ब्लैकलिस्ट करने के बजाए ग्रे लिस्ट में रखे जाने पर जोर दिया.

जून 2018 के बाद से पाकिस्तान ने एफएटीएफ और उसके सब ग्रुपिंग एपीजी (एशिया प्लेनरी ग्रुप) के साथ काम करने को लेकर उच्च स्तरीय राजनीतिक प्रतिबद्धता दिखाई है. कथित तौर पर उसका कहना है कि उसने आतंकियों का वित्तपोषण बंद कर दिया है. मनी लॉन्ड्रिंग पर रोक लगा रहा है. हालांकि, एफएटीएफ ने अपनी बैठक में पाक को यह दिखाने के लिए कहा कि उसने एंटी मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवाद के वित्तपोषण को लेकर उचित कदम उठाए हैं. पाक को इसे साबित करना होगा कि उसने ऐसा किया है. सक्षम अधिकारियों को सहयोग करना होगा. औपचारिक बयान में पाकिस्तान को यह दिखाने के लिए भी कहा गया कि कानून प्रवर्तन एजेंसियां ​​(एलएए) आतंकवादी वित्तपोषण गतिविधियों की व्यापक रेंज की पहचान और जांच कर रही हैं और नामित व्यक्तियों और संस्थाओं के खिलाफ मुकदमा चलाने और नामित या व्यक्तियों या संस्थाओं के निर्देश पर कार्रवाई कर रही हैं. विश्व निकाय ने भी इस्लामाबाद को 1267 और 1373 के प्रस्तावों के तहत नामित सभी आतंकवादियों के खिलाफ लक्षित वित्तीय प्रतिबंधों (एक व्यापक कानूनी दायित्व द्वारा समर्थित) के प्रभावी कार्यान्वयन का प्रदर्शन करने के लिए कहा. सुरक्षा परिषद और उन लोगों के लिए या उनकी ओर से कार्य करना, जिसमें धन की वृद्धि और गति को रोकना, परिसंपत्तियों की पहचान और ठंड (चल और अचल) और धन और वित्तीय सेवाओं तक पहुंच को रोकना शामिल है.

एफएटीएफ ने कहा कि एक्शन प्लान की सभी समय सीमाएं समाप्त हो गई हैं. हाल ही में आशिंक सुधारों को देखते हुए एफएटीएफ फिर से सहमत हुए समयसीमा के अनुसार अपनी कार्य योजना को पूरा करने में पाकिस्तान की विफलता के बारे में चिंता व्यक्त करता है और अधिकार क्षेत्र से निकलने वाले टेरर फाइनेंसिंग जोखिमों के मद्देनजर अपनी चिंता जाहिर करता है. पाकिस्तान को सितंबर 2019 तक तालिबान, अल-कायदा, लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद सहित सुरक्षा परिषद द्वारा नामित आतंकवादी समूहों के लिए सभी वित्तीय और बैंकिंग पहुंच को बंद करने के लिए कहा गया था.

पाकिस्तान का तर्क है कि वह विश्व निकाय के साथ सहयोग कर रहा है. अपनी प्रगति का दस्तावेजीकरण कर रहा है. अधिकारियों को उलझाने और अनुपालन कार्रवाई पर अद्यतन रखने और इसलिए ब्लैकलिस्टिंग के लिए मामला नहीं बनाया जाना चाहिए. दिलचस्प बात यह है कि भारत सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने पाकिस्तान को ग्रे सूची में बनाए रखे जाने को बेहतर कदम बताया है, बजाए कि उसे ब्लैकलिस्ट किया जाए. उनका मानना है कि ग्रे सूची में पाक का बने रहने का मतलब है कि उस पर लगातार दबाव बना रहेगा. उन्होंने ये भी कहा कि यदि पाकिस्तान को एक बार कालीसूची में डाल दिया जाएगा, तो स्थिति और भी दयनीय हो सकती है.

(स्मिता शर्मा)

आतंकी वित्तपोषण पर इस्लामाबाद की दलीलें धरी की धरी रह गईं. वैश्विक निगरानी संस्था फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) ने पाकिस्तान को ग्रे सूची में बनाए रखा है. हालांकि, पाकिस्तान ने हाफिज सईद को जेल में डालने और आतंकियों के वित्त पोषण पर पुरजोर तर्क रखे थे.

एफएटीएफ ने साफ कर दिया है कि पाकिस्तान 27 मानकों में से 14 पर ही खरा उतर पाया. बाकी पर उन्हें प्रगति दिखानी है. एफएटीएफ ने पेरिस में तीन दिनों की बैठक के बाद यह निर्णय लिया.

एफएटीएफ के अनुसार अगर पाकिस्तान ने अगले चार महीनों में सभी 27 मानदंडों पर संतोषजनक काम नहीं किया, तो उसे ब्लैकलिस्ट किया जा सकता है. एफएटीएफ ने दृढ़ता से जून 2020 तक पाकिस्तान को अपनी पूर्ण कार्ययोजना को पूरा करने का आग्रह किया है. संस्था की अगली प्लेनरी बैठक में इस पर फिर से विचार किया जाएगा. एफएटीएफ ने कहा कि अभियोजन और दंडात्मक कार्रवाई में महत्वपूर्ण और स्थायी प्रगति होनी चाहिए. अगली प्लेनरी में टीएफ (टेरर फाइनेंसिंग) को लेकर उचित व संतोषजनक जवाब पाक द्वारा रखा जाए.

इसकी बैठक में 205 देशों के 800 प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया. पाक उम्मीद लगाए था कि उसे राहत प्रदान की जाएगी. ग्रे सूची से बाहर आने के लिए उसे 39 वोटों में से 14 वोटों की जरूरत थी, लेकिन वह इसे हासिल नहीं कर सका. हालांकि, इस्लामाबाद के समर्थन में चीन, मलेशिया और तुर्की खड़ा रहा. इसकी बदौलत पाकिस्तान को ब्लैकलिस्ट नहीं किया जा सका. बैठक में कई देशों ने पाकिस्तान को ब्लैकलिस्ट करने के बजाए ग्रे लिस्ट में रखे जाने पर जोर दिया.

जून 2018 के बाद से पाकिस्तान ने एफएटीएफ और उसके सब ग्रुपिंग एपीजी (एशिया प्लेनरी ग्रुप) के साथ काम करने को लेकर उच्च स्तरीय राजनीतिक प्रतिबद्धता दिखाई है. कथित तौर पर उसका कहना है कि उसने आतंकियों का वित्तपोषण बंद कर दिया है. मनी लॉन्ड्रिंग पर रोक लगा रहा है. हालांकि, एफएटीएफ ने अपनी बैठक में पाक को यह दिखाने के लिए कहा कि उसने एंटी मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवाद के वित्तपोषण को लेकर उचित कदम उठाए हैं. पाक को इसे साबित करना होगा कि उसने ऐसा किया है. सक्षम अधिकारियों को सहयोग करना होगा. औपचारिक बयान में पाकिस्तान को यह दिखाने के लिए भी कहा गया कि कानून प्रवर्तन एजेंसियां ​​(एलएए) आतंकवादी वित्तपोषण गतिविधियों की व्यापक रेंज की पहचान और जांच कर रही हैं और नामित व्यक्तियों और संस्थाओं के खिलाफ मुकदमा चलाने और नामित या व्यक्तियों या संस्थाओं के निर्देश पर कार्रवाई कर रही हैं. विश्व निकाय ने भी इस्लामाबाद को 1267 और 1373 के प्रस्तावों के तहत नामित सभी आतंकवादियों के खिलाफ लक्षित वित्तीय प्रतिबंधों (एक व्यापक कानूनी दायित्व द्वारा समर्थित) के प्रभावी कार्यान्वयन का प्रदर्शन करने के लिए कहा. सुरक्षा परिषद और उन लोगों के लिए या उनकी ओर से कार्य करना, जिसमें धन की वृद्धि और गति को रोकना, परिसंपत्तियों की पहचान और ठंड (चल और अचल) और धन और वित्तीय सेवाओं तक पहुंच को रोकना शामिल है.

एफएटीएफ ने कहा कि एक्शन प्लान की सभी समय सीमाएं समाप्त हो गई हैं. हाल ही में आशिंक सुधारों को देखते हुए एफएटीएफ फिर से सहमत हुए समयसीमा के अनुसार अपनी कार्य योजना को पूरा करने में पाकिस्तान की विफलता के बारे में चिंता व्यक्त करता है और अधिकार क्षेत्र से निकलने वाले टेरर फाइनेंसिंग जोखिमों के मद्देनजर अपनी चिंता जाहिर करता है. पाकिस्तान को सितंबर 2019 तक तालिबान, अल-कायदा, लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद सहित सुरक्षा परिषद द्वारा नामित आतंकवादी समूहों के लिए सभी वित्तीय और बैंकिंग पहुंच को बंद करने के लिए कहा गया था.

पाकिस्तान का तर्क है कि वह विश्व निकाय के साथ सहयोग कर रहा है. अपनी प्रगति का दस्तावेजीकरण कर रहा है. अधिकारियों को उलझाने और अनुपालन कार्रवाई पर अद्यतन रखने और इसलिए ब्लैकलिस्टिंग के लिए मामला नहीं बनाया जाना चाहिए. दिलचस्प बात यह है कि भारत सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने पाकिस्तान को ग्रे सूची में बनाए रखे जाने को बेहतर कदम बताया है, बजाए कि उसे ब्लैकलिस्ट किया जाए. उनका मानना है कि ग्रे सूची में पाक का बने रहने का मतलब है कि उस पर लगातार दबाव बना रहेगा. उन्होंने ये भी कहा कि यदि पाकिस्तान को एक बार कालीसूची में डाल दिया जाएगा, तो स्थिति और भी दयनीय हो सकती है.

(स्मिता शर्मा)

Last Updated : Mar 2, 2020, 4:27 AM IST
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