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तेलंगाना : हर घर में बिजली के स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने की योजना

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Published : Jul 2, 2020, 7:26 PM IST

तेलंगाना में अब हर घर में बिजली के स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने की योजना है. तेलंगाना विद्युत नियामक बोर्ड के अध्यक्ष श्री रंगा राव ने कुछ ऐसे ही संकेत दिए हैं. श्री रंगा राव ने बिजली के बिल से जुड़ी समस्याओं सहित अन्य मुद्दों पर आंध्र प्रदेश व तेलंगाना के सर्वाधिक प्रसारित तेलुगू समाचारपत्र ईनाडु से बातचीत की. उन्होंने कहा कि तेलंगाना के अस्तित्व में आने के बाद से बिजली की दरें नहीं बढ़ाई गई हैं. उन्होंने कहा कि यह धारणा गलत है कि शुल्क वृद्धि हुई है और इसे तुरंत ठीक करने की आवश्यकता है.

Smart Prepaid Meter
प्रतीकात्मक फोटो

हैदराबाद : पूरे देश में कोरोना वायरस महामारी फैली है. संक्रमण का प्रसार रोकने लॉकडाउन लगाया गया था. इस दौरान लोगों को तमाम तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ा. तेलंगाना के लोगों ने यह भी शिकायत की है कि लॉकडाउन के परिणामस्वरूप तीन माह के औसत को जोड़कर जो बिजली का बिल आया है, वह ज्यादा है. इसी बीच ऐसी खबरें भी आ रही हैं कि विद्युत वितरण कंपनियां बिजली की दर बढ़ाने पर विचार कर रही हैं.

बिजली के बिल से जुड़ी समस्याओं को लेकर तेलंगाना विद्युत नियामक बोर्ड के अध्यक्ष श्री रंगा राव ने आंध्र प्रदेश व तेलंगाना के सर्वाधिक प्रसारित तेलुगू समाचारपत्र ईनाडु से बातचीत की. इस दौरान उन्होंने कहा कि तेलंगाना के अस्तित्व में आने के बाद से बिजली की दरें नहीं बढ़ाई गई हैं. यदि विद्युत वितरण कंपनियां लॉकडाउन से हुए नुक्सान से निबटने के लिए बिजली दरें बढ़ाने का प्रस्ताव देती हैं तो राज्य विद्युत नियामक बोर्ड सभी पक्षों के साथ चर्चा के बाद ही निर्णय लेगा. 30 जून को विद्युत वितरण कंपनियां ने जरूरी वार्षिक आय की एक रिपोर्ट (एआरआर) विद्युत नियामक बोर्ड को सौंपी थी. श्री रंगा राव से बातचीत के प्रमुख अंश इस प्रकार हैं :-

सवाल : विद्युत वितरण कंपनियां हर वर्ष नवंबर में जरूरी वार्षिक आय की एक रिपोर्ट (एआरआर) विद्युत नियामक बोर्ड को देती हैं. वे उसका अनुपालन नहीं कर रही हैं. इसको लेकर क्या किया जा सकता है?

यह सच है कि विद्युत वितरण कंपनियां एआरआर का अनुपालन नहीं कर रही हैं. यदि वे नियमों का उल्लंघन करती हैं तो यह उनको ही प्रभावित करेगा. सिंचाई विभाग अपनी बिजली की खपत की रिपोर्ट जारी करने में असमर्थ रहा है. इसकी वजह से विद्युत वितरण कंपनियां अपनी एआरआर रिपोर्ट देने में असमर्थ थी.

सवाल : विद्युत वितरण कंपनियों को हो रहे घाटे के लिए क्या किया जा सकता है?

केंद्र सरकार आदित्य योजना पर कार्य कर रही है. इसके तहत सरकार सभी राज्यों में एक लाख करोड़ का अनुदान वितरित करेगी. इसके तहत हर घर में स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाए जाएंगे. ये मीटर बूट (बिल्ड-ओन-ऑपरेट-ट्रांसफर) से लैस होंगे. कंपनी को ये मीटर खुद के खर्च पर घरों में लागवाने होंगे. इन मीटरों के लग जाने के बाद कंपनी को हो रहा नुक्सान कम हो जाएगा और धीरे-धीरे उनको मुनाफा होने लगेगा. उस मुनाफे से किश्तों में वह मीटर कंपनी को भुगतान कर सकेंगी. केंद्र सरकार बिजली क्षेत्र की विकासात्मक लागत का लगभग 60% खर्च उठाती है. शेष 40% खर्च विद्युत वितरण कंपनियों को उठाना पड़ता है.

सवाल : लोगों ने शिकायत की है कि बिजली शुल्क बढ़ा दिया गया है. इसके परिणामस्वरूप लॉकडाउन में उनपर बोझ बढ़ गया है. क्या इस मुद्दे को ईआरसी के संज्ञान में लाया गया है?

यह बात ईआरसी के संज्ञान में है. ईआरसी ने आदेश दिया है कि इस वर्ष अप्रैल और मई महीनों के बिलों को फिर से जारी किया जाए. इसको लेकर मैंने खुद विद्युत वितरण कंपनियों के सीडीएम से बात की थी. यदि तीन माह की रीडिंग का बिल एक साथ जारी किया जाता तो लोगों पर बोझ बढ़ जाता. वितरण कंपनियों ने बताया कि वह शिकायतकर्ताओं के बिलों की जांच कर रहे हैं. यह धारणा गलत है कि शुल्क वृद्धि हुई है और इसे तुरंत ठीक करने की आवश्यकता है.

सवाल : उस बिलिंग नीति पर विचार किया जा सकता है, जिसमें लोग अपने फोन से मीटर की रीडिंग को अपलोड कर सकते हैं.

यह बहुत अच्छी नीति और अच्छा सुझाव है. ईनाडु में प्रकाशित एक हालिया लेख में मैंने इसके कार्यान्वयन की व्याख्या को पढ़ा था. यह समाचार लॉकडाउन के बाद रीडिंग लेने के आदेश के बाद आया था. अगर यह समाचार पहले आया होता तो ईआरसी इसका आदेश दे देता. इस नीति को दिल्ली में पहले ही लागू किया गया है. इसे तेलंगाना में जल्द ही लागू किया जाएगा.

सवाल : विद्युत वितरण कंपनियों पर आरोप लगे हैं कि सिर्फ वितरण को दिखाने के लिए वे यह कहती हैं कि बिजली की खपत कृषि क्षेत्र में काफी ज्यादा है. इसपर आपका क्या कहना है?

कृषि के लिए उपयोग किए जाने वाले सभी विद्युत बोर्डों पर मीटर का सेटअप होना चाहिए. आपने जो कहा, वह भी सच है. महाराष्ट्र में राज्य ईआरसी द्वारा एक जांच में पाया गया कि आपूर्ति और वितरण से होने वाले नुकसान को कम करने के लिए कृषि क्षेत्र का अधिक उपयोग किया जा रहा है. केंद्र सरकार द्वारा लाई जा रही आदित्य योजना में कृषि के लिए अलग से मीटर प्रदान करना अनिवार्य है.

सवाल : क्या बिजली संशोधन विधेयक के प्रस्ताव से ईआरसी पर कोई गंभीर प्रभाव पड़ा है?

इस विधेयक में प्रस्तावित संशोधन का निश्चित रूप से गंभीर प्रभाव पड़ेगा. सभी राज्यों के ईआरसी का हाल ही में तीन दिवसीय ऑनलाइन सम्मेलन आयोजित किया गया था. सम्मेलन के दौरान विधेयक पर चर्चा का प्रस्ताव रखा गया था. लगभग सभी ईआरसी ने एकमत होकर अपनी सलाह दी है और अपत्तियां दर्ज कराईं. इनको केंद्र सरकार को भेज दिया गया है. विधेयक में सुझाव दिया गया है कि विद्युत खरीद समझौतों पर किसी भी विवाद को हल करने के लिए राष्ट्रीय प्रवर्तन बोर्ड का गठन किया जाए. मंच ने यह भी स्पष्ट किया कि परिषद को स्थापित करने की कोई आवश्यकता नहीं थी. हम नेशनल लोड डिस्पैच सेंटर के माध्यम से राज्यों के बीच बिजली की आपूर्ति को विनियमित करने के प्रस्ताव का भी विरोध करते हैं.

हैदराबाद : पूरे देश में कोरोना वायरस महामारी फैली है. संक्रमण का प्रसार रोकने लॉकडाउन लगाया गया था. इस दौरान लोगों को तमाम तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ा. तेलंगाना के लोगों ने यह भी शिकायत की है कि लॉकडाउन के परिणामस्वरूप तीन माह के औसत को जोड़कर जो बिजली का बिल आया है, वह ज्यादा है. इसी बीच ऐसी खबरें भी आ रही हैं कि विद्युत वितरण कंपनियां बिजली की दर बढ़ाने पर विचार कर रही हैं.

बिजली के बिल से जुड़ी समस्याओं को लेकर तेलंगाना विद्युत नियामक बोर्ड के अध्यक्ष श्री रंगा राव ने आंध्र प्रदेश व तेलंगाना के सर्वाधिक प्रसारित तेलुगू समाचारपत्र ईनाडु से बातचीत की. इस दौरान उन्होंने कहा कि तेलंगाना के अस्तित्व में आने के बाद से बिजली की दरें नहीं बढ़ाई गई हैं. यदि विद्युत वितरण कंपनियां लॉकडाउन से हुए नुक्सान से निबटने के लिए बिजली दरें बढ़ाने का प्रस्ताव देती हैं तो राज्य विद्युत नियामक बोर्ड सभी पक्षों के साथ चर्चा के बाद ही निर्णय लेगा. 30 जून को विद्युत वितरण कंपनियां ने जरूरी वार्षिक आय की एक रिपोर्ट (एआरआर) विद्युत नियामक बोर्ड को सौंपी थी. श्री रंगा राव से बातचीत के प्रमुख अंश इस प्रकार हैं :-

सवाल : विद्युत वितरण कंपनियां हर वर्ष नवंबर में जरूरी वार्षिक आय की एक रिपोर्ट (एआरआर) विद्युत नियामक बोर्ड को देती हैं. वे उसका अनुपालन नहीं कर रही हैं. इसको लेकर क्या किया जा सकता है?

यह सच है कि विद्युत वितरण कंपनियां एआरआर का अनुपालन नहीं कर रही हैं. यदि वे नियमों का उल्लंघन करती हैं तो यह उनको ही प्रभावित करेगा. सिंचाई विभाग अपनी बिजली की खपत की रिपोर्ट जारी करने में असमर्थ रहा है. इसकी वजह से विद्युत वितरण कंपनियां अपनी एआरआर रिपोर्ट देने में असमर्थ थी.

सवाल : विद्युत वितरण कंपनियों को हो रहे घाटे के लिए क्या किया जा सकता है?

केंद्र सरकार आदित्य योजना पर कार्य कर रही है. इसके तहत सरकार सभी राज्यों में एक लाख करोड़ का अनुदान वितरित करेगी. इसके तहत हर घर में स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाए जाएंगे. ये मीटर बूट (बिल्ड-ओन-ऑपरेट-ट्रांसफर) से लैस होंगे. कंपनी को ये मीटर खुद के खर्च पर घरों में लागवाने होंगे. इन मीटरों के लग जाने के बाद कंपनी को हो रहा नुक्सान कम हो जाएगा और धीरे-धीरे उनको मुनाफा होने लगेगा. उस मुनाफे से किश्तों में वह मीटर कंपनी को भुगतान कर सकेंगी. केंद्र सरकार बिजली क्षेत्र की विकासात्मक लागत का लगभग 60% खर्च उठाती है. शेष 40% खर्च विद्युत वितरण कंपनियों को उठाना पड़ता है.

सवाल : लोगों ने शिकायत की है कि बिजली शुल्क बढ़ा दिया गया है. इसके परिणामस्वरूप लॉकडाउन में उनपर बोझ बढ़ गया है. क्या इस मुद्दे को ईआरसी के संज्ञान में लाया गया है?

यह बात ईआरसी के संज्ञान में है. ईआरसी ने आदेश दिया है कि इस वर्ष अप्रैल और मई महीनों के बिलों को फिर से जारी किया जाए. इसको लेकर मैंने खुद विद्युत वितरण कंपनियों के सीडीएम से बात की थी. यदि तीन माह की रीडिंग का बिल एक साथ जारी किया जाता तो लोगों पर बोझ बढ़ जाता. वितरण कंपनियों ने बताया कि वह शिकायतकर्ताओं के बिलों की जांच कर रहे हैं. यह धारणा गलत है कि शुल्क वृद्धि हुई है और इसे तुरंत ठीक करने की आवश्यकता है.

सवाल : उस बिलिंग नीति पर विचार किया जा सकता है, जिसमें लोग अपने फोन से मीटर की रीडिंग को अपलोड कर सकते हैं.

यह बहुत अच्छी नीति और अच्छा सुझाव है. ईनाडु में प्रकाशित एक हालिया लेख में मैंने इसके कार्यान्वयन की व्याख्या को पढ़ा था. यह समाचार लॉकडाउन के बाद रीडिंग लेने के आदेश के बाद आया था. अगर यह समाचार पहले आया होता तो ईआरसी इसका आदेश दे देता. इस नीति को दिल्ली में पहले ही लागू किया गया है. इसे तेलंगाना में जल्द ही लागू किया जाएगा.

सवाल : विद्युत वितरण कंपनियों पर आरोप लगे हैं कि सिर्फ वितरण को दिखाने के लिए वे यह कहती हैं कि बिजली की खपत कृषि क्षेत्र में काफी ज्यादा है. इसपर आपका क्या कहना है?

कृषि के लिए उपयोग किए जाने वाले सभी विद्युत बोर्डों पर मीटर का सेटअप होना चाहिए. आपने जो कहा, वह भी सच है. महाराष्ट्र में राज्य ईआरसी द्वारा एक जांच में पाया गया कि आपूर्ति और वितरण से होने वाले नुकसान को कम करने के लिए कृषि क्षेत्र का अधिक उपयोग किया जा रहा है. केंद्र सरकार द्वारा लाई जा रही आदित्य योजना में कृषि के लिए अलग से मीटर प्रदान करना अनिवार्य है.

सवाल : क्या बिजली संशोधन विधेयक के प्रस्ताव से ईआरसी पर कोई गंभीर प्रभाव पड़ा है?

इस विधेयक में प्रस्तावित संशोधन का निश्चित रूप से गंभीर प्रभाव पड़ेगा. सभी राज्यों के ईआरसी का हाल ही में तीन दिवसीय ऑनलाइन सम्मेलन आयोजित किया गया था. सम्मेलन के दौरान विधेयक पर चर्चा का प्रस्ताव रखा गया था. लगभग सभी ईआरसी ने एकमत होकर अपनी सलाह दी है और अपत्तियां दर्ज कराईं. इनको केंद्र सरकार को भेज दिया गया है. विधेयक में सुझाव दिया गया है कि विद्युत खरीद समझौतों पर किसी भी विवाद को हल करने के लिए राष्ट्रीय प्रवर्तन बोर्ड का गठन किया जाए. मंच ने यह भी स्पष्ट किया कि परिषद को स्थापित करने की कोई आवश्यकता नहीं थी. हम नेशनल लोड डिस्पैच सेंटर के माध्यम से राज्यों के बीच बिजली की आपूर्ति को विनियमित करने के प्रस्ताव का भी विरोध करते हैं.

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