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17 नवंबर को CJI होंगे सेवानिवृत्त, इससे पहले कई अहम मामलों पर सुना सकते हैं फैसला - वित्त अधिनियम 2017 की वैधता

मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई रिटायर होने से पहले कई अहम मामलों पर फैसला सुना सकते हैं. वह 17 नवंबर को रिटायर होने वाले हैं. उससे पहले वह इन मामलों पर अपना फैसला दे सकते हैं. पूरे देश को बेसब्री ने इन फैसलों का इंतजार है. आइए एक नजर डालते हैं, कौन-कौन से वे मामले हैं, जिन पर अंतिम निर्णय सुनाया जा सकता है.

मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई
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Published : Oct 30, 2019, 12:41 PM IST

Updated : Oct 30, 2019, 3:03 PM IST

हैदराबाद : भारत के मुख्य न्यायधीश (सीजेआई) रंजन गोगोई 17 नवंबर को सेवानिवृत्त होने वाले हैं. उनसे पहले वह कई अहम मामलों पर फैसला सुना सकते हैं. इनमें अयोध्या मामला भी शामिल है. अब उनके पास मात्र 10 कार्यदिवस बचे हैं.

इन चर्चित मामलों में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद, सबरीमाला मंदिर मामला, राफेल लड़ाकू विमान सौदा, उच्चतम न्यायालय के कार्यालय में सूचना का अधिकार(RTI) का आवेदन, राहुल गांधी की टिप्पणी- चौकीदार चोर है - के खिलाफ दायर याचिका, वित्त अधिनियम 2017 की वैधता प्रमुख रूप से शामिल है.

देखें ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट

17 नवंबर को सेवानिवृत्त हो रहे गोगोई ने भारत के अगले मुख्य न्यायाधीश के रूप में न्यायाधीश शरद अरविंद बोबडे की सिफारिश की है.

अयोध्या-बाबरी मस्जिद विवाद मामला
इस मामले की सुनवाई रंजन गोगोई की अध्यक्षता में पांच जजों की पीठ कर रही थी. मामले की सुनवाई के 40 दिन बाद न्यायालय ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है.

गौरतलब है कि न्यायालय यह भी फैसला करेगा कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा सितंबर 2010 के फैसले में राम लला, निर्मोही अखाड़ा और सुन्नी वक्फ बोर्ड के बीच विवादित भूमि को विभाजित करने में सही था या नहीं.

राफेल फैसले पर पुनर्विचार
10 मई को, CJI गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने 14 दिसंबर के फैसले के खिलाफ दायर पुनर्विचार याचिकाओं पर आदेश सुरक्षित रख लिया है, जिसमें राफेल सौदे में भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच का आदेश देने से इनकार कर दिया था.

समीक्षा याचिका में आरोप लगाया गया कि सरकार ने 14 दिसंबर, 2018 के फैसले को पंहुचाने में न्यायालय को गुमराह किया है.

पढ़ें : CJI रंजन गोगोई ने जस्टिस बोबडे को अगला मुख्य न्यायाधीश बनाने की सिफारिश की

राहुल गांधी के खिलाफ याचिका
CJI गोगोई ने 10 अप्रैल को भाजपा नेता मीनाक्षी लेखी द्वारा कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के खिलाफ 10 अप्रैल के फैसले के संबंध में शीर्ष अदालत की 'चौकीदार चोर की' टिप्पणी के लिए दायर अवमानना याचिका में फिर से आदेश सुरक्षित रख लिया गया है.

गांधी ने 10 अप्रैल के राफेल पुनर्विचार पर सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए टिप्पणी की थी.

सबरीमाला फैसले पर पुनर्विचार
सीजेआई गोगोई की अध्यक्षता में न्यायाधीश खानविल्कर, नरीमन, चंद्रचूड़ और इंदू मल्होत्रा वाली पीठ ने सबरीमाला मामले की पुनर्विचार याचिका पर आदेश सुरक्षित रख लिया है.

28 सितबंर 2018 को सबरीमाला मंदिर के गर्भ गृह में महिलाओं के प्रवेश करने की घोषणा की थी.

CJI के कार्यालय को सूचना का अधिकार अधिनियम का आवेदन
चार अप्रैल को संविधान पीठ ने इस मुद्दे पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था कि क्या CJI कार्यालय सूचना के अधिकार के तहत आएगा.

सुप्रीम कोर्ट के महासचिव ने दिल्ली उच्च न्यायालय के जनवरी 2010 के फैसले के खिलाफ याचिका दायर की. इसमें आरटीआई अधिनियम, 2005 की धारा 2 (एच) के तहत सीजेआई के कार्यालय की घोषणा की.

पढ़ें : जस्टिस शरद अरविंद बोबडे बनेंगे देश के अगले मुख्य न्यायाधीश

वित्त अधिनियम 2017 की वैधता
10 अप्रैल को, उच्चतम न्यायालय ने वित्त अधिनियम, 2017 की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं में इस आधार पर फैसला दिया कि इसे संसद ने धन विधेयक के रूप में पारित किया था.

वित्त अधिनियम, 2017 ने विभिन्न न्यायिक न्यायाधिकरणों जैसे राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण आदि की शक्तियों को प्रभावित किया.

हैदराबाद : भारत के मुख्य न्यायधीश (सीजेआई) रंजन गोगोई 17 नवंबर को सेवानिवृत्त होने वाले हैं. उनसे पहले वह कई अहम मामलों पर फैसला सुना सकते हैं. इनमें अयोध्या मामला भी शामिल है. अब उनके पास मात्र 10 कार्यदिवस बचे हैं.

इन चर्चित मामलों में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद, सबरीमाला मंदिर मामला, राफेल लड़ाकू विमान सौदा, उच्चतम न्यायालय के कार्यालय में सूचना का अधिकार(RTI) का आवेदन, राहुल गांधी की टिप्पणी- चौकीदार चोर है - के खिलाफ दायर याचिका, वित्त अधिनियम 2017 की वैधता प्रमुख रूप से शामिल है.

देखें ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट

17 नवंबर को सेवानिवृत्त हो रहे गोगोई ने भारत के अगले मुख्य न्यायाधीश के रूप में न्यायाधीश शरद अरविंद बोबडे की सिफारिश की है.

अयोध्या-बाबरी मस्जिद विवाद मामला
इस मामले की सुनवाई रंजन गोगोई की अध्यक्षता में पांच जजों की पीठ कर रही थी. मामले की सुनवाई के 40 दिन बाद न्यायालय ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है.

गौरतलब है कि न्यायालय यह भी फैसला करेगा कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा सितंबर 2010 के फैसले में राम लला, निर्मोही अखाड़ा और सुन्नी वक्फ बोर्ड के बीच विवादित भूमि को विभाजित करने में सही था या नहीं.

राफेल फैसले पर पुनर्विचार
10 मई को, CJI गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने 14 दिसंबर के फैसले के खिलाफ दायर पुनर्विचार याचिकाओं पर आदेश सुरक्षित रख लिया है, जिसमें राफेल सौदे में भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच का आदेश देने से इनकार कर दिया था.

समीक्षा याचिका में आरोप लगाया गया कि सरकार ने 14 दिसंबर, 2018 के फैसले को पंहुचाने में न्यायालय को गुमराह किया है.

पढ़ें : CJI रंजन गोगोई ने जस्टिस बोबडे को अगला मुख्य न्यायाधीश बनाने की सिफारिश की

राहुल गांधी के खिलाफ याचिका
CJI गोगोई ने 10 अप्रैल को भाजपा नेता मीनाक्षी लेखी द्वारा कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के खिलाफ 10 अप्रैल के फैसले के संबंध में शीर्ष अदालत की 'चौकीदार चोर की' टिप्पणी के लिए दायर अवमानना याचिका में फिर से आदेश सुरक्षित रख लिया गया है.

गांधी ने 10 अप्रैल के राफेल पुनर्विचार पर सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए टिप्पणी की थी.

सबरीमाला फैसले पर पुनर्विचार
सीजेआई गोगोई की अध्यक्षता में न्यायाधीश खानविल्कर, नरीमन, चंद्रचूड़ और इंदू मल्होत्रा वाली पीठ ने सबरीमाला मामले की पुनर्विचार याचिका पर आदेश सुरक्षित रख लिया है.

28 सितबंर 2018 को सबरीमाला मंदिर के गर्भ गृह में महिलाओं के प्रवेश करने की घोषणा की थी.

CJI के कार्यालय को सूचना का अधिकार अधिनियम का आवेदन
चार अप्रैल को संविधान पीठ ने इस मुद्दे पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था कि क्या CJI कार्यालय सूचना के अधिकार के तहत आएगा.

सुप्रीम कोर्ट के महासचिव ने दिल्ली उच्च न्यायालय के जनवरी 2010 के फैसले के खिलाफ याचिका दायर की. इसमें आरटीआई अधिनियम, 2005 की धारा 2 (एच) के तहत सीजेआई के कार्यालय की घोषणा की.

पढ़ें : जस्टिस शरद अरविंद बोबडे बनेंगे देश के अगले मुख्य न्यायाधीश

वित्त अधिनियम 2017 की वैधता
10 अप्रैल को, उच्चतम न्यायालय ने वित्त अधिनियम, 2017 की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं में इस आधार पर फैसला दिया कि इसे संसद ने धन विधेयक के रूप में पारित किया था.

वित्त अधिनियम, 2017 ने विभिन्न न्यायिक न्यायाधिकरणों जैसे राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण आदि की शक्तियों को प्रभावित किया.

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Last Updated : Oct 30, 2019, 3:03 PM IST
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