ETV Bharat / bharat

सिस्टर अभया केस : कैथोलिक पादरी और नन को आजीवन कारावास की सजा - Murder Case Verdict

केरल में तिरुवनंतपुरम की सीबीआई अदालत ने आज 21 वर्षीय सिस्टर अभया की हत्या के मामले में दोषियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. कोर्ट ने 28 साल बाद एक कैथोलिक पादरी और एक नन को दोषी पाया.

सिस्टर अभया मामला
सिस्टर अभया मामला
author img

By

Published : Dec 23, 2020, 1:27 PM IST

Updated : Dec 23, 2020, 1:50 PM IST

तिरुवनंतपुरम : सीबीआई की एक विशेष अदालत ने केरल के कोट्टयम में 28 साल पहले हुई सिस्टर अभया की हत्या के दोषी पाए गए कैथोलिक पादरी और नन को बुधवार को आजीवन कारावास की सजा सुनाई. सीबीआई के विशेष न्यायाधीश के सनल कुमार ने कैथोलिक चर्च के फादर थॉमस कोट्टूर और सिस्टर सेफी को सजा सुनाई और दोनों पर पांच-पांच लाख रुपए जुर्माना भी लगाया.

अदालत ने पादरी एवं नन को सिस्टर अभया की हत्या का मंगलवार को दोषी पाया था. यह मामला 21 वर्षीय अभया की संदिग्ध परिस्थिति में हुई मौत से संबंधित है. उनका शव 27 मार्च 1992 को सेंट पायस कॉन्वेंट के एक कुएं से मिला था.

पादरी और नन को सबूतों से छेड़छाड़ करने के मामले में भी सात-सात साल की सजा सुनाई गई है. दोनों सजाएं साथ-साथ चलेंगी. अदालत ने मंगलवार को कहा था कि पादरी और नन के खिलाफ हत्या के आरोप साबित हुए हैं.

अदालत ने दोनों को भारतीय दंड संहिता की धाराओं 302 (हत्या) एवं 201 (सबूतों के साथ छेड़छाड़ करना) के तहत दोषी पाया था.

संदिग्ध परिस्थिति में हुई थी मौत

यह मामला 21 वर्षीय अभया की संदिग्ध परिस्थिति में हुई मौत से संबंधित है. उनका शव 27 मार्च 1992 को सेंट पायस के एक कुएं से मिला था. अभया कोट्टयम के बीसीएम कॉलेज में द्वितीय वर्ष की छात्रा थी और कॉन्वेंट में रहती थी. इससे पूर्व सीबीआई के विशेष न्यायाधीश के सनल कुमार ने फैसला सुनाते हुए कहा था कि पदारी और नन के खिलाफ हत्या के आरोप साबित हुए हैं. अदालत ने कैथोलिक चर्च के फादर थॉमस कोट्टूर और सिस्टर सेफी को भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (हत्या) एवं 201 (सबूतों के साथ छेड़छाड़ करना) के तहत दोषी पाया था. अदालत ने फादर कोट्टूर को भारतीय दंड संहिता की धारा 449 (अनधिकार प्रवेश) का दोषी भी पाया था.

अदालत सजा की अवधि पर आज अपना फैसला सुना दिया है.

दोषी जमानत पर थे जिन्हें कोविड-19 की जांच कराने के बाद हिरासत में ले लिया गया था. फादर कोट्टूर को पूजापुरा की केंद्रीय जेल भेजा गया है जबकि सिस्टर सेफी को यहां अत्ताकुलनगारा महिला जेल भेजा गया है. इस मामले में अन्य आरोपी फादर जोस पुथ्रीक्कयील को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया है. शुरुआत में मामले की जांच स्थानीय पुलिस और राज्य की अपराध शाखा ने की थी और दोनों ने ही कहा था कि अभया ने खुदकुशी की है. सीबीआई ने मामले की जांच 29 मार्च 1993 को अपने हाथ में ली और तीन क्लोजर रिपोर्ट दायर की थी तथा कहा था कि यह हत्या का मामला है लेकिन अपराधियों का पता नहीं चल सका है.

उच्च न्यायालय ने सीबीआई को फटकार लगाई

चार सितंबर 2008 को केरल उच्च न्यायालय ने मामले को लेकर सीबीआई को फटकार लगाई थी और कहा था कि एजेंसी अभी भी राजनीतिक और नौकरशाही की शक्ति रखने वालों की कैदी है" तथा सीबीआई की दिल्ली इकाई को निर्देश दिया था कि वह जांच को कोच्चि इकाई को सौंप दे. इसके बाद सीबीआई ने फादर कोट्टूर, फादर पूथ्रीक्कयील और नन सेफी को हत्या के आरोप में गिरफ्तार कर लिया. अभियोजन के मुताबिक, कोट्टूर और पूथ्रीक्कयील का कथित रूप से सेफी से अवैध संबंध था.

सीबीआई के आरोप पत्र के मुताबिक, 27 मार्च 1992 की रात को अभया ने कोट्टूर और सेफी को कथित रूप से आपत्तिजनक स्थिति में देख लिया जिसके बाद आरोपियों ने अभया पर कुल्हाड़ी से हमला किया और उसे कुएं में फेंक दिया. अभया के माता-पिता की कुछ साल पहले मौत हो गई थी. वे अपनी बेटी को इंसाफ दिलाने के इंतजार में ही गुजर गए. उनके भाई अदालत के फैसले से खुश हैं. इस मामले में सुनवाई पिछले साल 26 अगस्त को शुरू हुई और कई गवाह मुकर गए.

तिरुवनंतपुरम : सीबीआई की एक विशेष अदालत ने केरल के कोट्टयम में 28 साल पहले हुई सिस्टर अभया की हत्या के दोषी पाए गए कैथोलिक पादरी और नन को बुधवार को आजीवन कारावास की सजा सुनाई. सीबीआई के विशेष न्यायाधीश के सनल कुमार ने कैथोलिक चर्च के फादर थॉमस कोट्टूर और सिस्टर सेफी को सजा सुनाई और दोनों पर पांच-पांच लाख रुपए जुर्माना भी लगाया.

अदालत ने पादरी एवं नन को सिस्टर अभया की हत्या का मंगलवार को दोषी पाया था. यह मामला 21 वर्षीय अभया की संदिग्ध परिस्थिति में हुई मौत से संबंधित है. उनका शव 27 मार्च 1992 को सेंट पायस कॉन्वेंट के एक कुएं से मिला था.

पादरी और नन को सबूतों से छेड़छाड़ करने के मामले में भी सात-सात साल की सजा सुनाई गई है. दोनों सजाएं साथ-साथ चलेंगी. अदालत ने मंगलवार को कहा था कि पादरी और नन के खिलाफ हत्या के आरोप साबित हुए हैं.

अदालत ने दोनों को भारतीय दंड संहिता की धाराओं 302 (हत्या) एवं 201 (सबूतों के साथ छेड़छाड़ करना) के तहत दोषी पाया था.

संदिग्ध परिस्थिति में हुई थी मौत

यह मामला 21 वर्षीय अभया की संदिग्ध परिस्थिति में हुई मौत से संबंधित है. उनका शव 27 मार्च 1992 को सेंट पायस के एक कुएं से मिला था. अभया कोट्टयम के बीसीएम कॉलेज में द्वितीय वर्ष की छात्रा थी और कॉन्वेंट में रहती थी. इससे पूर्व सीबीआई के विशेष न्यायाधीश के सनल कुमार ने फैसला सुनाते हुए कहा था कि पदारी और नन के खिलाफ हत्या के आरोप साबित हुए हैं. अदालत ने कैथोलिक चर्च के फादर थॉमस कोट्टूर और सिस्टर सेफी को भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (हत्या) एवं 201 (सबूतों के साथ छेड़छाड़ करना) के तहत दोषी पाया था. अदालत ने फादर कोट्टूर को भारतीय दंड संहिता की धारा 449 (अनधिकार प्रवेश) का दोषी भी पाया था.

अदालत सजा की अवधि पर आज अपना फैसला सुना दिया है.

दोषी जमानत पर थे जिन्हें कोविड-19 की जांच कराने के बाद हिरासत में ले लिया गया था. फादर कोट्टूर को पूजापुरा की केंद्रीय जेल भेजा गया है जबकि सिस्टर सेफी को यहां अत्ताकुलनगारा महिला जेल भेजा गया है. इस मामले में अन्य आरोपी फादर जोस पुथ्रीक्कयील को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया है. शुरुआत में मामले की जांच स्थानीय पुलिस और राज्य की अपराध शाखा ने की थी और दोनों ने ही कहा था कि अभया ने खुदकुशी की है. सीबीआई ने मामले की जांच 29 मार्च 1993 को अपने हाथ में ली और तीन क्लोजर रिपोर्ट दायर की थी तथा कहा था कि यह हत्या का मामला है लेकिन अपराधियों का पता नहीं चल सका है.

उच्च न्यायालय ने सीबीआई को फटकार लगाई

चार सितंबर 2008 को केरल उच्च न्यायालय ने मामले को लेकर सीबीआई को फटकार लगाई थी और कहा था कि एजेंसी अभी भी राजनीतिक और नौकरशाही की शक्ति रखने वालों की कैदी है" तथा सीबीआई की दिल्ली इकाई को निर्देश दिया था कि वह जांच को कोच्चि इकाई को सौंप दे. इसके बाद सीबीआई ने फादर कोट्टूर, फादर पूथ्रीक्कयील और नन सेफी को हत्या के आरोप में गिरफ्तार कर लिया. अभियोजन के मुताबिक, कोट्टूर और पूथ्रीक्कयील का कथित रूप से सेफी से अवैध संबंध था.

सीबीआई के आरोप पत्र के मुताबिक, 27 मार्च 1992 की रात को अभया ने कोट्टूर और सेफी को कथित रूप से आपत्तिजनक स्थिति में देख लिया जिसके बाद आरोपियों ने अभया पर कुल्हाड़ी से हमला किया और उसे कुएं में फेंक दिया. अभया के माता-पिता की कुछ साल पहले मौत हो गई थी. वे अपनी बेटी को इंसाफ दिलाने के इंतजार में ही गुजर गए. उनके भाई अदालत के फैसले से खुश हैं. इस मामले में सुनवाई पिछले साल 26 अगस्त को शुरू हुई और कई गवाह मुकर गए.

Last Updated : Dec 23, 2020, 1:50 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.