हैदराबाद : विश्वव्यापी कोरोना महामारी के बीच दुनियाभर के वैज्ञानिक और अनुसंधान केंद्र जहां इसकी काट के लिए वैक्सीन की खोज में लगे हैं वहीं दूसरी तरफ लोग हाथ पर सेनिटाइजर लगाकर तथा फेस मास्क व फेस शील्ड से खुद को सुरक्षित करने का प्रयास कर रहे हैं. इस बीच हैदराबाद की सिरिषा चक्रवर्ती द्वारा बनाया गया यंत्र कोरोना से निजात दिलाने में काफी मददगार साबित हो सकता है.
नियो इन्वेंट्रोनिक्स, हैदराबाद की संस्थापक सिरिषा ने एक ऐसा 'कीटाणुनाशक लैम्प' बनया है, जिससे कोरोना वायरस को निष्क्रिय किया जा सकता है. बताया जा रहा है कि इस विशेष उपकरण को जलाने पर इससे निकलने वाली किरणें वायरस के प्रसार को रोकने के लिए पर्याप्त हैं. साथ ही, इस उपकरण में किसी रसायन का उपयोग भी नहीं किया गया है.
सिरिषा ने बताया कि यह उपकरण करीब 15 मिनट में बैक्टीरिया को निष्क्रिय कर सकता है. यह उपकरण लगभग 1,000 वर्ग फीट के क्षेत्र में किसी भी प्रकार के वायरस और बैक्टीरिया को लगभग 15 मिनट में नष्ट करने में सक्षम है.
विज्ञान से स्नातक और 15 साल तक मेडिकल मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्री में काम कर चुकीं सिरिषा ने बताया कि स्टार्टअप इंडिया - मेक इंडिया के तहत उन्होंने तेलंगाना सरकार द्वारा शुरू किए गए महिला उद्यमिता हब (डब्ल्यूई- हब) पर आवेदन किया, जिसमें उन्होंने एलईडी बल्ब और स्ट्रीट लैम्प के निर्माण और आपूर्ति के लिए इजाजत मांगी.
इजाजत मिलने पर उन्होंने अपनी कंपनी स्थापित कर ली. उन्होंने कहा, 'लेकिन मैं प्रतिस्पर्धात्मक बाजार में बने रहने के लिए कुछ अलग और नया करना चाहती थी. वास्तव में, भारत में कोरोना का प्रभाव के शुरू होने से पहले ही यह विचार मेरे दिमाग में आया था.'
सिरिषा ने कहा, 'मैंने उस तकनीक के बारे में सोचा, जो वायरस और बैक्टीरिया को मारने के लिए इस्तेमाल की जा सकती है. चूंकि मेरे पति इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग पृष्ठभूमि से हैं, इसलिए हमने सभी संभावनाओं पर चर्चा की और विभिन्न जांच भी की.'
उन्होंने कहा, 'हम समझ गए कि अल्ट्रावायलेट (पराबैंगनी) किरणों में बैक्टीरिया और वायरस को मारने की क्षमता होती है. हांलाकि खुले में पराबैंगनी किरणों का इस्तेमाल असुरक्षित था. इसलिए, अन्य तकनीकी विधियों के अलावा ओजोनेशन प्रक्रिया का उपयोग करके अल्ट्रावायलेट(यूवी) किरणों द्वारा हानिकारक असर को समायोजित करने की कोशिश की गई और इसको उपयोग योग्य बनाया गया.'
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सिरिषा ने कहा कि हालांकि यह इतना सरल नहीं था. कई असफल प्रयासों के बाद उन्हें यह कीटाणुनाशक लैम्प बनाने में सफलता मिली है.
लैम्प के प्रोटो टाइप से लेकर कीटाणुनाशक लैम्प बनाने में 40 दिन का समय लगा. निर्माण के पहले चरण के दौरान उन्हें निर्माण दोष का सामना करना पड़ा. इसके परिणामस्वरूप कुछ और प्रयास करने पड़े. आखिरकार रिमोट-असिस्टेड कीटाणुनाशक लैम्प पूरी तरह से बन कर तैयार था.
इस कीटाणुनाशक लैम्प को आइसोलेशन सेंटर के अलावा अस्पतालों में स्थापित करने के लिए डिजाइन किया गया है.
अटल इन्क्यूबेशन सेंटर ने इस उत्पाद को सिरिषा की ओर से प्रदर्शित किया. इसकी जांच करने वाले नीति आयोग ने उपकरण को 'उत्कृष्ट उत्पाद' के रूप में सराहा.
सिरिषा ने कहा कि उनका यह आइडिया स्टार्टअप इंडिया और इन्वेस्ट इंडिया जैसे संगठनों द्वारा आयोजित प्रतियोगिताओं में लगभग 1000 प्रतियोगियों के बीच अंतिम दौर में टॉप 10 में जगह बना चुका है.
जैव प्रौद्योगिकी विभाग के अटल नवाचार विभाग ने इसे विशिष्ट उपयोगों के लिए एक सुरक्षित उपकरण के रूप में मान्यता दी है. जल्द ही, इसका सीसीएमबी वायरस निदान परीक्षण भी आयोजित किया जाएगा.
सिरिषा ने कहा, 'हमारे द्वारा बनाया गया यह उत्पाद वर्तमान में घर में इस्तेमाल के लिए उपयुक्त नहीं है. हम धीरे-धीरे लोगों की घरेलू आवश्यकताओं के अनुरूप घरेलू एयर स्टेबलाइजर्स और रोबोटिक जर्म-बीम्स के निर्माण की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं.'