मुंबई : शिवसेना ने गुरुवार को कहा कि अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह राजभवन की 'प्रतिष्ठता' बरकरार रखना चाहते हैं, तो महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को वापस बुला लेना चाहिए. पार्टी ने अपने मुखपत्र 'सामना' में लिखे एक संपादकीय में 78 वर्षीय कोश्यारी पर जोरदार हमला बोला. राज्यपाल ने प्रार्थना स्थलों को खोलने को लेकर मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को पत्र लिखा था और पूछा था कि क्या शिवसेना नेता 'अचानक से धर्मनिरपेक्ष' हो गए हैं.
संपादकीय में कहा गया है कि इस मुद्दे पर भाजपा का 'पर्दाफाश' हो गया. उसमें कहा गया है कि राज्यपाल के सहारे महाराष्ट्र सरकार पर हमला करना विपक्षी पार्टी को महंगा पड़ गया.
लेख में कहा गया है कि कोविड-19 के सुरक्षा प्रोटोकॉल के कड़ाई से पालन के साथ रेस्तरां खोले गए हैं लेकिन, मंदिर खोलने पर भीड़ होगी. अगर भाजपा चाहती है कि मंदिर फिर से खोले जाएं तो इसके लिए एक राष्ट्रीय नीति होनी चाहिए. पार्टी ने कहा कि देश में कई अहम मंदिर बंद हैं.
संपादकीय में कोश्यारी के पत्र को लेकर मुख्यमंत्री की प्रतिक्रिया को सही ठहराते हुए कहा गया है कि इससे 'मंदिरों के देवताओं ने भी आनंदपूर्वक घंटानाद किया होगा.'
संपादकीय में कहा गया है कि यह घंटानाद प्रधानमंत्री मोदी और गृह मंत्री शाह तक पहुंचा ही होगा, तब वे राजभवन की प्रतिष्ठा बनाए रखने के लिए राज्यपाल को वापस बुलाएंगे.
कोश्यारी और ठाकरे के बीच वाक युद्ध चल रहा है. दरअसल, राज्यपाल ने कोरोना वायरस की वजह से बंद प्रार्थना स्थलों को खोलने के लिए मुख्यमंत्री को पत्र लिखा था और पूछा था कि क्या वह अचानक से धर्मनिरपेक्ष हो गए हैं.
ठाकरे ने इसका जवाब देते हुए कहा था कि वह प्रार्थना स्थल खोलने के कोश्यारी के आग्रह पर विचार करेंगे लेकिन उन्हें 'मेरे हिंदुत्व' के लिए राज्यपाल के प्रमाण पत्र की जरूरत नहीं है. वहीं भाजपा के कार्यकर्ताओं ने राज्य के अलग अलग शहरों में मंदिरों के बाहर उन्हें खोलने की मांग को लेकर प्रदर्शन किया था.
राकांपा प्रमुख शरद पवार भी मुख्यमंत्री व राज्यपाल के बीच के विवाद में कूद पड़े और कोश्यारी के पत्र में इस्तेमाल 'असंयमित भाषा' को लेकर प्रधानमंत्री मोदी को चिट्ठी लिखकर हैरानी जताई.