नई दिल्ली : कांग्रेस समेत देश के 16 विपक्षी दलों ने कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों के प्रति एकजुटता प्रकट करते हुए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के अभिभाषण का बहिष्कार किया. इसको लेकर भारतीय जनता पार्टी के सांसद शिव प्रताप शुक्ला ने कहा कि राष्ट्रपति के अभिभाषण का विपक्ष की तरफ से बहिष्कार संसदीय परंपराओं का काला अध्याय है, क्योंकि बहिष्कार का मतलब है राष्ट्रपति का बहिष्कार करना, बावजूद इसके सरकार को उम्मीद है कि विपक्ष को सुबुद्धि आएगी और वह बजट पारित कराने में सरकार का साथ देंगे.
उन्होंने बताया कि राष्ट्रपति किसी भी दलगत राजनीति से ऊपर उठकर होते हैं और अभिभाषण का बहिष्कार मतलब राष्ट्रपति का बहिष्कार करना हुआ और यह अपने आप में संसदीय गरिमा के खिलाफ है, जिस तरह से आज विपक्ष ने राष्ट्रपति के अभिभाषण का बहिष्कार किया है, उन्हें अपने संसदीय काल में कभी याद नहीं आता कि विपक्ष ने पहले कभी इस तरह का बहिष्कार किया हो. यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण घटना है.
शिव प्रताप शुक्ला ने कहा कि सरकार बार-बार विपक्षी पार्टियों को समझाने की कोशिश कर रही है और उन्हें उम्मीद है कि आने वाले दिनों में विपक्षी पार्टियों को सद्बुद्धि मिलेगी और संसद में बजट पारित कराने में वह उनका साथ देंगे. भारतीय जनता पार्टी के सांसदों के लिए वेब के सवाल पर पार्टी के चीफ व्हिप ने कहा कि सांसदों को पूरे सत्र के लिए व्यापक जारी किया गया है, क्योंकि संसद में कई महत्वपूर्ण बिल पारित होने हैं और बजट पारित कराना भी सत्ता पक्ष की जिम्मेदारी होती है. इस वजह से पूरे सत्र के लिए सांसदों को व्हिप जारी किया गया है.
कृषि कानून पर बोलते हुए शिव प्रताप शुक्ला ने कहा कि सरकार बार-बार प्रयास कर रही है कि किसान उनकी बात सुने और इस संबंध में कई दौर की बातचीत भी हो चुकी है, लेकिन जिस तरह से तिरंगे का अपमान किया गया, इस बात को राष्ट्रपति महोदय ने भी अपने अभिभाषण में कहा कि यह अपने आप में देश के लिए बहुत ही बड़ी दुर्भाग्यपूर्ण घटना है.
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उन्होंने कहा कि उन्हें यह उम्मीद है कि बजट सत्र में विपक्ष को सद्बुद्धि आएगी. देश के विधायी कार्यों को आगे बढ़ाने के लिए बजट होता है और पूरी उम्मीद है कि विपक्ष सरकार का साथ देगा और बजट को शांतिपूर्ण पारित होने में मदद करेगा.
इस सवाल पर कि क्या बजट सत्र हंगामेदार होने के आसार हैं, शिव प्रताप ने कहा कि अपनी बातों को संसद में रखना सभी सांसदों का अधिकार है, मगर उससे संसदीय परंपरा के अनुसार रखा जाना चाहिए, ताकि उसका समाधान निकाला जा सके.