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जिस महल में औरंगजेब की हुई थी ताजपोशी, उसके रख-रखाव पर उठे सवाल

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने 17 वीं शताब्दी में बनाए गए शीश महल स्मारक के रख-रखाव पर 2-5 करोड़ खर्च करने का फैसला किया है. मुगल सम्राट औरंगजेब का पहला राज्याभिषेक समारोह इसी महल में 1658 में हुआ था. हालांकि कुछ लोगों द्वारा इसका विरोध किये जाने की बात सामने आ रही है.

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मनजिंदर सिंह सिरसा
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Published : Feb 15, 2020, 6:02 PM IST

Updated : Mar 1, 2020, 10:56 AM IST

नई दिल्ली: भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने 17 वीं शताब्दी में बनाए गए शीश महल स्मारक के रख रखाव पर 2-5 करोड़ खर्च करने का फैसला किया है. इसका कुछ लोगों के द्वारा विरोध किये जाने की बात भी सामने आ रही है.

मुगल सम्राट औरंगजेब का पहला राज्यअभिषेक समारोह इसी महल में 1658 में हुआ था. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के इस फैसले से सिख समुदाय का एक बड़ा हिस्सा खुश नहीं है. वे पुरातत्व सर्वेक्षण के इस फैसले का विरोध कर रहे हैं. उनका मानना है कि औरंगजेब की नीति गलत थी, इसलिए उससे जुड़ी चीजों को ज्यादा सजाया संवारा ना जाए. इस मुद्दे पर दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की है.

ईटीवी भारत से बात करते हुए मनजिंदर सिंह सिरसा

सिरसा ने कहा कि जिस मुगल शासक ने भारत के हिंदुओं और सिखों पर धर्म परिवर्तन को लेकर इतना अत्याचार किया था. वैसे अत्याचारी मुगल शासक के महल के नवीनीकरण की क्या जरुरत है, हम सभी भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के इस फैसले का विरोध करते हैं. अगर औरंगजेब के इस महल को सजाया संवारा जाता है तो इसका मतलब है कि औरंगजेब के किये गये कार्यों को दुनिया के सामने हम सही साबित करने की कोशिश कर रहे हैं.

यह भी पढ़ें- पुलवामा हमले की याद में युवा कांग्रेस ने निकाला कैंडल मार्च

आपको बता दें कि शालीमार बाग शाहजहाँ द्वारा बनवाया गया था. 1938 में इस स्मारक को पुरातात्विक सर्वेक्षण ने अपने अधीन ले लिया था. वही इसका रख रखाव करती रही है. अब चूंकि स्मारक की हालत ठीक नही हैं, इसलिए पुरातात्विक विभाग ने इसके नवीनीकरण का फैसला लिया है, जिससे महल को दर्शनीय बनाए रखा जा सके. जानकारी के अनुसार, पुरातात्विक सर्वेक्षण के द्वारा महल के रख रखाव और साजसैयाा को फिर से संवारा जाएगा. महल की दीवारों को ठीक करने के लिए चूने के प्लास्टर का उपयोग कर उन ईंटों के बीच अंतराल को ठीक करने के लिए किया जाएगा, जो मुगल वास्तुकला में इस्तेमाल की जाने वाली पतली लाल रंग की ईंट हैं.

नई दिल्ली: भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने 17 वीं शताब्दी में बनाए गए शीश महल स्मारक के रख रखाव पर 2-5 करोड़ खर्च करने का फैसला किया है. इसका कुछ लोगों के द्वारा विरोध किये जाने की बात भी सामने आ रही है.

मुगल सम्राट औरंगजेब का पहला राज्यअभिषेक समारोह इसी महल में 1658 में हुआ था. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के इस फैसले से सिख समुदाय का एक बड़ा हिस्सा खुश नहीं है. वे पुरातत्व सर्वेक्षण के इस फैसले का विरोध कर रहे हैं. उनका मानना है कि औरंगजेब की नीति गलत थी, इसलिए उससे जुड़ी चीजों को ज्यादा सजाया संवारा ना जाए. इस मुद्दे पर दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की है.

ईटीवी भारत से बात करते हुए मनजिंदर सिंह सिरसा

सिरसा ने कहा कि जिस मुगल शासक ने भारत के हिंदुओं और सिखों पर धर्म परिवर्तन को लेकर इतना अत्याचार किया था. वैसे अत्याचारी मुगल शासक के महल के नवीनीकरण की क्या जरुरत है, हम सभी भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के इस फैसले का विरोध करते हैं. अगर औरंगजेब के इस महल को सजाया संवारा जाता है तो इसका मतलब है कि औरंगजेब के किये गये कार्यों को दुनिया के सामने हम सही साबित करने की कोशिश कर रहे हैं.

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आपको बता दें कि शालीमार बाग शाहजहाँ द्वारा बनवाया गया था. 1938 में इस स्मारक को पुरातात्विक सर्वेक्षण ने अपने अधीन ले लिया था. वही इसका रख रखाव करती रही है. अब चूंकि स्मारक की हालत ठीक नही हैं, इसलिए पुरातात्विक विभाग ने इसके नवीनीकरण का फैसला लिया है, जिससे महल को दर्शनीय बनाए रखा जा सके. जानकारी के अनुसार, पुरातात्विक सर्वेक्षण के द्वारा महल के रख रखाव और साजसैयाा को फिर से संवारा जाएगा. महल की दीवारों को ठीक करने के लिए चूने के प्लास्टर का उपयोग कर उन ईंटों के बीच अंतराल को ठीक करने के लिए किया जाएगा, जो मुगल वास्तुकला में इस्तेमाल की जाने वाली पतली लाल रंग की ईंट हैं.

Last Updated : Mar 1, 2020, 10:56 AM IST
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